आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और विकास का प्रतीक है राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा।

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आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और विकास का प्रतीक है राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का विशेष सम्मान है। धर्म-जाति-भाषा आदि मसलों को लेकर देश के अंदर कितने भी मतभेद हों लेकिन जब राष्ट्र पर कोई संकट आता है तो सभी भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंग की छत्रछाया में एक हो जाते हैं। लौह पुरूष के नाम विश्व चर्चित सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी कहा था कि देश की मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवाश रहा है। राष्ट्रीय ध्वज की अभिकल्पना आंध्र प्रदेश के रहने वाले कृषि वैज्ञानिक व स्वतंत्रा सेनानी पिंगली वैंकेया ने की थी। और इसे संविधान सभा ने अपनाया था 22 जुलाई 1947 को। आईये जानते हैं अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में।  

- राष्ट्रीय ध्वज में तीन समान चौड़ाई के क्षैतिज पट्टियां हैं - सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी है। 

- ध्वज की लंबाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद रंग के पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें 24 आरे (तीलियों) हैं। 

- चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है। इसे सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। 

- राष्ट्रीय ध्वज से साफ इंगित होता है कि भारत आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और सदैव विकास की ओर अग्रसर है।

- राष्ट्रीय ध्वज खादी के कपड़ो से बनाया जाता है। 

- केसरिया रंग : राष्ट्रीय ध्वज में सबसे ऊपर केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है।

- श्वेत रंग - बीच की पट्टी सफेद रंग की है जो शांति और सत्य का प्रतीक है।

- हरा रंग - सबसे नीचे हरी पट्टी है जो उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है। 

- धर्म चक्र - धर्म चक्र को विधि चक्र भी कहते है। इसे सम्राट अशोक द्धारा निर्मित सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। इस चक्र में 24 तीलियां है जो यह दर्शाता है कि दिन-रात के 24 घंटे जीवन गतिशील है। और रूकने का अर्थ मृत्यु है। 

- अधिकृत तौर पर राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर्नाटक के हुबली जिले के बंगरी स्थित तुलसीगिरी में तैयार किया जाता है। यहां कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त केंद्र द्धारा तैयार किया जाता है। 

 

राष्ट्रीय ध्वज को फहराने को लेकर कड़े नियम थे लेकिन 26 जनवरी 2002 को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया। इसके तहत अब भारत के प्रत्येक नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्रियों आदि संस्थानों में न केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की अनुमति मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते है, बशर्ते कि वे ध्वज की संहिता का कड़ाई से पालन करें और तिरंगे के सम्मान में कोई कमी न आने दें।