पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का निधन। ( जन्म 11 दिसंबर 1935-निधन 31 अगस्त 2020)

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का निधन। ( जन्म 11 दिसंबर 1935-निधन 31 अगस्त 2020)

टाइम्स खबर timeskhabar.com

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन। वे 84 साल के थे। वे 10 अगस्त को दिल्ली स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल होस्पिटल में भर्ती हुए थे। उनका  ब्रेन सर्जरी हुआ था। इससे पहले की गई जांच में वे कोविड-19 से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी।उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था।  पूर्व राष्ट्रपति के पुत्र अभिजीत ने ट्वीट कर अपने पिता ( पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी) के निधन की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि  डॉक्टरों को प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका ।  पुत्री शर्मिष्ठा ने भावुक ट्वीट किया और लिखा कि आपके पंसदीदा कवि की पंक्तियों के साथ आपको आखिरी गुडबाय। आपने देश की सेवा में अपना जीवन बिताया। आपकी पुत्री के रूप में मेरा जन्म होना, इसे मैं अपना सौभाग्य मानती हूं। 

उनके ट्वीट निम्नलिखित हैं अंग्रेजी में - 

I bow to all🙏 

Baba, taking the liberty to quote from your favourite poet to say your final goodbye to all.

You have led a full, meaningful life in service of the nation, in service of our people. 

I feel blessed to have been born as your daugher.

पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी के निधन के बाद भारत सरकार ने 7 दिनों के राजकीय शोक का ऐलान किया। 31 अगस्त से 6 सितंबर के बीच 7 दिनों का राजकीय शोक।  वे पहले राष्ट्रपति हैं जो विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री जैसे कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल चुके हैं।  साल 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई साल 2017 तक देश के रहे।   

- राष्ट्रपति प्रणव कुमार मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल में वीरभूम जिले के मिराती (किर्नाहार) गांव में हुआ था। 

- इनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी । पत्नी शुभ्रा मुखर्जी।

- उनके पिता 1920 से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय होने के साथ पश्चिम बंगाल विधान परिषद में 1952 से 64 तक सदस्य और वीरभूम (पश्चिम बंगाल) जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे।

- उनके पिता एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफत के परिणामस्वरूप 10 वर्षो से अधिक जेल की सजा भी काटी थी।

- 22 वर्ष की आयु में 13 जुलाई 1957 को शुभ्रा मुखर्जी के साथ हुआ था। 

- कुल तीन बच्चे हैं - दो बेटे और एक बेटी। 

- साल 2012 से 2017 तक राष्ट्रपति। 

- 26 जनवरी 2019 को भारत रत्न से सम्मानित। 

- उनका व्यक्तिगत शौक - संगीत सुनना, बागवानी करना और पढना । 

- उन्होंने किताब 'द कोलिएशन ईयर्स: 1996-2012' लिखा ।

- सूरी (वीरभूम) के सूरी विद्यासागर कॉलेज में शिक्षा पाई, जो उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था।

- कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री हासिल की है। उन्हें मानद डी.लिट उपाधि भी प्राप्त है। 

- वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक भी रह चुके हैं। उन्होंने पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। वे बाँग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक (मातृभूमि की पुकार) में भी काम कर चुके हैं।

- प्रणव मुखर्जी बंगीय साहित्य परिषद के ट्रस्टी एवं अखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे।[

राजनीतिक कैरियर : 

-  संसदीय कैरियर की शुरूआत 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में शुरू हुआ था। 

- वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से राज्य सभा के लिये चुने गये। 

- 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल हुए।

- 1982 से 1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने गये और सन् 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने। 

- सन 1984 में, यूरोमनी पत्रिका के एक सर्वेक्षण में उनका विश्व के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रूप में मूल्यांकन किया गया।

-  उनका कार्यकाल भारत के अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के ऋण की 1.1 अरब अमरीकी डॉलर की आखिरी किस्त नहीं अदा कर पाने के लिए उल्लेखनीय रहा। 

-  जब प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री थे तब  डॉ॰ मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे। 

-  इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के बाद राजीव गांधी की समर्थक मंडली के षडयंत्र के शिकार हुए।  इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने दिया। कुछ समय के लिए उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया। 

- कांग्रेस पार्टी से निकाले जाने के बाद  उन्होंने अपने राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया, लेकिन सन 1989 में राजीव गांधी के साथ समझौता होने के बाद उन्होंने अपने दल का कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया। 

- उनका राजनीतिक कैरियर उस समय पुनर्जीवित हो उठा, जब पी.वी. नरसिंह राव ने पहले उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में और बाद में एक केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री के तौर पर नियुक्त करने का फैसला किया। 

- उन्होंने राव के मंत्रिमंडल में 1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया। 1997 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद चुना गया।

- 1985 के बाद से वे पश्चिम बंगाल कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी रहे। 

- साल 2004 में जब डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने उस दौरान वे लेकसभा में सदन के नेता बने। वे पहली बार जंगीपुर संसदीय सीट से चुनाव जीते थे। 

- वे वित्त, रक्षा, विदेश मंत्रालय समेत कई विभागों के मंत्री रहे। 

कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे। वे प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखते थे लेकिन राजनीतिक हालात ऐसे थे कि वे प्रधानमंत्री नहीं बन सके और बाद में साल 2012 में राष्ट्रपति बने।