विचार मंच

  • कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती देने में जुटी सोनिया गांधी। राहुल के नेतृत्व में पद-यात्रा तो अध्यक्ष पद का कमान मल्लिकार्जुन खड़गे को।

    - राजेश कुमार देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी (Congress) के नाम से चर्चित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल गया। पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अध्यक्ष पद का चुनाव जीता और 26 अक्टूबर को पार्टी की कमान संभाली। इस मौके पर पार्टी की नेता सोनिया गांधी ने कहा कि आप सभी ने इतने सालों तक प्यार और सम्मान दिया है, यह मेरे लिए गौरव की बात है। इसका एहसास मुझे अपने जीवन की आखिरी सांस तक रहेगा। लेकिन ये सम्मान एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी थी। मुझसे अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार जितना बन पड़ा उतना किया। मैं सबको दिल से धन्यवाद देती हूं कि आपने अपना सहयोग और समर्थन मुझे दिया। अध्यक्ष पद के चुनाव में सोनिया-राहुल ने किसी भी प्रकार का हस्ताक्षेप नहीं किया। दो उम्मीदवार थे - मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर।

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  • आरजेडी लीडर तेजस्वी यादव के सकारात्मक व विराट सोच को दर्शाता है, लंदन में गांधी जी प्रतिमा की सफाई करना।

    राजेश चंद्रवंशी, टाइम्स खबर timeskhabar.com आज 2 अक्टूबर है। आज के दिन को गांधी जयंती राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जिसमें आपसी भाईचारा, स्वच्छता अभियान और राष्ट्रीय एकता जैसे अनके कार्यक्रम शामिल हैं। लेकिन 2 अक्टूबर 2022 की चर्चा विशेष है। दरअसल इसी साल मई के महीने में बिहार के उपमुख्यमंत्री व आरजेडी लीडर तेजस्वी यादव लंदन की यात्रा पर गये थे। वहां उन्होंने ब्रिटिश पार्लियामेंट में संवाद और संबोधन के बाद जब ब्रिटिश संसद के सामने पार्लियामेंट स्क्वायर में लगी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ऐतिहासिक कांस्य प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने गए तो उन्होंने मूर्ति को गंदा पाया। ऐसा देख उनसे रहा नहीं गया और वो स्वयं अपने रुमाल से साफ करने लग गए । तेजस्वी यादव का यह वीडियो उनकी पार्टी के विधायक ऋषि कुमार ने ट्विटर पर साझा किया है। विधायक ऋषि कुमार ने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जी की यह सोच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और गांधीवादी नीतियों में उनकी आस्था और श्रद्धा को दर्शाता है।

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  • भाषाई समन्वय का आधार बन सकती है आधुनिक हिंदी: वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता।

    वर्षों तक हिंदी दिवस, सप्ताह, पखवाड़ा औपचारिकता की तरह मनाया जाता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न स्तरों पर हिंदी का अनिवार्य ढंग से उपयोग कर इसे भाषाई समन्वय का आधार बना दिया है। गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट आदेश देकर अपने मंत्रालय का सारा कामकाज पहले हिंदी में करवाना शुरू कर दिया। विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर दक्षिण भारतीय होकर जितने प्रभावशाली ढंग से हिंदी में अपनी बातें रखते हैं, वह लोगों के लिए प्रेरक बन रही है।

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  • लोकसभा चुनाव 2024 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले विपक्ष का चेहरा बन सकते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। इसे लेकर बीजेपी में मंथन।

    - राजेश कुमार भारत का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे या मेन-फ्रंट से कोई प्रधानमंत्री होगा। यह भविष्य के गर्भ में है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने तीन दिवसीय दिल्ली दौरे के दौरान भारतीय राजनीति के इतिहास में एक नया नाम शामिल किया है वह है मेन-फ्रंट। थर्ड फ्रंट की जगह उन्होंने मेन-फ्रंट नाम दिया है। नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं, यह सवाल अपनी जगह है। लेकिन बिहार में आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाना और दिल्ली आकर समान विचारधारा वाली पार्टियों से मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा करने के बाद देश की राजनीतिक गलियारों में आगामी लोकसभा चुनाव की गूंज सुनाई देने लगी है।

