उत्तर प्रदेश : पुलिस गिरफ्त से भागने की कोशिश में मारा गया विकास दुबे।

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उत्तर प्रदेश :  पुलिस गिरफ्त से भागने की कोशिश में मारा गया विकास दुबे।

टाइम्स खबर timeskhabar.com

उत्तर प्रदेश के कानपुर में गैंगेस्टर विकास दुबे को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे 9 जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश एसटीएफ को सौंप दिया गया। एसटीएफ उसे उज्जैन से कानपुर लेकर आ रही थी। इसी बीच खबर आई कि भागने की कोशिश में हुए एनकाउंटर में विकास दुबे आज सुबह साढ छह बजे मारा गया। बताया जाता है कि एसटीएफ की गाड़ी पलट गई थी और इसी दौरान विकास ने पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। पुलिस ने उसे चेतावनी दी लेकिन वह भागने की कोशिश में लगा रहा और पुलिस टीम पर फायर किया। जवाबी हमले में गैंगेस्टर विकास दुबे मारा गया। इस एनकाउंटर में तीन पुलिसकर्मी भी घायल हुए। 

 2 जुलाई की रात बिकरू गांव में एक डीएसपी समेत आठ पुलिस जवानों का नरसंहार करने वाले गैंगेस्टर विकास दुबे मारा गया। इससे पहले इसके 5 शूटर को मार गिराया गया। दो गिरफ्तार करने सफलता हासिल हुई। और शूटरों की तलाश जारी है। 

गैंगेस्टर विकास दुबे का लंबा आपराधिक इतिहास है। वे राजनीतिक पार्टी से भी जुड़े रहे। कांग्रेस छोड़ उत्तर प्रदेश के तमाम राजनीतिक दलों से जुडे कभी बीजेपी से तो कभी बसपा से तो कभी सपा से। उसके खिलाफ 60 से ज्यादा केस थे। 

- साल 2001 में विकास ने पुलिस थाने के अंदर घुसकर राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त नेता संतोष शुक्ला की हत्या कर दी। विकास का इतना दबदबा था कि पुलिस वाले भी गवाही देने की हिम्मत नहीं जुटा पाये। पूरे प्रदेश को हिला देने  वाले वारदात में वह सबूत के अभाव में बरी हो गया। 

- राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या से पहले साल 2000 में कानपुर के ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या का आरोप। इसमें नामजद हैं।

- साल 2000 में हीं रामबाबू की हत्या की साजिश रचने का आरोप। बताया जाता है कि यह साजिश उन्होंने जेल में रहते हुए किया। 

- साल 2004 में केबल कारोबारी दिनेश दुबे की हत्या का आरोप। 

- साल 2018 में विकास ने अपने चचरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला करवाया। अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। 

बहरहाल, इस एनकाउंटर को लेकर सवाल भी उठाये जा रहे हैं। विकास का अपराध बहुत बड़ा था। लेकिन पुलिस कस्टडी में एनकाउंटर होने पर मीडिया और राजनीतिक पार्टियां सवाल उठा रही हैं।  सवाल यहीं है कि इतने दुर्दांत अपराधी को क्या बिना हथकड़ी पहनाये हीं पुलिस कानपुर लेकर आ रही थी? विकास दुबे का एक पैर डेमेज था। पैर में रॉड लगा हुआ है क्या उसके पास इतनी ताकत थी कि वह अकेले ताकतवर पुलिस जवानों को हराकर हथियार छीन ले।