झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कोरोना पर बातचीत की क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने। हेमंत ने कहा लॉकडाउन से पहले एक सप्ताह का समय दिया जाता श्रमिकों के घर वापसी के लिये, तो इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती।

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कोरोना पर बातचीत की क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने। हेमंत ने कहा लॉकडाउन से पहले एक सप्ताह का समय दिया जाता श्रमिकों के घर वापसी के लिये, तो इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती।

टाइम्स खबर timeskhabar.com

कोरोना वायरस की वजह से भारत समेत पूरे विश्व में घमासान मचा हुआ है कि इससे कैसे बचा जाये। इसके लिये वैज्ञानिक परीक्षण जारी है। लेकिन इस बीच देश में लॉकडाउन की वजह से प्रवासी श्रमिकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है घर वापसी के लिये। केंद्र सरकार इसके लिये राज्य सरकार को दोषी ठहरा रही है तो गैर बीजेपी शासित राज्य सरकारें केंद्र को दोषी ठहरा रहे हैं। इस बीच झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्र जानबूझकर विपक्षी पार्टी वाले राज्य सरकारों को परेशान कर रही है। उन्होंने ये बातें क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से खास बातचीत में कही। इस बातचीत के मुख्य अंश :

- केंद्र सरकार गैर बीजेपी शासित राज्यों की सरकार को परेशान कर रही है और बीजेपी शासित राज्यों को बैकडोर से मदद दी जा रही है। 

- श्रमिकों की मदद के लिये वे बीते दो-तीन दिनों से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से फोन पर बातचीत की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वे फोन नहीं नहीं ले रहे हैं। 

- झारखंड भंयकर आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। इस मुद्दे को केंद्र तक उठाया गया।

- जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास टैक्स वसूलने का अधिकार नहीं है। 

-  कोरोना के मैनेजमेंट में केंद्र से बड़ी गलतियां हुई हैं। उन्होंने कहा कि-'अगर केंद्र लॉकडाउन लगाने के पहले मजदूरों को घर वापसी के लिए एक हफ्ते का समय दे देता तो आज इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती. लोग पटरियों पर, सड़कों पर नहीं मरते।

- जब 500 संक्रमित थे तो लॉकडाउन किया, जब मामले 1 लाख से ज्यादा हैं तो लॉकडाउन खोल दिया. इसका नतीजा ये है कि जो संक्रमित नहीं थे, वो भी संक्रमित हो रहे हैं।

- पहले मजदूरों को रोका और फिर जब लगा कि शहरों में खून खराबा होगा तो मजदूरों के लिए ट्रेन चलाई. मजदूरों के लिए शहरों में रहने और खाने का इंतजाम कर देते तो ये नौबत नहीं आती।

- आज स्थिति ये है कि ट्रेन चलती है कहीं के लिए है और पहुंच कहीं और जाती है. अचानक कहीं ट्रेन पहुंच जाती है तो वहां के प्रशासन के लिए संभालना मुश्किल हो जाता है'।

- कई राज्यों में झारखंड के मजदूरों को जबरन रोका गया है। तमिलनाडु की एक मिल में 140 महिला मजदूरों को बंधक बनाकर रख लिया गया है।

- झारखंड के श्रमिकों को गुजरात में गैर कानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया है।

- हरियाणा मजदूरों की वापसी पर झारखंड के आग्रह का जवाब ही नहीं देता. 

- और इन चीजों पर जब केंद्र से मदद मांगते हैं तो वो भी नहीं मिलती। 

- झारखंड के लिए अभी महज 166 श्रमिक ट्रेन चली हैं. हर ट्रेन में 1200 से 1500 मजदूर आए हैं. जबकि रजिस्टर्ड मजदूरों की संख्या 7 लाख के करीब है. ऐसे में झारखंड के बहुत से मजदूर देश के अलग-अलग शहरों में आज भी फंसे हुए हैं। केंद्र ने राज्यों को उलझा कर रखा है। हम मजदूरों के लिए सर्विस प्लेन की व्यवस्था करेंगे।

बहरहाल एक सवाल के जवाब में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दावा किया कि उनके राज्य में कोई प्रवासी श्रमिक पैदल चलता दिखाई नहीं देगा। कोई भूखा नहीं है। हाइवे पर हर 20 किलोमीटर पर सामुदायिक किचन चल रहे हैं। जिला और पंचायत स्तर पर क्वॉरन्टीन सेंटर है। गांव में कोई संक्रमित नहीं है, जो बाहर से आ रहे हैं वही संक्रमित हैं। बाहर से आ रहे मजदूरों को तुरंत रोजगार दे रहे हैं। हमारे यहां कैश ट्रांसफर की जरूरत नहीं, क्योंकि तुरंत रोजगार और खाद्यान्न दे रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन देश के बारहवें प्रभावशाली व्यकित हैं। 

 

नोट - देश के 12 वें प्रभावशाली व्यक्ति और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ये पूरी बातें क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से एक विशेष इंटरव्यू में कही। इंटरव्यू वीडियो काफ्रेंसिग के मार्फत हुआ। इंटरव्यू के अंश हिन्दी न्यूज वेबसाइट द क्विंट से लिये गये हैं। विस्तार से इंटरव्यू देखने या पढने के लिये न्यूज वेबसाइट हिन्दी क्विंट http://hindi.thequint.com/ देखें।