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  • पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस एक्शन हुए, तो 2024 का चुनाव मोदी बनाम केजरीवाल : वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र प्रसाद।

    पांच राज्यों की विधानसभा के चुनावों के नतीजे आ चुके हैं, लेकिन देश के भविष्य की राजनीति को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण नतीजा पंजाब से आया है। यहां केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की सरकार बन रही है और भगवंत सिंह मान प्रदेश के मुख्यमंत्री बन रहे हैं। इस जीत के साथ आम आदमी पार्टी पहली बार किसी प्रदेश में सरकार बना रही है। वैसे उसकी सरकार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी है और इसे भी प्रदेश की कहा जाता है, लेकिन यह पूर्ण प्रदेश नहीं है। यह एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जिसमें प्रदेश सरकार के अधिकार बहुत ही सीमित हैं। पुलिस उसके हाथ में नहीं है। केजरीवाल सरकार के गठन के पहले भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ( एंटी क्राइम ब्रांच- एसीबी) प्रदेश सरकार के पास हुआ करती थी, लेकिन मोदी सरकार ने उसे अपने हाथ में ले लिया। यहां के अधिकारियों की नकेल भी केन्द्र सरकार के पास ही होती है। इसलिए भ्रष्टाचार मिटाने के लिए पर्याप्त अधिकार दिल्ली की केन्द्र शासित प्रदेश के पास है ही नहीं। आ

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  • यूक्रेन प्रकरण : महाशक्ति होने के बावजूद अमेरिका सैन्य मामले में रूस से नहीं टकरा सकता। अमेरिका ने हर कदम अपने आर्थिक लाभ के लिये उठाया है।

    यूक्रेन पर रूस का हमला लगातार जारी है। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा कि वे कभी भी यूक्रेन पर हमला करना नहीं चाहते थे लेकिन यूक्रेन लगातार नाटो में शामिल होने की कोशिश कर रहा है और नाटो देश भी यूक्रेन को शामिल करने की तैयारी कर रहे थे। इसके लिये कई बार यूक्रेन को बताया भी गया लेकिन यूक्रेन कुछ भी सुनने को तैयार नही था। अपने देश की रक्षा करने का सभी को अधिकार है। इसी कड़ी में रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अपना अभियान चलाया। यह एक पक्ष है लेकिन दूसरा पक्ष यह भी है कि अमेरिका समेत नाटो देश ने यूक्रेन की रक्षा क्यों नहीं की? जबकि अमेरिका समेत यूरोपीय देश हमेशा से यह बयान देते आ रहे थे कि वे यूक्रेन के साथ हैं। यदि रूस ने कुछ किया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। लेकिन सिर्फ आर्थिक प्रतिबंध और निंदा की। यह काम तो अमेरिका रूस के साथ शुरू से करता आ रहा है। इतना हीं नहीं जब भारत ने रूस से मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने की बात की तो भी अमेरिका ने विरोध किया और आर्थिक प्रतिबंध की बात कही।

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  • सोवियत संघ के विघटन के बाद नाटो को भंग कर दिया जाना चाहिए था, सारे फसाद की जड़ नाटो ही है : वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र प्रसाद।

    यूक्रेन पर रूस के हमले का तात्कालिक कारण नाटो से जुड़ा हुआ है। यूक्रेन धीरे धीरे नाटो के प्रभाव में जा रहा था और उसके इस संस्था के सदस्य बनने की प्रबल संभावना थी। न तो यूक्रेन ने कभी इस बात का खंडन किया कि नाटो का सदस्य बनने जा रहा है और न ही नाटो ने कभी कहा कि यूक्रेन उसका सदस्य नहीं बनने वाला। रूस बस यही चाहता था कि यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं बने। उसने ऐसी प्रतिबद्धता व्यक्त करने से मना कर दिया। उधर नाटो ने भी कहने से मना कर दिया कि वह यूक्रेन का अपना सदस्य नहीं बनाएगा।

