रॉकेट-मैन के नाम से प्रसिद्ध हैं महान वैज्ञानिक इसरो प्रमुख डॉ के सिवन।

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रॉकेट-मैन के नाम से प्रसिद्ध हैं महान वैज्ञानिक इसरो प्रमुख डॉ के सिवन।

राजेश कुमार, टाइम्स खबर timeskhabar.com

पूरे विश्व में इन दिनों एक ही नाम चर्चित है वह है इसरो ( ISRO Indian Space Research Organisation)के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ( Dr. K Sivan)। इनके ही नेतृत्व में भारत ने चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया। जिस प्रकार से दिवंगत वैश्विक महान वैज्ञानिक व पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम को मिसाइल-मैन कहा जाता है ठीक उसी प्रकार से इसरो प्रमुख के. सिवन रॉकेट-मैन के नाम से चर्चित हैं। किसान परिवार में जन्मे डॉक्टर सिवन ने पूरे देश का नाम विश्व में रोशन किया है। वे अपने परिवार से पहले ग्रेजुएट हैं। आइये जानते हैं कि महान वैज्ञानिक डॉ के. सिवन कौन हैं :

- डॉ. के. सिवन का जन्म 14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु में तटीये जिले के नागरकोइल गांव में एक किसान परिवार में हुआ। 

- डॉ सिवन की शुरूआती पढाई लिखाई साधारण तरीके से हुई। वे तमिल भाषा में सरकारी स्कूल से पढाई किये। 

- उन्होंने अपने दम पर आईआईटी मद्रास में नामांकन के लिये सफलता अर्जित की। और 1980 में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 

- साल 1982 में आईआईएससी बेंगलुरू से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। 

- साल 1982 में ही वे इसरो में आये और पीएसएलवी परियोजना से जुड गये। 

-  डॉ सिवन को सल 1999 में डॉ. विक्रम साराभाई रिसर्च अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

- साल 2006 में आईआईटी बॉबे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की।

- उन्होने एंड टू एंड मिशन प्लानिंग, मिशन-डिजाइन, मिशन इंटीग्रेशन एंड एनालिसिस में भी अपना उल्लेखनीय योगदान दिया।

- साल 2011 में जीएसएलवी परियोजना से जुड़े।  जीएसएलवी परियोजना से जुड़ने के बाद सिवन को 6डी ट्रैजेक्टरी सिमुलेशन सॉफ्टवेयर के मुख्य विशेषज्ञ के रूप में नई पहचान मिली। इसकी सहायता से रॉकेट के लांच से पहले रास्ता निर्धारित किया जाता है।

- साल 2011 में डॉ. बीरेन रॉय स्पेस साइंस अवॉर्ड से सम्मानित। 

- अप्रैल 2014 में चेन्नई की सत्यभामा यूनिवर्सिटी से डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि से  सम्मानित। 

- 28 अप्रैल 2019 को पंजाब यूनिवर्सिटी के कॉन्वोकेशन में उपराष्ट्रपति वैंकया नायडु ने उन्हें 'विज्ञान रत्न' से सम्मानित किया।

- डॉ सिवन सबसे पहले वैश्विक सुर्खियों में तब आए  जब इसरो ने पीएसएलवी सी-4 के जरिए एकसाथ 31 उपग्रह लांच किए। इनमें भारत के 3 और 28 अन्य 6 देशों के थे। इसके साथ ही इसरो का सैटेलाइट भेजने का शतक भी पूरा हो गया। सैटेलाइट भेजने का शतक पूरा करने के पीछे सिवन का ही तेज दिमाग था।

रॉकेट मैन व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ के सिवन  को बीते साल 2018 के जनवरी में इसरो अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने डॉ ए एस किरण कुमार का स्थान लिया। इनका कार्यकाल तीन साल का है। इससे पहले वे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक थे। जब उन्हें यह खबर मिली की वे इसरो प्रमुख बनने वाले हैं उस समय वे 12 जनवरी को लॉच होने वाले पीएसएलवी सी-40 की समीक्षा बैठक कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार खबर मिलने के बाद डॉ सिवन ने कहा कि इस खबर को सुनने के बाद भी शरीर में कंपन हो रही है। मैं एक बात जानता हूं, इस पद पर विक्रम साराभाई, सतीश धवन,माधवन नायर जैसे महान लोग रहे। इसलिए यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। 12 जनवरी की लांचिंग सहित कई मिशन कतार में है। इसलिए जश्न का नहीं जिम्मेदारी का वक्त है। डॉ के सिवन दुनिया को अपनी ज्ञान क्षमता का लोहा पिछले साल (2018) ही मनवा लिये थे जब भारत ने एक साथ 104 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर नया कीर्तिमान स्थापित किया था। 

Rajesh kumar timeskhabar.com