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टाइम्स खबर timeskhabar.com

कोरोना वायरस की वजह से भारत समेत लगभग पूरी दुनिया में लॉकडाउन है। देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। श्रमिकों के पास न काम है और न ही पॉकेट में दो जून की रोटी खाने के लिये पैसे। ऐसे मे हा-हा कार मचा हुआ है। इस बीच केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रूपये पैकेज का ऐलान किया है। इसको लेकर सवाल किये जा रहे हैं । कोरोनो वायरस महामारी को लेकर हम सभी के पास सरकार से पूछने के लिए कई सवाल हैं। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सरकार हमारी अर्थव्यवस्था और आजीविका को बचाने के लिए क्या कर रही है? सरकार प्रवासी संकट से कैसे निपट रही है? सरकार ने हाल ही में 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज पेश किया, क्या ये एक क्रांतिकारी कदम या सिर्फ छलावा? क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने इन सारे सवालों पर पूर्व वित्त मंत्री पी चितंबरम से बातचीत की। 

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्धारा 20 लाख करोड़ रूपये पैकेज का ऐलान एक धोखा है। “ये 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज कहां है? सही संख्या 1,86,650 करोड़ रुपये है। हर बैंक ने पैकेज के राजकोषीय मूल्य का आकलन किया है और 3 लाख करोड़ रुपये सबसे उदार मूल्यांकन है। सरकार के पास उस तरह का पैसा नहीं है।

- 'रेटिंग डाउनग्रेड एक दलदल है'। लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था की हालत खराब है ऐसे में ग्लोबल रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग घटा रही हैं, इस पर चिदंबरम ने कहा - “रेटिंग डाउनग्रेड एक दलदल है। भारत अकेला देश नहीं है, हर देश मंदी के दौर से गुजर रहा है. अगर वे भारत को अपग्रेड करते हैं, तो उन्हें दुनिया भर के सैकड़ों देशों को अपग्रेड करना होगा. तब भी सापेक्ष रेटिंग समान रहेगी.”

- ‘लोग माफ कर सकते हैं, भूलेंगे नहीं’लॉकडाउन को लेकर की गई लापरवाहियों के बारे में चिदंबरम ने कहा -“वर्तमान सरकार इस तथ्य का लाभ उठा रही है कि अगला आम चुनाव चार साल दूर है, लेकिन भारत के लोग मूर्ख नहीं हैं. उन्होंने पिछले दो वर्षों में बहुत कुछ झेला है, और उनका दुख आज अभूतपूर्व है, वो चार साल बाद भी इसे याद रखेंगे. वो आज सरकार को माफ कर सकते हैं लेकिन सरकार ने आज उनके साथ जो किया उसे वो कभी नहीं भूलेंगे. ”

- लॉकडाउन को लेकर चिदंबरम ने कहा कि पीएम अपनी जिम्मेदारी राज्यों पर टाल रहे हैं.  कोई भी आत्मनिर्भरता के बारे में शिकायत नहीं कर रहा है. सभी देश आत्मनिर्भर और यथासंभव आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं. लेकिन इसका मतलब दुनिया से खुद को बंद करना नहीं है. एक प्रतिस्पर्धी माहौल रखना होगा.

- पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के सुझावों और सलाह को स्वीकार नहीं कर रही है. जैसे उन्होंने बताया कि गोल्ड बॉन्ड, सरकारी जमीन बेचने और मंदिरों में पड़े सोने को निकालने की स्कीम फेल होने वाली है क्योंकि इस वक्त कोई अपना सोना गिरवी नहीं रखेगा और इस मंदी के समय कौन जमीन खरीदना चाहेगा. चिदंबरम के मुताबिक 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर रहने वाली है. चिदंबरम का अनुमान है कि इस साल जीडीपी 5% निगेटव में रहने वाली है।

 

नोट - देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस लीडर पी चिदंबरम ने ये पूरी बातें क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से एक विशेष इंटरव्यू में कही। इंटरव्यू वीडियो काफ्रेंसिग के मार्फत हुआ। इंटरव्यू के अंश हिन्दी न्यूज वेबसाइट द क्विंट से लिये गये हैं। विस्तार से इंटरव्यू देखने या पढने के लिये न्यूज वेबसाइट हिन्दू क्विंट http://hindi.thequint.com/ देखें।