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  • झारखंड का भाषा विवाद, नहीं संभाला, तो हो सकते हैं हिंसक टकराव : वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र प्रसाद

    झारखंड में चल रहा भाषा विवाद बद से बदतर रूप लेता दिखाई पड़ रहा है। वहां के आदिवासी और दक्षिणी झारखंड में रहने वाले कुछ गैर आदिवासी भी एक ऐसी समस्या पैदा कर रहे हैं, जो निहायत ही हास्यास्पद है। यह हास्यास्पद तो है, लेकिन इस समस्या ने यदि विकराल रूप धारण किया, तो यह एक बड़ी समस्या बन जाएगी और यह सिर्फ झारखंड तक सीमित नहीं रहेगी। भाषा विवाद भोजपुरी, मगधी, अंगिका औ उर्दू को लेकर है। उर्दू तो बिहार के जमाने से ही दूसरी राजकीय भाषा बनी हुई है। झारखंड ने इसे दूसरी भाषा के रूप में विरासत में पाया है। लेकिन पिछले साल मगही भोजपुरी और अंगिका को स्थानीय भाषाओं में शामिल करके उन्हें सरकारी नौकरियों से जोड़ दिया गया।

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  • मजबूत व स्वस्थ लोकतंत्र के लिये प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू को साधुवाद : वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार।

    हम सभी जानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश। इस पर हर देशवासियों को गर्व है। इसका मूल श्रेय जाता है महात्मा गांधी, सरदार पटेल और पंडित जवाहर लाल नेहरू को। ये हीं वे त्रिमूर्ति थे जिन्होंने एक लोकतांत्रिक देश की बुनियाद रखी और उसे मजबूत बनाया। ये चाहते तो देश का स्वरूप कुछ और भी हो सकता था। तानाशाही को भी अपना सकते थे। हो सकता था कि देश को एक नये दौर से गुजरना पड़ता, लेकिन भारत लोकतंत्र के साथ आगे बढा। वहीं भारत से अलग होकर एक नया देश बना पाकिस्तान। जहां ईमानदारी और स्वस्थ वैचारिकता के अभाव में पाकिस्तान प्राचीन काल की ओर अग्रसर है, वहीं भारत तमाम कठिनाइयों के बावजूद चांद और मंगल ग्रह तक अपनी पहुंच बना चुका है। भारत अपने विज्ञान के दम पर कोरोना जैसे महामारी को भी नियंत्रित करने में सफल रहा। आजाद भारत की यह सफलता कोई एक-दो दिनों की नहीं है बल्कि आजादी के बाद विज्ञान के क्षेत्र में लगातार नई ऊंचाईयों को छूने की कोशिश करते रहने का सकारात्मक परिणाम है। विज्ञान को इस ऊंचाई तक पहुंचाने में प्रधानमंत्री नेहरू से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम प्रधानमंत्रियों का योगदान है लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू का योगदान अनमोल है। क्योंकि जिस समय नेहरू ने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेवारी संभाली थी वह दौर भयावह था। देश और देशवासी निर्धन थे।

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  • पंजाब विधानसभ चुनाव : क्या आम आदमी पार्टी सरकार बना पाएगी? वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र प्रसाद।

    पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। सबसे बड़ा राज्य होने के कारण सबसे ज्यादा ध्यान उत्तर प्रदेश पर केन्द्रित है, जहां भाजपा की योगी सरकार को अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की तरफ से जबर्दस्त चुनौती मिल रही है। भारतीय जनता पार्टी ने वहां जाति समीकरण का अभेद्य दुर्ग बना रखा है, जिस पर उन्होंने हिन्दू सांप्रदायिकता का पलस्तर भी चढ़ा रखा है। क्या उस दुर्ग को अखिलेश यादव ध्वस्त कर पाएंगे? इस पर देश की नजर टिकी हुई है।

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