अदालत

  • OBC आरक्षण : ऑल इंडिया मेडिकल परीक्षा में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी। अदालत ने कहा आरक्षण योग्यता में बाधक नहीं।

    राजेश चंद्रवंशी, टाइम्स खबर timeskhabar.com आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मेडिकल से संबंधित पाठ्यक्रम की परीक्षा नीट (NEET) के ऑल इंडिया कोटे में ओबीसी (OBC)के 27 प्रतिशत आरक्षण को सही ठहराया है। अदालत ने कहा कि आरक्षण योग्यता में बाधक नहीं है। परीक्षा में उच्च अंक योग्यता का प्रतिनिधित्व नहीं करते। योग्यता सामाजिक रूप से प्रासंगिक होनी चाहिये। इसका वितरण परिणाम को व्यापक बनाता है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने पोस्ट ग्रेजुएट (PG) और अंडर ग्रेजुएट( UG) ऑल इंडिया कोटा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण संवैधानिक रूप से मान्य होंगे। सुप्रीम अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि केंद्र को आरक्षण देने से पहले अदालत से अनुमति लेने की जरूरत नहीं। ओबीसी आरक्षण को अदालत ने 7 जनवरी को हीं हरी झंडी दे दी थी लेकिन इस हरी जंड़ी के पीछे के कारण को अदालत ने 21 जनवरी को विस्तार से बताया।

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  • रक्षा अकादमी प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकती हैं महिलाएं। सुप्रीम कोर्ट ने अंतिरम आदेश दिया।

    टाइम्स ख़बर timeskhabar.com राष्ट्रीय रक्षा अकादमी यानी एनडीए का परीक्षा अब देश की महिलाएं दे सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि महिलाएं अब एनडीए की प्रवेश परीक्षाएं दे सकती है। इसके लिये न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय ने रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश दिया। यह याचिका कुश कालरा ने दायर की थी। न्यायालय ने संघ लोक सेवा आयोग को भी इस मामले में जारी अधिसूचना को संशोधन के साथ प्रकाशित करने का आदेश दिया। Times Khabar

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  • पूर्व जस्टिस अरूण मिश्रा बने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष।

    टाइम्स खबर timeskhabar.com सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अरूण मिश्रा को मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। मानवाधिकार अध्यक्ष की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति के सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं। इसके सदस्य होते हैं प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा उपाध्यक्ष और लोकसभा-राज्यसभा में विपक्ष के नेता। अरूण मिश्रा के नियुक्ति पर विरोध के स्वर उठ रहे हैं आखिर क्यों?

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  • CAA : चंद्रशेखर गिरफ्तारी पर अदालत ने कहा कि पुलिस ऐसा वर्ताव कर रही है जैसे जाम-मस्जिद पाकिस्तान में है। शांतिपूर्ण आंदोलन करने का अधिकार सभी को।

    टाइम्स खबर timeskhabar.com नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की वजह से भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को पुलिस ने गिरफ्तार किया था 21 दिसंबर 2019 को। पुलिस उनके जमानत याचिक का विरोध कर रही है। लेकिन अदालत ने चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ लगाये गये आरोप पर सबूत पेश नहीं कर पाने पर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि दिल्ली पुलिस ऐसा बर्ताव कर रही है जैसे जामा-मस्जिद पाकिस्तान में है। अगर वहां भी हो तो भी किसी को भी विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है।

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  • हमारी न्यायपालिक स्वतंत्र है : मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे।

    सुप्रीम कोर्ट के नये मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है। उन्होंने यह बात सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन (SCBA)के स्वागत समारोह मे कही। उन्होंने बार एसोसिएशन और न्यायाधीशों के मामले में कहा कि मैं एक वकील की चुनौतियों को जानता हूं। बतौर बार-सदस्य 22 साल और जज के रूप मे कार्य करते हुये 19 साल हो गये। उन्होंने कहा कि - बेंच बार से अपनी शक्ति प्राप्त करती है। महान फैसले महान दलीलों से निकलते हैं। - बार बेंच की मां हैं। हम एक अविभाजित परिवार हैं। एक के लिए कुछ भी हानिकारक दूसरे को कमजोर करता है। मुझे गर्व है कि मैं इस संयुक्त परिवार में हूं। - ऐसे अनेक मौके आए जब न्यायपालिका को ऐसे मसले सुलझाने पड़े जिसमें कोई हाथ नहीं डालना चाहता। बार और बेंच का तालमेल और सौहार्द से काम करना ही इस संस्थान का गौरव और आभा है।

