प्रधानमंत्री के 20 लाख के पैकेज और वित्त मंत्री की घोषणाएं स्वागत योग्य है लेकिन नई इंडस्ट्रीज लगाने वालों को पांच साल तक कर मुक्त रखना चाहिये - जीएसटी सलाहकार सुरेंद्र अरोड़ा।

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 प्रधानमंत्री के 20 लाख के पैकेज और वित्त मंत्री की घोषणाएं स्वागत योग्य है लेकिन नई इंडस्ट्रीज लगाने वालों को पांच साल तक कर मुक्त रखना चाहिये - जीएसटी सलाहकार सुरेंद्र अरोड़ा।

टाइम्स खबर timeskhabar.com

कोराना वायरस और लॉकडाउन की वजह से उत्पन्न संकट से निपटने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ पैकेज का ऐलान किया है। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार दो दिन पैकेज के ब्रेकअप का खुलासा किया। दूसरे दिन प्रवासी मजदूर और छोटे किसानों के लिये ऐलान किया। इसको लेकर राजनीतिक दलों ने विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं दी है लेकिन झारखंड जीएसटी सलाहकार समिति के सदस्य सुरेंद्र अरोड़ा ने इसका स्वागत किया है। 

व्यवसायी सुरेंद्र अरोड़ा ने कहा कि प्रधानमन्त्री जी की 20 लाख के पैकेज एवं वित्त मन्त्री की घोषणाएँ लघुउद्योग, बिल्डरो,आम कामगारों एवं किसानो के लिये स्वागत योग्य हैं।  इनके दूरगामी परिणाम आयेंगे। स्वदेशी को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि अभी तक की घोषणाएं आगे व्यापार में सहयोग कर सकती हैं लेकिन तात्कालिक राहत नही दे सकती। किसी भी सरकार की योजनाएँ दीर्घकालिक एवं तात्कालिक होती हैं। अभी तक की घोषणाएं दीर्घकालिक हैं जबकि अभी तत्कालिक राहत की ज़रूरत है। 

उन्होंने कहा कि अगर सही मायने में राहत देनी है तो लॉक डाउन के अंतराल में फेक्टरी में काम करने वाले कामगारों की सेलरी का कुछ हिस्सा सहयोग स्वरूप फेक्टरी मालिकों को सीधे तौर पर देना चाहिये था ताकि वे मज़दूरों को मज़दूरी देने से मना नहीं करें। जो आज ये कह रहें हैं कि हम मज़दूरों को मज़दूरी नही देंगे चाहे सरकार जेल भेज दे। रही बात स्वदेशी प्रोडेक्ट को बढ़ावा देने कि तो मेरा सुझाव है नई इण्डस्ट्रीज लगाने वालों को पाँच साल तक सभी करों से मुक्त रखना चाहिये।

व्यवसायी सुरेंद्र अरोड़ा ने कहा कि आशा करता हूं अगले चरण में मध्यम वर्ग के व्यवसाइयों के लिये सीधे तौर पर सहयोग मिलेगा जैसे मध्यम वर्ग के व्यवसाइयों को कोमपजिसन GST में 25 प्रतिशत की राहत राशि , सीसी लिमिट लोन की तीन महीनो का ब्याज माफ़,रीटेल सेक्टर को मज़बूत करना और बेरोज़गारी को रोकने के लिये ऑनलाइन व्यापार पर रोक।  आज पूरे देश में मध्यम वर्ग के रीटेल व्यवसाइयों की तक़रीबन 6 से 7 प्रतिशत संख्या है और उनके यहाँ कार्य करने वाले कर्मचारियों की संख्या परिवार सहित दुगनी है। लेकिन मूठी भर ऑनलाइन व्यापार करने वाले इन सभी पर ख़तरा बने हुए हैं। सरकार को गम्भीरता से लेना होगा नहीं तो आने वाले समय मे बेरोज़गारी सरकार के लिये बहुत बड़ी चुनौती साबित होगी।