झारखंड के नये प्रतीक का अनावरण। मुख्यमंत्री हेमंत ने कहा यह झारखंड की संस्कृति, हरियाली, विकास, संघर्ष , क्षमता और राज्य की राष्ट्रीय भावना को दर्शाता है।

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झारखंड के नये प्रतीक का अनावरण। मुख्यमंत्री हेमंत ने कहा यह झारखंड की संस्कृति, हरियाली, विकास, संघर्ष , क्षमता और राज्य की राष्ट्रीय भावना को दर्शाता है।

 टाइम्स खबर timeskhabar.com

74वें स्ततंत्रता दिवस से एक दिन पहले झारखंड का नया प्रतीक आज लॉन्च किया गया। इस नये प्रतीक का अनावरण राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, झारखंड राज्य को बनाने में सर्वाधिक अह्म भूमिका निभाने वाले दिशोम गुरू और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधान सभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने जारी किया। यह कार्यक्रम मोहराबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार में आयोजित किया गया था। मुख्यमंत्री सोरेन ने इस मौके पर कहा कि ये नये प्रतीक झारखण्ड राज्य के जीवन दर्शन और सामूहिक शक्ति को दर्शाता है। झारखण्ड राज्य का यह नया प्रतीक चिन्ह राज्य की जनता को समर्पित करता हूँ। 

इस मौके पर झारखंड मुख्यमंत्री ने अपनी जनता को मार्मिक संदेश संदेश दिया जो निम्नलिखित है । मुख्यमंत्री सोरेन का पूरा संदेश : 

" जोहार, 74वें स्ततंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामानएं। देश की आजादी के लिये हजारों देशभक्तों ने कुर्बानियां दी। झारखंड के भूमिपुत्रों ने देश की आजादी के लिये लंबा संघर्ष किया। यहां के बाबा तिलका मांझी, सिद्दधू कानू, बिरसा मुंडा, नीलाबंर-पिताबंर, हो, विश्वनाथ साहदेव, फूलो झानो, पंडित गणपत राय, शेख भिखारी समेत अनेक वीरों ने अपनी कर्बानी देकर देश को आजाद कराया। आजादी के बाद जब नये भारत निर्माण का दौर चल रहा है तो इसमें भी झारखंड पीछे नहीं है। झारखंड के कोयले से देश को बिजली मिलती है। यहां की धरती से निकलने वाले लोहा-अयस्क से अनेकों इस्पात कंपनियां चलती हैं। झारखंड के श्रमिक भाई की मेहनत से अनकों राज्यों के खेत लहलहाते हैं। यहां के मजदूर महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली में अपना योगदान दे रहे हैं वह इसलिये है कि झारखंड के लोग भेदभाव नहीं करते। आदिवासी बहुल झारखंड की समृद्धि और संस्कृति हीं प्रमुख ताकत है। हम सभी सामुहिकता में विश्वास रखते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य, यहां के हरे भरे जंगल, यहां के नृत्य संगीत झारखंड को ताकतवर बनाता है। 

समय के साथ बदलाव जरूरी है। इसलिये झारखंड सरकार के राजकीय चिन्ह में हमने कुछ परिवर्तन करने का निर्णय लिया है। वही नया राजकीय चिन्ह आप सभी को समर्पित कर रहा हूं। झारखंड की संस्कृति यहां की जीवन शैली, यहां के पर्यावरण यहां की ताकत को , यहां की खुबसुरती को राजकीय चिन्ह में हमने किसी न किसी रूप मे दिखाने का प्रयास किया है। नया राजकीय चिन्ह चौकोर नहीं होगा यह वृताकार है। यानी गोल दिखेगा। यह विकास की प्रतीक का सूचक है। जैसे पहिया लगातार घूमता हुआ आगे बढता है। झारखंड भी विकास के पथ पर आगे बढता रहे ।

इस नये राजकीय चिन्ह में हरे रंग को प्रमुखता दी गई है। हरा रंग प्रकृति का सूचक है। झारखंड के हरियाली का प्रतीक है। झारखंड वनों का प्रदेश है। पेड़-पौधों से भरा है यह राज्य। हरा रंग खुशयाली और समृद्धि का प्रतीक है। बेहतर पर्यावरण का प्रतीक है। नये राजकीय चिन्ह में सुंदर प्लास के फूल का प्रयोग किया गया है। प्लास झारखंड का राजकीय फूल भी है। लाल रंग आग और क्रांति का प्रतीक है। वह यह बतलाता है कि झारखंड के लोगों में अदभूत क्षमता है। प्लास के फूल के नीचे का हिस्सा थोड़ा काला होता है। जो झारखंड के धरती के नीचे छिपे बहुमूल्य खनिज का सूचक है। इस नये राजकीय चिन्ह में हाथियों को दिखाया गया है। हाथियों को हम शुभ भी मानते हैं। यह ताकत की पहचान है। इससे झारखंड को असली ताकत को दिखाने का प्रयास किया गया है। यह झारखंड का राजकीय पशु भी है। अपार ताकत होने के बावजूद हाथी अनुशासित होता है। और तबतक किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता जबतक उसके साथ कोई छेड़छाड़ न हो। झारखंड के लोग भी अनुशासित है। दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाने वाले हैं। लेकिन जब उनके साथ अन्याय होता है, अन्याय किया जाता है तो वे संघंर्ष करन से भी नहीं चुकते। इस राजकीय चिन्ह में झारखंड के किसानों को, श्रमिकों को , नृत्य शैली को, सामूहिक नृत्य को दिखाया गया है। यह पूरे तौर पर झारखंड की संस्कृति से जुड़ा है। सामुहिकता झारखंड की ताकत है। लय और ताल में यहां के लोग नृत्य करते हैं तो जंगल के पशु-पक्षी भी झूमने लगते हैं। नृत्य तो झारखंड के कण-कण में समाया हुआ है। यह खुशी का प्रतीक है। उसी प्रकार यहां की श्रम शक्ति को दिखाने का प्रयास किया गया है। 

अशोक स्तंभ का राजकीय चिन्ह में इस्तेमाल किया गया है। यह राष्ट्रीय प्रतीक है। राष्ट्रीय गौरव है। यह बताता है कि देश के विकास में झारखंड हमेशा कदम से कदम मिलाकर चलने वाला राज्य है। यह प्रतीक चिन्ह हमारे संस्कृति को रेखांकित करता है। हमारे अस्मिता को धोतक है। हमारी चेतना का प्रतीक है। राजकीय प्रकृति, प्रवेश एवं यहां के लोगों के जीवन दर्शन को अपने में समेटे हुए यह हमारी पहचान है। "