शिवसेना 52 वीं वर्षगांठ : साल 2014 नहीं दोहराया जायेगा साल 2019 में - शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे।

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शिवसेना 52 वीं वर्षगांठ : साल 2014 नहीं दोहराया जायेगा साल 2019 में - शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे।

मुम्बई। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के मुलाकात के बाद भी दोनो पार्टियों के बीच के संबंध सामान नहीं हो पाये हैं। पार्टी के 52 वीं वर्षगांठ के मौके पर एक बार फिर शिवसेना ने बीजेपी को निशाना बनाया। मुखपत्र सामना में उन्होंने अपने सहयोगी दल को जमकर कोसा। आरोप लगाया कि भाजपा ने देश के साथ हर मोर्चे पर बेइंसाफी की है। सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि 2014 की राजनीतिक दुर्घटना 2019 में नहीं होग।

शिवसेना ने भरोसा जताया है कि वो अगला महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अपने दम पर जीतेगी और 2019 के आम चुनावों के बाद वो किंगमेकर की भूमिका अदा करेगी। संपादकीय में लिखा गया है- शिवसेना की राह कभी आसान नहीं रही है। उसकी राह हमेशा ऊबड़-खाबड़ रास्तों से ही गुजरी है। इसके बावजूद शिवसेना इन रास्तों को पार करती आई है और आगे भी करेगी। महाराष्ट्र में शिवसेना अपने दम पर खुद की सरकार बनाएगी और दिल्ली के तख़्त पर कौन बैठेगा, राष्‍ट्रीय स्तर पर यह फैसला लेने की ताकत भी शिवसेना ही करेगी।संपादकीय में लिखा गया है।

प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा पर भी प्रहार किया गया है। लिखा है- धूलभरी आंधी केवल दिल्ली में नहीं, बल्कि पूरे देश में उठ चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी हमेशा विदेश यात्रा पर होते हैं इसलिए धूल के कण उनकी आंखों में और सांसों में नहीं जा रहे हैं, लेकिन जनता परेशान है और दुविधा में है। शिवसेना का आज 52वां स्थापना दिवस है। हमेशा की तरह वह शानदार तरीके से मनाया जाएगा। 52 वर्ष पहले शिवसेना की स्थापना एक प्रतिकूल परिस्थिति में हुई थी। उसके बाद अनगिनत कटीली राहों से गुजरते हुए शिवसेना की यात्रा शुरू हुई। उस पर सफलता को पार करते हुए शिवसेना आज शिखर पर पहुंच चुकी है। उसे एक चमत्कार ही कहना पड़ेगा।

 

बिना किसी समर्थन के शिवसेना का भगवा तेज विश्व भर में लहराया है। भगवा ही हिंदुत्व का रक्षक है।  इस बारे में अब किसी की दो राय नहीं है। शिवसेना निश्चित तौर पर क्या और कैसे करेगी?  ऐसा सवाल जिन लोगों के मन में उठता है उनकी लकड़ियां शमशान पहुंच गईं लेकिन शिवसेना का परचम आज भी आसमान पर क्यों जा रहा है, इसका अध्ययन हमारे विरोधियों को करना होगा। 2014 की राजनीतिक दुर्घटना 2019 में नहीं होगी। सत्ता का उन्माद हम पर कभी चढ़ा नहीं और आगे भी नहीं चढ़ने देंगे। देश में आज आपातकाल जैसी परिस्थिति है क्या? ऐसे सवाल किए जा रहे हैं। कश्मीर में जवानों की हत्या जारी है। बहुमत से चुनकर दी गई सरकार का गला राजधानी दिल्ली में ही कसा जा रहा है। नौकरशाहों को ऐसा ही रवैया रहा तो चुनाव लड़ना और राज्य चलाना मुश्किल हो जाएगा।