मन-की-बात : हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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मन-की-बात :  हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

ग्लोबल खबर globalkhabar.com

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन-की-बात (30 अगस्त ) में अप्रत्यक्ष रूप से चीन को करारा झटका दिया है। उन्होंने देश को संबोधन करते हुए आह्णान किया कि वे खिलौना बनाने और मोबाइल गेम्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने। युवाओं से कहा कि वे इस दिशा की ओर आगे बढे। प्रधानमंत्री ने किसी देश का नाम तो नहीं लिया लेकिन सभी जानते है कि खिलौना बनाना और एप्स के मामले में चीन भारतीय बाजार में छाया हुआ है। उन्होंने किसानों की तारीफ की और कहा कि इस साल बुआई 7 प्रतिशत अधिक हुई है।  इतनी हीं उन्होंने कई क्षेत्रों की ओर अपनी बात रखी जो निम्नलिखित हैं : 

- देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है, गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो ज्यादातर जगहों पर इस बार इकोफ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है।

- ओणम का पर्व धूम-धाम से मनाया जा रहा है, इस दौरान लोग कुछ नया खरीदते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, पूक्क्लम बनाते हैं, ओनम-सादिया का आनंद लेते हैं, तरह-तरह के खेल और प्रतियोगिताएं भी होती हैं, #Onam एक International Festival बनता जा रहा है।

- ओणम हमारी कृषि से जुड़ा हुआ पर्व है, ये हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी एक नई शुरुआत का समय होता है, किसानों की शक्ति से ही तो हमारा जीवन, हमारा समाज चलता है, अन्नदाता को वेदों में भी नमन किया गया है  ऋगवेद में मंत्र है- अन्नानां पतये नमः क्षेत्राणाम  पतये नमः

- हमारे पर्वों में पर्यावरण और प्रकृति के साथ सहजीवन का संदेश छिपा होता है, कई सारे पर्व प्रकृति की रक्षा के लिए मनाए जाते हैं, बिहार के पश्चिमी चंपारण में थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन या उनके शब्दों में कहें तो 60 घंटे के बरना का पालन करते हैं।

- हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया है, इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7% ज्यादा हुई है, धान की रुपाई इस बार लगभग 10%, दालें 5%, कपास 3 % ज्यादा बोई गई है, मैं इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूँ।

- हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है, कई प्रतिभाशाली कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं,  भारत के कुछ क्षेत्र खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं।

- विशाखापट्टनम में सी.वी. राजू हैं, उनके गांव के एति-कोप्पका Toys एक समय में बहुत प्रचलित थे, इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और इन खिलौनों में कोई कोण नहीं मिलता था, सी.वी. राजू ने अब अपने गाँव के कारीगरों के साथ मिलकर toys के लिए एक movement शुरू कर दिया है।

- ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री 7 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की है, लेकिन, भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है, जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या?

- खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं, अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी सँवार सकते हैं, मैं अपने start-up मित्रों से कहता हूँ कि Team up for toys, आइए मिलकर खिलौने बनाएं, Local खिलौनों के लिये Vocal होने का समय है

- आज जब हम देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं तो हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है, हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है, असहयोग आंदोलन के रूप में जो बीज बोया गया था,उसे अब आत्मनिर्भर भारत के वट वृक्ष में परिवर्तित करना हमसब का दायित्व है।

- एक app है Ask सरकार, इसमें  chat boat के जरिए आप interact कर सकते हैं और किसी भी सरकारी योजना के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकते हैं, वो भी text, audio और video तीनों तरीकों से।

- बच्चों के पोषण के लिये भी उतना ही जरुरी है कि माँ को भी पूरा पोषण मिले और पोषण का मतलब केवल इतना ही नहीं होता कि आप क्या खा रहे हैं, कितना खा रहे हैं, कितनी बार खा रहे हैं, इसका मतलब है आपके शरीर को कितने जरुरी पोषक तत्व मिल रहे हैं।

- हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज एक है सोफी और दूसरी विदा, सोफी और विदा Indian Army के श्वान हैं, Dogs हैं और उन्हें Chief of Army Staff ‘Commendation Cards’ से सम्मानित किया गया है, इन्हें यह सम्मान देश की रक्षा करते हुए अपना कर्तव्य बखूबी निभाने के लिए मिला

- Indian Council of Agriculture Research भी भारतीय नस्ल के Dogs पर research कर रही है, मकसद यही है कि Indian breeds को और बेहतर बनाया जा सके, और उपयोगी बनाया जा सके, आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता ।

- आज से 100 साल पहले असहयोग आंदोलन शुरू हुआ, तो गांधी जी ने लिखा था कि 'असहयोग आन्दोलन, देशवासियों में आत्मसम्मान और अपनी शक्ति का बोध कराने का एक प्रयास है' असहयोग आंदोलन के रूप में जो बीज बोया गया था,उसे अब आत्मनिर्भर भारत के वट वृक्ष में परिवर्तित करना हमसब का दायित्व है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो कार्यक्रम (मन-की-बात) के तहत अपनी