मराठा आरक्षण के वैधानिक और ठोस आधार हैं। सरकार सुप्रीम कोर्ट में साबित करने के लिये पूरी तरह तैयार : कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण।

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मराठा आरक्षण के वैधानिक और ठोस आधार हैं। सरकार  सुप्रीम कोर्ट में साबित करने के लिये पूरी तरह तैयार : कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण।

टाइम्स खबर timeskhabar.com

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग जोरों पर है। इस मामले की सुनवाई 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में है। इससे पहले 10 जलाई को महाराष्ट्र कैबिनेट की उपसमिति की बैठक हुई समिति के अध्यक्ष और पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण के नेतृत्व में। बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई जिसमें उन्होंने निम्नलिखित बातों पर रोशनी डाली - 

- राज्य सरकार व्यवस्थीत रूप से अपनी बात रखेगी सुप्रीम कोर्ट में। और समुदाय के सभी वर्ग के लोगों को विश्वास में लेगी। 

- मराठा आरक्षण के लिये ठोस आधार है। मराठा आरक्षण से संबंधित प्रस्ताव विधानमंडल से पारित है।  

- मराठा आरक्षण से संबंधित सरकार की तैयारियों  को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही है।  मराठाओं को आरक्षण क्यों मिलनी चाहिये सरकार अदालत में साबित करने के लिये पूरी तरह से तैयार है। 

- कैबिनेट समिति की बैठक में समति अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण के अलावा  इस बैठक में राज्य मंत्रियों एकनाथ शिंदे, बालासाहेब थोराट, दिलीप वाल्से पाटिल और विजय वदेत्तीवार  मौजूद थे। इनके अलावा मराठा समुदाय के नेता संभाजी राजे, विनायक मेते और अन्य नेताओं ने शिरकत की।

बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने मराठा आरक्षण का समर्थन किया।  मराठा समुदाय को शिक्षा में 12 प्रतिशत और सरकारी नौकरियों में 13 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के बंबई हाई कोर्ट के फैसले को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी। मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मराठा आरक्षण बिल्कुल वैद्य है। अदालत में साबित करने के लिये सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। वहीं मंत्री दिल्ली वल्से पाटिल ने आश्वासन दिया कि सरकार इस मामले में सभी वर्गो से सहयोग लेगी। बीजेपी कार्यकाल में इसे मंजूरी दी गई थी। 

बहरहाल, मराठा आरक्षण को लेकर  लेकर पूरे राज्य में ऐतिहासिक रैली की गई। ऐतिहासिक इस मायने में कि राज्य के प्राय: सभी जिलों में रैली हुई। हर रैली में लाखों लोग जुटे और एकदम व्यवस्थित और अनुशासन के साथ। कोई नारेबाजी और शोरशराबा नहीं। इस रैली में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया। इस मौन रैली में गजब की शक्ति थी। आरक्षण से संबंधित विधेयक विधान सभा से पारित भी हो गया लेकिन यह मामला अदालत में अटका पड़ा है।