मै खिलाड़ी हूं और खिलाडी ही रहूंगा - सचिन

मै खिलाड़ी हूं और खिलाडी ही रहूंगा - सचिन

पुणे। मास्टर बलास्टर सचिन तेंडूलकर जितने महान क्रिकेट खिलाड़ी हैं उतने हीं बड़े वे समाज सेवी भी हैं। पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने साफ कर दिया कि वे क्रिकेटर हैं और क्रिकेटर ही रहेंगे। राज्य सभा में मनोनयन करने के बारे में सचिन ने कहा कि यह मेरे लिये गर्व की बात है। सचिन ने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि वे 400 गरीब बच्चों की पढाई का खर्च उठाते हैं।

सचिन के इस खुलासे से सहज हीं यह साफ हो जाता है कि वे समाज सेवा से किस कदर जुड़े हैं। यह उन लोगों के लिये करारा जबाव था कि जो लोग सचिन पर यह सवाल खड़ा कर रहे थे कि राष्ट्रपति विशेषाधिकार के तहत राज्य सभा के लिये सिर्फ कला, समाज, साहित्य और विज्ञान क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति को ही मनोनित किया जा सकता है। ऐसे सवाल संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने भी उठाये थे।

सचिन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मैं पिछले कई सालों से अपनालय सेंटर के जरिये गरीब बच्चों को शिक्षा दिलवाते हूं। ये सब कुछ अपनी संतुष्टि के लिये करता हूं किसी प्रचार के लिये नहीं। और न हीं मुझे किसी प्रचार की जरूरत है। साथ हीं सचिन ने लोगो से भी यही अपील की कि आप किसी को देने की खुशी का अनुभव करें। क्योंकि छोटी सी छोटी चीज भी किसी जरूरतमंद के लिये काफी अनमोल हो सकती है।

बहरहाल, सचिन ने कहा कि मैं खिलाड़ी हूं और हमेशा खिलाड़ी रहूंगा। मैं क्रिकेट छोड़कर राजनीति से नही जुड़ रहा हूं। क्रिकेट खेलना जारी रखूंगा। क्रिकेट में मेरी विशेषज्ञता है। इसलिये इस क्षेत्र में अपना योगदान देता रहूंगा।

उन्होंने कहा कि विश्व कप जीतना उनके लिये सबसे बड़ा सुखद सपना था। बीते 22 सालों में ऐसा हो पाया। उन्होंने अपने सौवी शतक के बारे में खुशी जताते हुए कहा कि साल 2003 में उस समय के भारतीय कोच जॉन राइट ने कहा था कि मैं शतको का शतक लगाने वाला पहला खिलाड़ी बन सकता हूं।

बहरहाल सचिन ने आलोचकों के जुबान बंद कर दिये हैं।