आम नागरिक पुष्पेंद्र यादव की हत्या हुई या एनकाउंटर पुलिस संदेह के घेरे में। उत्तर प्रदेश सरकार अखिलेश के सिटिंग जज से जांच की मांग से घबराई और इंकार किया।

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आम नागरिक पुष्पेंद्र यादव की हत्या हुई या एनकाउंटर पुलिस संदेह के घेरे में। उत्तर प्रदेश सरकार अखिलेश के सिटिंग जज से जांच की मांग से घबराई और इंकार किया।

टाइम्स ख़बर timeskhabar.com

उत्तर प्रदेश में झांसी के रहने वाले पुष्पेंद्र यादव की मौत ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े कर दिये हैं। पुलिस का मानना है कि वह अपराधी था और एनकाउंटर में मारा गया। लेकिन परिवार वालों का कहना है कि उसके पास रिश्वतकांड के सबूत थे इसलिये उसे मार गिराया गया। यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल उठाये और हाईकोर्ट के सिटिंग जज से हत्याकांड की जांच करने की मांग की। लेकिन बीजेपी सरकार ने इसे ठुकरा दिया। 

अखिलेश ने सिटिंग जज से जांच कराने की मांग को ठुकराये जाने पर कहा कि बीजेपी सरकार ने न्याय का भी एनकाउंटर कर दिया। देखते हैं भाजपा कब तक सच से भागेगी। फ़र्ज़ी एनकांउटर और राजनीतिक संरक्षण में बेख़ौफ़ फलफूल रही अराजकता से प्रदेश की जनता त्रस्त हो चुकी है। 

पुलिस का बयान हीं संदेह पैदा करता है : 

पुलिस पुष्पेंद्र यादव को खनन माफिया कह रही है। लेकिन उसके पास एक भी सबूत नहीं है कि वह अपराधी है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वहां के पुलिस अधीक्षक और एनकाउंटर में घायल बताये जा रहे इस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान के बयान अलग अलग हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि धर्मेंद्र छुट्टी पर गए हुए थे और अपनी प्राइवेट गाड़ी से अकेले झांसी लौट रहे थे। फोन करके उन्हें किसी ने मिलने के लिए कहा और वो रुक गए। जहां उनपर हमला हुआ। जबकि इंस्पेक्टर का कहना है कि वो थाने से गश्त के लिए निकले थे और एक कॉन्सटेबल उनके साथ था। रात को रास्ते में एक आदमी ने हाथ दिया और उन्होंने गाड़ी रोक दी वहां हमला हुआ। और वो उनकी क्रेटा गाड़ी और मोबाइल लेकर भाग गए। हो सकता है कि इंस्पेक्टर उसी दिन छुट्टी से लौटे हों और थाने चले गए हों, लेकिन यहां एक बात समझ नहीं आती कि ट्रक सीज करने के गुस्से में इंस्पेक्टर पर फायर करने वाले लोग उनकी गाड़ी और फोन लेकर क्यों भागेंगे?

परिवार का आरोप पुष्पेंद्र की हत्या की पुलिस ने  : 

पुष्पेंद्र की शादी तीन महीने पहले ही हुई थी। उनकी पत्नी 19 साल की है। उनके आंसू थम नहीं रहे। इनका आरोप है कि इंस्पेक्टर ट्रक छोड़ने के लिये डेढ लाख रूपया रिश्वत मांग रहा था। पुष्पेन्द्र 50 हजार पहले दे चुके थे।  50 हजार की रकम उसी दिन लेकर गये थे। इंस्पेक्टर और पैसे मांग रहा था, बात नहीं बनी तो पुष्पेंद्र ने अपनी रकम वापस मांगी। इसी विवाद में पुष्पेन्द्र को मार डाला गया। परिवार के आरोप से पुलिस पर और भी संदेह गहरा हो जाता है - 

- जब्त ट्रक को छुड़ाने के बदले रिश्वत मांग प्रकरण को लेकर पुष्पेंद्र यादव की हत्या। 

- पुष्पेंद्र की मौत को बाद परिजन एफआईआर दर्ज करवाने पहुंचे तो सुनने वाला कोई नहीं। पुष्पेंद्र पर ही हमला और लूट का मामला दर्ज किया गया।

- पुष्पेंद्र का पोस्टमार्टम पुलिस ने खुद ही करवा लिया। कोई जानकारी नहीं दी गई। 

- पुलिस इतनी जल्दी में थी कि अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठे परिवार वालों की परवाह किये बगैर सोमवार रात मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया। 

पुलिस के इस व्यवहार से लोग बेहद गुस्से में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ साथ बसपा लीडर मायावती ने भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधा और जंगल राज करार दिया। अखिलेश यादव झांसी पहुंच परिवार वालों से मुलाकात की और हर स्थिति में उनके साथ खड़े रहने का भरोसा दिलाया। 

बहरहाल पुष्पेंद्र यादव झांसी के करगुआं का रहने वाला था। उनके पिता सीआईएसएफ में थे। आंखो की रोशनी चले जाने के बाद पुष्पेंद्र के बड़े भाई रवींद्र को उनकी जगह नौकरी मिल गई। उनका एक और भाई दिल्ली मेट्रो में काम करता है। और पुष्पेंद्र के पास दो ट्रक थे जिससे वह गिट्टी और बालू की ढुलाई करता था।