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  • अयोध्या फैसला : सु्प्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर राम-लला-विराजमान का अधिकार माना। मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन अयोध्या में देने का आदेश।

    टाइम्स खबर timeskhabar.com अयोध्या प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। विवादित जमीन (2.77 एकड़) पर राम लला का अधिकार होगा और मस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिये अलग से पांच एकड़ी जमीन दिये जाने का आदेश दिया गया। अर्थात अब राम मंदिर बनाने पर कोई विवाद नहीं है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई के अगुवाई वाले पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से सुनाया। ये न्यायाधीश हैं : मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस डी वाय चंद्रचुड और जस्टिस अशोक भूषण।

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  • मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के नये मुख्य न्यायाधीश के लिये जस्टिस बोबडे के नाम की सिफारिश की।

    टाइम्स खबर timeskhabar.com जस्टिस शरद अरविंद बोबडे सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश होंगे। उनके नाम की सिफारिश वर्तमान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने की है। जस्टिस गोगई 18 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं और 18 नवंबर को हीं जस्टिस बोबड़े मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ लेंगे और उनका कार्यकाल 23 अप्रैल 2021 तक होगा। नियमानुसार अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए मौजूदा मुख्य न्यायाधीश हीं सरकार से सिफारिश करता है। जस्टिस शरद बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ और उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की। 1978 में वे महाराष्ट्र बार काउंसिल के सदस्य बने और 1998 में वे वरिष्ठ अधिवक्ता बने। जस्टिस बोबडे 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज के पद पर नियुक्त हुए, वे 16 अक्तूबर 2012 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य नियुक्त हुए और 12 अप्रैल 2013 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बने। जस्टिस बोबडे 23 अप्रैल 2021 तक उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने रहेंगे और मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के बाद वे ही उच्चतम न्यायलय में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।

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  • अयोध्या पर सुनवाई पूरी। फैसला 18 नवंबर से पहले।

    टाइम्स ख़बर timeskhabar.com ऐतिहासिक अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई। नियमित सुनवाई तय होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक सुनवाई हुई। पांच सदस्यों वाली संवैधानिक बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 18 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। इससे पहले इस पर फैसला आ सकता है। सुनवाई का आज अंतिम दिन था और पांच बजे तक सुनवाई होनी थी लेकिन शाम चार बजे तक सुनवाई पूरी हो गई। - सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई का 40वां और अंतिम दिन था। नियमित सुनवाई की शुरूआत 6 अगस्त(2019) से शुरू हुई थी। - मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह की ओर से जमा किये गये नक्शे को अदालत में हीं फाड़ दिया। दोनो ओर की वकीलों में तीखी बहस हुई।

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  • 12 साल के बाद जमीन के मालिक आप।

    टाइम्स ख़बर timeskhabr.com जमीन से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। अदालत ने 8 अगस्त को व्यवस्था दी है कि अगर कोई व्यक्ति (कब्जाधारी व्यक्ति/ एडवर्स पजेसर) 12 साल या उससे अधिक समय तक जमीन पर कब्जा रखता है या उसकी देखभाल करता है और मालिक को इसके बारे में पता है लेकिन वह उसे कभी इसे हटाने के लिए नहीं कहता है, तो ऐसा व्यक्ति उस जमीन का मालिक हो जाएगा। सुप्रीम अदालत अदालत ने यह भी कहा है कि इतना ही नहीं अगर ऐसे व्यक्ति को इस जमीन से बेदखल किया जा रहा है तो वह व्यक्ति बतौर मूल स्वामी की तरह जमीन की रक्षा कर सकता है।

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  • चीफ जस्टिस ही है मास्टर-ऑफ-रोस्टर : सुप्रीम कोर्ट

    नई दिल्ली (टाइम्स ख़बर)। सुप्रीम कोर्ट रोस्टर को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं। इस बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान न्यायिक परम्परा को जारी रखते हुए मुख्य न्यायाधीश की 'मास्टर ऑफ रोस्टर' की भूमिका को बरकरार रखा। दरअसल, सीजीआई की भूमिका को चुनौती पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण की मांग को खारिज कर दी और कहा कि मुख्य न्यायाधीश ही मास्टर ऑफ रोस्टर होता है। उसके पास ही अलग-अलग बेंच को केस आवंटित करने का अधिकार होता है।

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