भारत-चीन प्रकरण : प्रधानमंत्री को पूर्व प्रधानमंत्री की बात माननी चाहिये - कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

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भारत-चीन प्रकरण : प्रधानमंत्री को पूर्व प्रधानमंत्री की बात माननी चाहिये - कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

टाइम्स खबर timeskhabar.com

लद्दाख के गलवान घाटी में चीन द्धारा किये गये धोखे से हमले को लेकर पूरे देश में आक्रोश है। कांग्रेस पार्टी इस हमले को लेकर लगातार जहां चीन की निंदा कर रही है वहीं केंद्र सरकार पर भी सवाल उठा रही है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसको लेकर बयान जारी किया है जो निम्नलिखित है। कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने उनके बयान को ट्वीट भी किया। और लिखा कि  " पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी की महत्वपूर्ण सलाह। भारत की भलाई के लिए, मैं आशा करता हूँ कि PM उनकी बात को विनम्रता से मानेंगे।"

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का बयान :

" 15-16 जून, 2020 को गलवान वैली, लद्दाख में भारत के बीस साहसी जवानों ने सर्वोच्च कुर्बानी दी। इन बहादुर सैनिकों ने साहस के  साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए देश के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। देश के इन सपूतों ने अपनी अंतिम सांस तक अपनी मातृभूमि की रक्षा की। इस सर्वोच्च त्याग के लिये हम इन साहसी सैनिकों व उनके परिवारों के कृतज्ञ हैं। लेकिन उनका यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिये। 

आज हम इतिहास के ऐसे नाजूक मोड़ पर खड़े हैं। हमारी सरकार के निर्णय व सरकार द्धारा उठाये गये कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढियां हमारा आंकलन कैसे करे। जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है। हमारे प्रजातंत्र में यह दायित्व देश के प्रधानमंत्री का है। प्रधानमंत्री को अपने शब्दों व ऐलानों द्धारा देश की सुरक्षा एवं सामरिक व भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान होना चाहिये। 

चीन ने 2020 से लेकर आज तक भारतीय सीमा में गलवान वैली एवं पांगोंग त्सो लेक में अनेकों बार जबरन घुसपैठ की है। हम न तो उनकी धमकियों व दबाव के सामने झुकेंगे और न हीं अपनी भूभागीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे। प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके षडयंत्रकारी रूख को बल नहीं देना चाहिये तथा यह सुनिश्चित करना चाहिये कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामना करने और स्थिति को और ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिये परस्पर सहमति से काम करें। 

यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है तथा संगठित होकर इस दुस्साहस का जवाब देना है। 

हम सरकार को आगाह करेंगे कि भ्रामक प्रचार कभी भी कुटनीति तथा मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता। पिछलग्गू सहयोगियों द्धारा झूठ के आंडबर से सच्चाई को नहीं दबाया जा सकता। 

हम प्रधानमंत्री व केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वो वक्त की चुनौतियों का सामना करें, और कर्नल बी संतोष बाबू व हमारे सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरें। जिन्होंने  'राष्ट्रीय सुरक्षा' और 'भूभागीय अखंडता' के लिये प्राणों की आहुति दे दी। 

इससे कुछ भी कम जनादेश से ऐतिसाहिस विश्वासघात होगा। "