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झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन एक बार फिर राज्य सभा के लिये चुने गये। गुरूजी के नाम से देशभर में प्रसिद्ध झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे जननेता के साथ-साथ एक क्रांतिकारी नेता रहे हैं। जिन्होंने अपनी अदम साहस और नैतिकता के दम पर सरकार से भी टकराने से पीछे नहीं हटे। हर जुल्म का उन्होंने अपने तरीके से जवाब दिया। अलग झारखंड राज्य बनाने के लिये उनका ऐतिहासिक योगदान है। उनके संघर्ष के बिना इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी।
शिबू सोरेन को राजनीति की मार्ग से हटाने के लिये कई षडयंत्र रचे गये। उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई लेकिन समय के साथ साथ सब कुछ साफ होता गया और वे अपने रास्ते पर आगे बढते रहे। आज उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा सत्ता में है। 76 वर्षीय गुरूजी (जन्म 11 जनवरी 1944) की जगह उनके पुत्र हेमंत सोरेन और छोटे पुत्र बसंत सोरेन ने काफी पहले हीं झामुमो को मजबूत करने के लिये सक्रिय हो गये। आज हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। उन्हें कांग्रेस और आरजेडी का समर्थन है। इससे पहले भी गुरूजी और हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। यानी उनकी पार्टी सत्ता का नेतृत्व कर चुकी है।
झामुमो लीडर शिबू सोरेन तीन बार मुख्यमंत्री (प्रथम काल : 2 मार्च 2005 से 12 मार्च 2005 तक। द्धितीय काल : 28 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009 तक। और तृतीय काल : 30 दिसंबर 2009 से 31 मई 2010 तक। ) रहे। अल्पमत होने की वजह से तीनों हीं बार उनकी सरकार जल्द गिर गई। उनके पुत्र व झामुमो लीडर हेमंत सोरेन भी पहली बार 13 जुलाई 2013 से 23 दिसंबर 2014 तक मुख्यमंत्री रहे। आज एक बार फिर वे मुख्यमंत्री हैं। उनका दूसरा कार्यकाल 29 दिसंबर 2019 से जारी है।
यह मुकाम इतनी आसानी से हासिल नहीं हुआ। एक समय ऐसा आया कि जब उन्हें सब छोड़कर चले गये। यहां तक कि उनकी पार्टी के सांसदों ने भी दिल्ली स्थित उनके निवास आना जाना छोड़ दिया था। लेकिन उन्होंने कभी भी हिम्मत नहीं हारी। दिल्ली के गुरूद्धारा रकाबगंज स्थिति उनके सरकारी निवास स्थान से लेकर झारखंड तक बसंत सोरेन एक तरह से केंद्र बने हुए थे और जो भी लोग आते जाते थे वे उनसे मिलते।
झामुमो लीडर शिबू सोरेन केंद्र में भी मंत्री रहे। वे साल 2004 में डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में कोयला मंत्री रहे। राजनीतिक कारणों से चिरूडीह कांड को लेकर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। इसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। साल 1977 में वे पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े थे और वे हार गये थे लेकिन इसके बाद संसदीय राजनीति में उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1980 के लोकसभा चुनाव जीते और संसद पहुंचे। इसके बाद 1986, 1989, 1991, 1996, 2004, 2009, 2014 में चुनाव जीते। लगातार जीत के बाद उन्हें साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वे जननेता तो हैं हीं लेकिन उनका चुनावी जीत का रिकॉर्ड किसी भी राष्ट्रीय नेता से कम नहीं हैं। वे इस बार राज्य सभा से संसद पहुंचेगें। उन्होंने राज्य सभा चुनाव में जीत हासिल की।
8 राज्यों की 19 राज्यसभा सीटों पर हुए चुनाव के परिणाम आ गये हैं। झारखंड में दो सीटें को लिये चुनाव हुए जिसमें से एक पर झामुमो लीडर गुरूजी (शिबू सोरेन) और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने जीत हासिल की। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के पक्ष में 30 वोट पड़े और बीजेपी उम्मीदवार दीपक प्रकाश के पक्ष में 31 वोट। कांग्रेस पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था उनके उम्मीदवार शहजादा अनवर को 18 वोट मिले। राज्य सभा चुनाव में यदि विधायक पाला न बदले और जोडतोड़ न हो तो यह तय होता है कि किस पार्टी की जीत होगी। इससे पहले भी पूर्व केंद्रीय मंत्री शिबू सोरेन ने राज्य सभा ( 10 अप्रैल 2002 से 2 जून 2002 तक) के सदस्य रहे हैं।