झारखंड : धनबाद शहर में आयोजित टुसू पर्व हर्षोल्लास की चर्चा चारो ओर। पूर्व पार्षद गणपत महतो ने कहा जागरूकता के लिये हर साल होंगे ऐसे कार्यक्रम।

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झारखंड : धनबाद शहर में आयोजित टुसू पर्व हर्षोल्लास की चर्चा चारो ओर। पूर्व पार्षद गणपत महतो ने कहा जागरूकता के लिये हर साल होंगे ऐसे कार्यक्रम।

टाइम्स खबर timeskhabar.com

31 दिसंबर (2022) धनबाद के लिये ऐतिहासिक दिन रहा। डहरे टुसू पर्व के मौके पर शहर में भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। पूरे वातावरण में सांस्कृतिक उल्लास का माहौल था। ऐसा भव्य समारोह पहले कभी नहीं देखा गया। वृहद झारखंड कला-संस्कृति मंच के बैनर तले और पूर्व पार्षद गणपत महतो के नेतृत्व में निकाले गये इस शोभा यात्रा की भव्यता देखते हीं बन रही थी। ढोल, नगाड़े और मांदर की गूंज से पूरा आकाश गूंज रहा था। महिला-पुरूष, बच्चे, वृद्ध, छात्र-छात्राएं सभी हर्षोंल्लास से सराबोर थे। स्थानीय लोक गीत और नृत्य की धूम थी। 

लाखों की संख्या में इकठ्ठे लोगों के बीच हर्षोल्लास देखते हीं बन रहा था। क्या माताएं, क्या बहनें सभी लोंगों के बीच ऐसी उमंग की मानों आकाश से साक्षात ईश्वर अपना आशीर्वाद दे रहे हों। शोभा यात्रा की शुरूआत दोपहर 12 बजे से धनबाद के सरायढेला क्षेत्र से हुई और शहर के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हुए शहीद रणधीर वर्मा चौक तक पहुंची।  घंटों तक चले इस शोभा यात्रा में पूरे समय लोग सांस्कृतिक गायन के साथ झूमते रहे।  

इसे किसानों का त्योहार भी कहा जाता है। पर्व की शुरूआत ठंड के दिनों में फसल काटने से लेकर 14 जनवरी यानी मकर संक्राति के दिन तक मनाया जाता है। लगभग एक महीने तक चलने वाले यह त्योहार मूल रूप से प्रकृति से जुड़ा है। इसमें धान का उपयोग किया जाता है। कुंवारी कन्याएं मिट्टी का शारवा मेंधान रखकर प्रतिदिन शाम को पूजा करती हैं। गीत गा कर टुसूमनि को जगाति हैं। मंगल कामना करती हैं। ऐसे झारखंड के सभी त्योहार प्रकृति से जुड़े हैं।

बड़े पैमाने पर टुसू त्योहार मनाने को लेकर पूर्व पार्षद गणपत महतो ने आवाज-उठाओ नामक यू-ट्यूब चैनल से बातचीत में कहा कि विभिन्न राज्यों से लोग यहां पर आ रहे हैं। अपने घर बना रहे हैं। अपने पर्व त्योहार को मना रहे हैं। अपनी भाषा और संस्कृति को बढावा दे रहे हैं। ऐसे में कोशिश है कि झारखंड की संस्कृति, भाषा और पर्व त्योहार दब न जाये। लुप्त न हो जाये। इसलिये अपने महान पर्व टुसू को शहरों के बीच मनाया जा रहा है। हमारे आदिवासी व मूलवासी के युवक अपने संस्कृति से परिचित हों। बाहर से आये लोग भी हमारी संस्कृति से परिचित हों।  

पूर्व पार्षद गणपत महतो ने कहा कि इस त्योहार की तैयारियां एक महीने पहले हीं शुरू कर दी गई थी। टुसू पर्व की भव्य यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। गणपत महतो ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हर साल किये जायेंगे अलग-अलग क्षेत्रों में। कार्यक्रम की सफलता और धूमधाम की चर्चा चारो ओर है।