व्यक्तित्व

  • भारत के गौरव गणितज्ञ आनंद कुमार तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के हाथों प्रतिष्ठित 'महावीर अवार्ड' से सम्मानित ।

    पूरे विश्व में देश का नाम रोशन करने वाले गणितज्ञ व सुपर-30 (Super30) के संस्थापक आनंद कुमार को प्रतिष्ठित 'महावीर अवार्ड' से सम्मानित किया गया है। उन्हें चेन्नई के एक समारोह में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने सम्मानित किया। बतौर पूरस्कार उन्हें एक प्रशस्ति पत्र और एक स्मृति चिन्ह के अलावा 10 लाख रूपये प्रदान किये गये।

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  • भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के जनक हैं डॉ विक्रम साराभाई।

    - राजेश कुमार, टाइम्स खबर timeskhabar.com भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से उभरता हुआ एक मात्र विकासशील देश है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत का नाम है। हालांकि इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना है। अंतरिक्ष विज्ञान के महत्व को सबसे पहले भारतीय वैज्ञानिक विक्रम अंबलाल साराभाई ने देश के सामने रखा। आज हम विदेशी सेटेलाइट भी भेज रहे हैं। इतना नहीं चांद पर यान उतारने की कोशिश की गई और आगे भी जारी रहेगा। अंतरिक्ष में मानव भेजने की तैयारी है। आइये जानते हैं अपने महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के बारे में।

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  • रॉकेट-मैन के नाम से प्रसिद्ध हैं महान वैज्ञानिक इसरो प्रमुख डॉ के सिवन।

    राजेश कुमार, टाइम्स खबर timeskhabar.com पूरे विश्व में इन दिनों एक ही नाम चर्चित है वह है इसरो ( ISRO Indian Space Research Organisation)के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ( Dr. K Sivan)। इनके ही नेतृत्व में भारत ने चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया। जिस प्रकार से दिवंगत वैश्विक महान वैज्ञानिक व पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम को मिसाइल-मैन कहा जाता है ठीक उसी प्रकार से इसरो प्रमुख के. सिवन रॉकेट-मैन के नाम से चर्चित हैं। किसान परिवार में जन्मे डॉक्टर सिवन ने पूरे देश का नाम विश्व में रोशन किया है। वे अपने परिवार से पहले ग्रेजुएट हैं। आइये जानते हैं कि महान वैज्ञानिक डॉ के. सिवन कौन हैं

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  • सुपर-30 : विश्व भर में चर्चित गणितज्ञ आनंद कुमार हैं गरीब छात्रों के मसीहा ।

    - राजेश कुमार सुपर-30 के संस्थापक व गणितज्ञ आनंद कुमार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति कर दिया है गरीब बच्चों के लिये। ऐसा विश्व में कुछ हीं लोग होंगे उनमें से एक हैं आनंद। यदि कहा जाये कि वे भारत में एक मात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने उच्च शिक्षा के लिये गरीब बच्चों को अपने खर्च पर रहने-भोजन-पढने और पढाने की व्यवस्था करने और सफलता दिलाने वाले एक मात्र व्यकति होंगे तो गलत नहीं होगा। विशेष बात यह है कि वे इन बच्चों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराते हैं और हर साल लगभग 20 से 30 गरीब बच्चे सफल होते हैं। यह सिलसिला बीते एक दशक से अधिक समय यानी साल 2002 से चला आ रहा है। वे अब तक 450 से अधिक गरीब छात्रों को आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला के लिये सफलता दिला चुके हैं।

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  • तमिलनाडु : द्रविड़ योद्धा कलाईनार ने दुनिया को अलविदा कहा। 94 साल की उम्र में निधन।

