गगनयान प्रोजेक्ट : इसरो अंतरिक्ष में इंसान को भेजने की तैयारी में। कार्य जारी - इसरो प्रमुख डॉ के. सिवन।

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गगनयान प्रोजेक्ट : इसरो अंतरिक्ष में इंसान को भेजने की तैयारी में। कार्य जारी - इसरो प्रमुख डॉ के. सिवन।

राजा विक्रम , टाइम्स खबर timeskhabar.com

भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक लंबा छलांग लगाने की तैयारी में जुटा है। साल 2022 तक गगनयान-प्रोजेक्ट के तहत इंसान को अंतिरक्ष में भेजने की तैयारी की जा रही है। संभव है साल 2021 के अंत तक इस मिशन को पूरा कर लिया जाये। इसके लिये पिछले साल यानी साल 2018 के 28 दिसंबर को केंद्र सरकार ने दस हजार करोड़ के बजट को मंजूरी दी है। इस दिशा में रूस ने भी भारत को मदद करने का आश्वासन दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने गगनयान को लेकर कहा है कि इससे देश की विज्ञान और तकनीकी क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि साल 2020 दिसंबर तक हम पहला मानवरहित मिशन शुरू करने जा रहे हैं। दिसंबर 2021 तक पहले भारतीय को अपने रॉकेट से अंतरिक्ष में पहुंचाया जाएगा। यह हमारा लक्ष्य है। इस पर इसरो में कार्यजारी है। गगनयान प्रोजेक्ट सफल होता है तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जायेगा। 

आईये जानते हैं इस अभियान से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातों को : 

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को लाल किले से ऐलान कर चुके हैं कि साल 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जायेगा।

- अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय कम से कम सात दिनों तक अंतरिक्ष में रहेंगे। 

- इस अभियान के लिये दस हजार करोड़ के बजट को मंजूरी। 

- इस अभियान की मुख्य जिम्मेवारी इसरो के कंधों पर होगी।  

- इसरो इसे सफल बनाने के लिये  तमाम राष्ट्रीय एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, शिक्षा संस्थानों तथा उद्योग क्षेत्र के साथ व्यापक सहयोग करने की योजना बनायेगी।   

- गगनयान के लिए जीएसएलवी एमके-III का उपयोग किया जायेगा।  इसमें  तीन क्रू सदस्यों को ले जाने लिए आवश्यक प्रावधान होंगे।  

गगनयान प्रोजेक्ट के लिये तेजी से कार्य किये जा रहे हैं। देश के वैज्ञानिक पूरी क्षमता से कार्यरत हैं। इसरो का कहना है कि चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो सकने का इस प्रोजेक्ट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दोनो ही अलग अलग मिशन है। बताया जाता है कि इसरो ने मानव रहित अंतरिक्ष विमान के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी संपन्न क्रू स्केप सिस्टम का परीक्षण भी कर लिया है।

- GSLV Mk-IIIX मिशन विमान के हिस्से के रूप में क्रू मॉड्यूल का एरोडायनेमिक चित्रण पूरा कर लिया गया है। 

- लाइफ सपोर्ट सिस्टम तथा अंतरिक्ष पोशाक प्राप्त कर लिए गए हैं और इनका परीक्षण किया गया है। 

- इसरो ने मानव अंतरिक्ष विमान मिशन के लिए अधिक से अधिक आवश्यक बुनियादी टेक्नोलॉजी का विकास और प्रदर्शन किया है। गगनयान के फायदों की बात करें तो 

- इस कार्यक्रम से देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। 

- गगनयान टेक्नोलॉजी के  प्रशिक्षण के लिए अंतरिक्ष में एक अनूठा सूक्ष्म गंभीर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा ।

- इस कार्यक्रम से रोजगार सृजन, मानव संसाधन विकास तथा वृद्धि सहित औद्योगिक क्षमताओं के संदर्भ में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी ।  

- गगनयान भारत को दीर्घकालिक राष्ट्रीय लाभों के साथ भविष्य में वैश्विक अंतरिक्ष खोज कार्यक्रमों में सहयोगी के रूप में भागीदारी के लिए सक्षम बनाएगा। 

बहरहाल अंतरिक्ष की दुनिया में अमेरिका, रूस और चीन अग्रणी है। यदि भारत इस अभियान मे सफल होता है तो वह इन देशों के बाद चौथा देश होगा।