ब्रहमेश्वर सिंह की हत्या।

ब्रहमेश्वर सिंह की हत्या।

आरा। बिहार के भोजपुर रणवीर सेना के संस्थापक प्रमुख ब्रहमेश्वर सिंह की गोली मार हत्या कर दी गई। इसके बाद बिहार का माहौल गरमा गया है। बीजेपी, कांग्रेस, राजद समेत सभी राजनीतिक दलों ने इस घटना की निंदा की है। और इस हत्या कांड की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। ब्रह्मेश्वर सिंह पर दो दर्जन से अधिक नरंसहार कराने का आरोप है।

मुखिया ब्रहमेश्वर सिंह की हत्या की खबर फैलते हीं शहर में तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई। सुबह सुबह जब वे घुमने निकले थे तभी अज्ञात अपराधियों ने उनपर ताबडतोड गोलियां चला दी। उन्हें चालीस गोली मारी गई।

सीबीआई जांच होः लालू

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने इस हत्या कांड की कड़ी निंदा की और सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सी.पी. ठाकुर ने भी मामले की सीबीआई जांच कर हत्यारों को जल्द गिरफ्तारी की मांग की है। लालू यादव और सी पी ठाकुर के साथ सभी पार्टी के लोगों ने सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।

शांति बनाये रखने की अपील – नितिश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों से शांति और सौहार्द बनाये रखने की अपील की है। नितिन अपनी सेवा यात्रा के दौरान भागलपुर में है। आरा में रणवीर सेना के प्रमुख ब्रह्मेश्वर सिंह की हत्या के बाद शहर में तनाव और उपद्रव का माहौल है।

शहर में तनाव –

सिर्फ आरा शहर में नहीं बल्कि पूरे बिहार में तनाव का महौल है। बीडीओ दफ्तर को आग के हवाले कर दिया गया है। रेलवे स्टेशन पर तोडफोड़ की गई। वाहनों में आग लगा दिया गया। आरा में तो हिंसा को देखते हुए कर्फ्यू तक लगा दिया गया। अर्द्ध सैनिक बल सीआरपीएफ की तैनाती कर दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय भी राज्य प्रशासन से संपंर्क बनाये हुए है। मध्य बिहार मे भी जहां हिंसा होने की आंशका है वहां सुरक्षा बल तैनात कर दिये गये हैं।

कौन थे ब्रह्मेश्वर सिंह?

ब्रहमेश्वर सिंह मुखिया के नाम से मशहूर थे। भोजपुर जिले के खोपिरा गांव के रहने वाले ब्रहमेश्वर सिंह ने 1994 में रणवीर सेना का गठन किया। रणवीर सेना से जुडे लोगों का दावा है कि इस सेना का गठन नक्सलियों से किसानों को बचाने के लिये किया गया है। ब्रहमेश्वर सिंह के खिलाफ कुल 22 मामले हैं जिसमें से 16 मामलों में उनकी जमानत हो चुकी है। ब्रह्मेश्वर को 29 अगस्त 2002 को पटना में अरेस्ट किया गया था, जिसके बाद रणवीर सेना का आधार खत्म हो गया। कुछ ही महीने पहले उन्हें जमानत पर रिहा किया गया था।

नरसंहारो का दौर -

अल्ट्रा वामपंथ की राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि बिहार में सामंतों ने गरीबों का जीना हराम कर दिया था। जमींदार गुलाम की तरह खेती मजदूरों से काम करवाते थे। पैसे मांगने पर उन्हें बूरी तरह मारते पीटते थे। इसी के जबाव में गरीबों को अल्ट्रा लेफ्ट ने साथ दिया और जुल्म ढाने वाले जमींदारों को मारना शुरू किया। बहरहला गरीबो के समर्थन में उठे अल्ट्रा लेप्ट से टक्कर लेने के लिये रणवीर सेना का गठन हुआ। इसके बाद रणवीर सेना ने जबरदस्त नरसंहार किया। दोनो ओर से हिंसा ने जब जोर पकड़ा और दोनो ही ओर के लोग मारे जाने लगे तब जाकर यह मामला शांत पड़ा।

रणवीर सेना और नक्सलियों के बीच कई नरसंहार हुए। लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार इसमें सबसे बड़ा है। पिछड़ी जातियों के 11 लोगों की हत्या के जबाव में नक्लियों ने ऊंची जाति के 37 लोगों की हत्या कर जबाव दिया। इसके जबाव में 1997 में किए गए इस नरसंहार में 50 से अधिक दलित समुदाय के लोगों की हत्या कर दी गई थी। इसके लिये ब्रह्मेश्वर सिंह को मुख्य अभियुक्त माना गया था।

निष्कर्ष -

बिहार में जातीय संघर्ष एक सच्चाई है। लेकिन पिछले कुछ सालों से जातीय सौहार्द बना हुआ है। लेकिन ब्रहमेश्वर सिंह की हत्या को लेकर कुछ संशय की स्थिति जरूर बन गई है लेकिन उम्मीद है कि बिहार पहले की तरह फिर जातीय संघर्ष में फिर नहीं उलझेगा।