    (राजेश कुमार, टाइम्स ख़बर)। जन्म 3 जून 1924 - निधन 7 अगस्त 2018. द्रविड़ मुनेत्र कडगम (डीएमके) अध्यक्ष मुथुवेल करुणानिधि ने 94 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन की खबर मिलते ही परिवार और समर्थकों में मायुसी की खबर छा गई। 8 अगस्त की शाम 06.10 पर उनका निधन हुआ चेन्नई स्थित कावेरी होस्पिटल में। उन्हें यूरिनरी में इंफेक्शन की वजह से होस्पिटल में दाखिल कराया गया था। एक दिन की सरकारी छुट्टी का ऐलान किया गया है उनके सम्मान में। इनके समर्थक इन्हें प्यार कलाईनार कहते थे यानी कला का विद्धान। - जन्म 3 जून 1924 को तमिलनाडु के तिरुक्कूवलई में हुआ था। और निधन 8 अगस्त 2018 को चेन्नई स्थित कावेरी होस्पिटल में। - 94 वर्षीय द्रविड़ योद्धा डीएमके के अध्यक्ष रहे। वे लगभग 60 साल तक राजनीति में सक्रिय रहे और राज्य की सियासत उनके ईर्दगिर्द ही घूमती रही। - द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के संस्थापक सी.एन.अन्नादुरई का निधन साल 1969 में हुआ। इसके बाद पार्टी का बागडोर करूणानिधि ने संभाली और ताउम्र इसके अध्यक्ष रहे। - तमिलनाडु के पांच बार मुख्यमंत्री रहने वाले करुणानिधि राज्य की राजनीति के केंद्र बिन्दु थे। इनके समर्थक इन्हें प्यार कलाईनार कहते थे यानी कला का विद्धान। - 1938 : इनकी बचपन से ही द्रविड़ आंदोलन से प्रभावित थे और पहली बार 14 साल की उम्र में आंदोलन में हिस्सा लिया था। वे अलागिरिस्वामी के भाषणों से प्रभावित होकर साल 1938 में ही जस्टिस पार्टी से जुड गये थे। - 1949 : सी.एन.अन्नादुरई ने अपने राजनीतिक गुरू ई.वी.स्वामी से अलग होकर 1949 में डीएमके की स्थापना की। तबसे करुणानिधि उनके साथ थे।वे संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। -1957: करूर जिले स्थित कुलिथली विधान सभा सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। - 1962 में विधान सभा में विपक्ष के उपनेता बने। - 1967 में वे पहली बार अन्नादुरई सरकार में मंत्री बने। इस साल पूरे राज्य में हिंदी भाषा थोपने जाने के विरोध को लेकर आंदोलन चरम पर था। - 1969 में अन्नादुरई की मृत्यु हो गई। वे कैंसर से पीडि़त थे। उनके निधन के बाद करूणानिधि मुख्यमंत्री बनने के साथ साथ पार्टी के अध्यक्ष और संरक्षक भी बने। तबसे वे आजीवन पार्टी अध्यक्ष रहे। - वे पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। साल 1969-71, 1971-76, 1989-91, 1996-2001 और 2006-2011 तक 5 बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। - वे 94 साल के थे। इतने वर्षो तक राजनीति में सक्रिय रहे। डॉक्टर का कहना है कि वे सुबह जल्दी उठ जाते थे और योग करते थे। काफी पैदल चलते थे। साधारण भोजन करते थे। स्वस्थ जीवन शैली थी। डीएमके योद्धा व बहुमुखी प्रतिभा के धनी करुणानिधि सिर्फ एक राजनेता ही नहीं थे बल्कि उन्होंने बतौर लेखक 100 से ज्यादा पुस्तकें भी लिखी। उनकी पहचान एक पत्रकार, तमिल आंदोलनकारी के साथ साथ फिल्म पटकथा की भी रही है। इनकी राजनीति का प्रभाव सिर्फ तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं था बल्कि पूरे देश में था। हर नेता उनका सम्मान करते थे। बहरहाल तबियत बिगड़ने पर उन्हें पहले घर में ही रखा गया। वही सभी प्रकार की बुनियादी सुविधाएं मौजूद थी और ज्यादा खराब होने पर उन्हें 4 अगस्त को होस्पिटल में दाखिल कराया गया। 6 अगस्त को तबियत ज्यादा खराब हो गई। आज यानी 7 अगस्त को स्थिति नाजुक हो गई। और शाम 6.10 पर उनका निधन हो गया। इसी के साथ द्रविड़ आंदोलन की उपज और तमिलनाडु के सबसे ताकतवर सियासी घराने के मुखिया का सूरज अस्त हो गया।

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  • ऐसा भारत बने जहां शोषण और अत्याचार को जगह न मिले - शहीद-ए-आजम भगत सिंह।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह का एक ही सपना था आजाद और खुशाहल भारत। वे ऐसे भारत का निर्माण करना चाहते थे जहां शोषण और अत्याचार को जगह न मिले। वे नहीं चाहते थे कि अंग्रेजों से आजादी के बाद भारत का नेतृत्व कोई सामंती व्यवस्था का पोषक करे। इसके लिये वे लगातार चिंतन करते रहते थे और इस पर काम भी करते रहे कि आजादी के बाद देश का स्वरूप कैसा हो।

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  • ईमानदारी और सादगी के प्रतीक है सीपीएम नेता माणिक सरकार। 20 साल मुख्यमंत्री रहने के बावजूद अपना कोई घर नहीं।

    त्रिपुरा में सीपीएम की हार हो गई। हार कैसे हुई इसको लेकर तरह तरह की चर्चाएँ हैं। हार के बावजूद सीपीएम नेता और पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार इन दिनों सुर्खियों में है अपनी ईमानदारी और सादगी की वजह से।

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  • उ. कोरिया के तानाशाह किम जोंग ।

    8 जनवरी 1983 को जन्में उत्तरी कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन, इन दिनों विश्व मानचित्र पर सुर्खियों में है। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती दी है। दोनो देशों के बीच मौखिक युद्ध जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने उत्तरी कोरिया को बर्बाद करने की धमकी दी तो उत्तरी कोरिया ने इस धमकी को कुत्तो के भौंकने जैसे कहा।

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  • भारत के टॉप हस्तियो में से एक है उदय शंकर – सर्वे।

    स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर इनदिनों सुर्खियों में है। इंडियन एक्सप्रेस और इंडिया टुडे ने देश के जिन सौ असरदार लोगों की सूची तैयार की है उस सूची में स्टार इंडिया के प्रमुख उदय़ शंकर का भी नाम है। उनकी शख्सियत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इस सूची में उन्हें हिंदुस्तान टाइम्स ग्रूप के सर्वेसर्वा शोभना भारतीय और जी ग्रूप के सर्वेसर्वा सुभाष चंद्रा से भी उपर स्थान दिया गया है।

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