लोकसभा चुनाव 2024 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले विपक्ष का चेहरा बन सकते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। इसे लेकर बीजेपी में मंथन।

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लोकसभा चुनाव 2024 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले विपक्ष का चेहरा बन सकते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। इसे लेकर बीजेपी में मंथन।

- राजेश कुमार 

भारत का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे या मेन-फ्रंट से कोई प्रधानमंत्री होगा। यह भविष्य के गर्भ में है।  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने तीन दिवसीय दिल्ली दौरे के दौरान भारतीय राजनीति के इतिहास में एक नया नाम शामिल किया है वह है मेन-फ्रंट। थर्ड फ्रंट की जगह उन्होंने मेन-फ्रंट नाम दिया है। नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं, यह सवाल अपनी जगह है। लेकिन बिहार में आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाना और दिल्ली आकर समान विचारधारा वाली पार्टियों से मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा करने के बाद देश की राजनीतिक गलियारों में आगामी लोकसभा चुनाव की गूंज सुनाई देने लगी है। 

सबसे पहले यह मान लेनी चाहिये  कि आज की तिथि में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी काफी ताकतवर है। प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक लीडर हैं।  बीते चुनावी आंकड़ों  से साफ है कि विपक्ष काफी कमजोर है। एकता की कमी है। लगातार सीबीआई और एनआईए की रेड ने तहलका मचा रखा है। लेकिन इस बीच दो चीजें ऐसी हुई जिससे विपक्ष को संजीवनी मिल गई - 1. नीतीश कुमार का एनडीए से अलग होकर आरजेडी-कांग्रेस-लेफ्ट के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाना और 2. विपक्षी नेताओं के मन से सीबीआई और एनआईए के डर का खत्म होना।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान राहुल गांधी (कांग्रेस ), शरद पवार (एनसीपी), सीताराम येचुरी(सीपीएम), डी राजा (सीपीआई), अखिलेश यादव व मुलायम सिंह यादव (सपा), एच डी कुमारस्वामी (जेडीएस), ओम प्रकाश चौटाला (आईएनएलडी), अरविंद केजरीवाल (आप), समाजवादी विचारक शरद यादव से मुलाकात कर आगामी लोकसभा चुनाव के लिये विपक्षी एकता बनाने की कोशिश की।  इस दौरान उन्होंने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष एकजुट होगा, तो अच्छा माहौल बनेगा। मेरी प्रधानमंत्री बनने की कोई इच्छा या आकांक्षा नहीं है। दिल्ली आने से पूर्व उन्होंने आरजेडी लीडर लालू यादव व तेजस्वी यादव से मुलाकात की।

जेडीयू लीडर नीतीश कुमार से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने भी विपक्षी एकता की कोशिश की लेकिन सफल नहीं रहे। क्योंकि इन्होंने कांग्रेस पार्टी के बिना हीं फ्रंट बनाने की मुहिम शुरू की थी। वहीं नीतीश कुमार ने ममता और चंद्रशेखर की नीतियों से अलग कांग्रेस पार्टी को केंद्र में रख साथ चलने में विश्वास जताया है। आरजेडी-जेडीयू दोनों का हीं मानना है कि कांग्रेस के बिना किसी फ्रंट की कल्पना नहीं कर सकते। ऐसे में आम आदमी पार्टी इस फ्रंट के साथ जुडेगी या नहीं कहा नहीं जा सकता लेकिन आप नेता अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। अरविंद पूरे देश में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, बंगाल में मेन-फ्रंट के साथ वामपंथ है, ममता के रूख का अभी पता नहीं और चंद्रशेखर राव कांग्रेस पार्टी के बिना हीं आगे बढना चाहते हैं। ऐसे में राजनीतिक हालात को देख यही लगता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में मेन-फ्रंट अरविंद-चंद्रशेखर-ममता के बिना हीं गठबंधन की रणनीति पर हीं काम करेगा। पोस्ट-इलेक्शन की बात अलग होगी। 

सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि नीतीश कुमार के आरजेडी-कांग्रेस-लेफ्ट के साथ मिलकर सरकार बनाने और नीतीश कुमार के बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने की  चर्चा से देश की राजनीति में इतनी हलचल क्यों है?   इस बात को समझने के लिये निम्नलिखित बिंदुओं पर दृष्टिपात करना लाजमी होगा।

- नीतीश कुमार की ईमानदार छवि। लगातार 8वीं बार मुख्यमंत्री बनना।

- केंद्रीय राजनीति और कार्यपालिक का अनुभव। रेल, कृषि और भूतल परिवहन मंत्री रह चुके हैं अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में।

- राष्ट्रीय पहचान होना।

- बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से विद्धुत इंजीनियरिंग में स्नातक।

- सामाजिक दृष्टिकोण से ओबीसी समाज का होना। 

इस गंभीरता को कोई समझे या नहीं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जरूर समझ चुके होंगे। नीतीश कुमार कितने विद्धान हैं या ईमानदार राजनीतिज्ञ हैं या राष्ट्रीय पहचान वाले हैं इससे बीजेपी नेतृत्व को अधिक फर्क नहीं पड़ता, लेकिन इतने गुणों के साथ नीतीश कुमार का ओबीसी समाज से होने का अर्थ, वे जरूर समझ रहे होंगे। मुस्लिम समाज भी नीतीश कुमार को सहज हीं स्वीकार करता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों हीं ओबीसी समाज से हैं। दोनों को हीं हर वर्ग का समर्थन हासिल है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव जहां एकतरफा होने की चर्चा थी राजनीतिक गलियारों में, वहीं अब रोचक स्थिति बनते जा रही है। साथ हीं नीतीश कुमार भी समझ रहे होंगे कि जहां एक ओर उनके सामने वैश्विक लीडर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से राजनीतिक लड़ाई है, तो वहीं दूसरी ओर विभाजित विपक्ष को एक छतरी के नीचे लाने की चुनौती।

नोट - लेखक राजेश कुमार, ग्लोबल खबर globalkhabar.com के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार हैं। मीडिया में 27 से अधिक वर्ष का अनुभव। इस बीच वे करंट न्यूज हिंदी, नवभारत टाइम्स, जी न्यूज, स्टार न्यूज व एबीपी न्यूज में लंबे समय तक कार्यरत रहे।