क्या अटल जी को भूल चुकी है भाजपा? बीमार नेता पर राजनीति - वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र प्रसाद

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क्या अटल जी को भूल चुकी है भाजपा? बीमार नेता पर राजनीति - वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र प्रसाद

अटल बिहारी वाजपेयी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए भर्ती हैं। उनका स्वास्थ्य तो वर्षों से खराब है और घर में रहकर ही वे अपना इलाज करवा रहे थे, लेकिन अब स्थिति कुछ ज्यादा खराब हो गई है और उन्हें एम्स में भर्ती करवाना पड़ा है।

श्री वाजपेयी 94 साल के हैं। इस उम्र में अनेक प्रकार की व्याधियां व्यक्ति को घेर लेती हैं। अटल के साथ भी यही हुआ है। इसलिए अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होने में कुछ भी आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन उनके अस्पताल में भर्ती होने के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है और इसकी शुरुआत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर दी है।

श्री वाजपेयी के अस्पताल में भर्ती होने की खबर सुबह से ही आ रही थी। उनके अस्पताल में भर्ती होने के बाद किसी भाजपा के नेता द्वारा उनके खैर खबर जानने का कोई प्रयास नहीं हुआ। स्वास्थ्य मंत्री नड्डा तक ने उनकी खबर नहीं ली। पर राहुल गांधी उनसे जाकर मिले। जब राहुल के उनसे मिलने की खबरें टीवी चैनलों पर आने लगीं, तो एकाएक भाजपा नेताओं की नींद टूटी और वे भी अस्पताल जाकर श्री वाजपेयी की खैर खबर लेने लगे।

देर शाम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान जाकर उनकी खबर लेने पहुंचे। उनके पहले अमित शाह भी वहां पहुंच चुके थें। राहुल के वहां जाने के बहुत बाद भाजपा नेताओ को जमावड़ा वहां लगने लगा और इसे ही कांग्रेस ने एक राजनैतिक मुद्दा बना दिया। कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि भाजपा ने अटल जी को भुला दिया है। वे उनकी खैर खबर नहीं रखते। भाजपा नेताओं की अपेक्षा राहुल गांधी को अटल जी के स्वास्थ्य की ज्यादा चिंता है।

खुद राहुल गांधी ने भी भाजपा नेताओं पर चुटकी ली और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने गुरू का सम्मान करना नहीं जानते। उन्होंने बताया कि लालकृष्ण आडवाणी नरेन्द्र मोदी के गुरू हैं, लेकिन उनकी प्रधानमंत्री द्वारा उपेक्षा होती है और उनका सम्मान नहीं किया जाता। लगे हाथ उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की उपेक्षा का सवाल भी उठा दिया और कहा कि उनके अस्पताल में भर्ती होने के बाद भाजपा नेताओं ने उनकी सुध नहीं ली और जब वे उनसे मिलने गए, उसके बाद ही भाजपा नेताओं को लगा कि उन्हें भी पूर्व प्रधानमंत्री से मिलना चाहिए।

सवाल है कि क्या वास्तव मे भाजपा नेता व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भूल चुके हैं? यदि हम सरकार द्वारा वाजपेयी को दिए गए सम्मान की बात करें, तो यह गलत साबित होता है, क्योंकि प्रधानमंत्री बनने के पहले ही साल में मोदी सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित कर दिया। उनके नाम पर केन्द्र सरकार और भाजपा शासित अनेक सरकारें अनेक योजनाएं चला रही है। अटल पेशन योजना और अटल ज्योति योजना दो ऐसे प्रमुख योजनाएं हैं, जो अटल बिहारी वाजपेयी के नाम को घर घर पहुंचा रही है।

इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी पर यह आरोप लगाना कि वे अटल बिहारी वाजपेयी की उपेक्षा कर रहे हैं, सरसरी तौर पर गलत लग रहा है। अटलजी की स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उनको नजदीक से जानने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें स्मृति लोप की बीमारी हो गई है। उन्हें अब कुछ भी याद नहीं रहा। शायद उन्हें यह भी नहीं पता है कि उनका नाम अटल बिहारी वाजपेयी है और वे देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

 

खराब स्वास्थ्य के कारण अटल पिछले कई सालों से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। कहते हैं कि 2009 में उन्हें एक दौरा पड़ा था और उसके बाद ही उनकी स्मृति समाप्त हो गई है। वैसे जब वे प्रधानमंत्री पद पर थे, तब भी उन्हे भूलने की बीमारी होने लगी थी। एक बार तो वे अपने बगल में बैठे देश के तत्कालीन रक्षा मंत्री जसबन्त सिंह का नाम ही भूल गए। एक चुनावी सभा में वे अपनी भतीजी, जो वहां की भाजपा उम्मीदवार थी, का नाम भी वे भूल गए थे। बाद में उन्होंने खुद स्वीकार किया कि कभी भी उन्हें किसी का नाम याद

करने में समय लग जाता है।

 

बहरहाल अटलजी जिस बीमारी से ग्रस्त हैं, वह नई नहीं है। उम्र के कारण और भी शरीरजन्य बीमारियां उनको लगी है और उनका इलाज भी हो रहा है। पर असली सवाल यही है कि क्या वाकई भाजपा के नेता उन्हें भूल गए हैं। यदि वे वास्तव में उन्हें भूल गए हैं, तो फिर उन्हें जो भारत रत्न का सम्मान दिया गया, वह क्या था और उनके नाम पर जो सरकारी योजनाएं चल रही हैं, वे क्या हैं।

 

दरअसल किसी व्यक्ति को याद रखना और उसकी पूजा करने में अंतर है। अटल बिहारी वाजपेयी एक बड़ा नाम है। भारतीय जनता पार्टी के वे संस्थापक सदस्य रहे हैं। उनका कद खुद भारतीय जनता पार्टी के कद से भी कभी ऊंचा हुआ करता था, क्यांेंकि अटल उनके लिए भी स्वीकृत थे, जो भाजपा को स्वीकार नहीं करते थे। वे कहा करते थे कि अटलजी एक अच्छे आदमी हैं, जो गलत पार्टी में

हैं।

 

इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी को गौरवान्वित करना एक राजनैतिक फैसला है, जिससे भाजपा को लाभ होता है। जब उनकी याददाश्त ही समाप्त हो चुकी है, तो फिर उन्हें भारत रत्न दें, या विश्व रत्न, इससे उनको कोई सरोकार नहीं है। इससे स्वीकार भाजपा और उनके नेताओं को ही है, जो लोगों को अटलजी की याद दिलाकर उनका वोट अपने लिए पाना चाहेंगे।

 

सरोकार अटल बिहारी वाजपेयी से होना तब माना जाएगा, जब उनके स्वास्थ्य के प्रति चिंता दिखाई जाय और उनके इलाज में तत्परता बरती जाय। अभी तो हाल यह है कि सरकारी स्तर से लोगो को यह भी नहीं बताया जाता है कि अटल जी को क्या बीमारी है और उनकी जो बीमारी है, उसका कहीं इलाज भी है या नहीं। उन्हें राजनैतिक कारणों से मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बनाकर यह संकेत दिया

जाता है कि वे पार्टी का मार्गदर्शन करने में समर्थ हैं, लेकिन यह नहीं बताया जाता है कि उनके स्मृति लोप को लेकर जो खबर फैली हुई है, उसमें सच्चाई है या वह पूरी तरह झूठ है।