(राजेश कुमार, टाइम्स ख़बर)। जन्म 3 जून 1924 - निधन 7 अगस्त 2018.
द्रविड़ मुनेत्र कडगम (डीएमके) अध्यक्ष मुथुवेल करुणानिधि ने 94 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन की खबर मिलते ही परिवार और समर्थकों में मायुसी की खबर छा गई। 8 अगस्त की शाम 06.10 पर उनका निधन हुआ चेन्नई स्थित कावेरी होस्पिटल में। उन्हें यूरिनरी में इंफेक्शन की वजह से होस्पिटल में दाखिल कराया गया था। एक दिन की सरकारी छुट्टी का ऐलान किया गया है उनके सम्मान में। इनके समर्थक इन्हें प्यार कलाईनार कहते थे यानी कला का विद्धान।
- जन्म 3 जून 1924 को तमिलनाडु के तिरुक्कूवलई में हुआ था। और निधन 8 अगस्त 2018 को चेन्नई स्थित कावेरी होस्पिटल में।
- 94 वर्षीय द्रविड़ योद्धा डीएमके के अध्यक्ष रहे। वे लगभग 60 साल तक राजनीति में सक्रिय रहे और राज्य की सियासत उनके ईर्दगिर्द ही घूमती रही।
- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के संस्थापक सी.एन.अन्नादुरई का निधन साल 1969 में हुआ। इसके बाद पार्टी का बागडोर करूणानिधि ने संभाली और ताउम्र इसके अध्यक्ष रहे।
- तमिलनाडु के पांच बार मुख्यमंत्री रहने वाले करुणानिधि राज्य की राजनीति के केंद्र बिन्दु थे। इनके समर्थक इन्हें प्यार कलाईनार कहते थे यानी कला का विद्धान।
- 1938 : इनकी बचपन से ही द्रविड़ आंदोलन से प्रभावित थे और पहली बार 14 साल की उम्र में आंदोलन में हिस्सा लिया था। वे अलागिरिस्वामी के भाषणों से प्रभावित होकर साल 1938 में ही जस्टिस पार्टी से जुड गये थे।
- 1949 : सी.एन.अन्नादुरई ने अपने राजनीतिक गुरू ई.वी.स्वामी से अलग होकर 1949 में डीएमके की स्थापना की। तबसे करुणानिधि उनके साथ थे।वे संस्थापक सदस्यों में से एक हैं।
-1957: करूर जिले स्थित कुलिथली विधान सभा सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे।
- 1962 में विधान सभा में विपक्ष के उपनेता बने।
- 1967 में वे पहली बार अन्नादुरई सरकार में मंत्री बने। इस साल पूरे राज्य में हिंदी भाषा थोपने जाने के विरोध को लेकर आंदोलन चरम पर था।
- 1969 में अन्नादुरई की मृत्यु हो गई। वे कैंसर से पीडि़त थे। उनके निधन के बाद करूणानिधि मुख्यमंत्री बनने के साथ साथ पार्टी के अध्यक्ष और संरक्षक भी बने। तबसे वे आजीवन पार्टी अध्यक्ष रहे।
- वे पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। साल 1969-71, 1971-76, 1989-91, 1996-2001 और 2006-2011 तक 5 बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे।
- वे 94 साल के थे। इतने वर्षो तक राजनीति में सक्रिय रहे। डॉक्टर का कहना है कि वे सुबह जल्दी उठ जाते थे और योग करते थे। काफी पैदल चलते थे। साधारण भोजन करते थे। स्वस्थ जीवन शैली थी।
डीएमके योद्धा व बहुमुखी प्रतिभा के धनी करुणानिधि सिर्फ एक राजनेता ही नहीं थे बल्कि उन्होंने बतौर लेखक 100 से ज्यादा पुस्तकें भी लिखी। उनकी पहचान एक पत्रकार, तमिल आंदोलनकारी के साथ साथ फिल्म पटकथा की भी रही है। इनकी राजनीति का प्रभाव सिर्फ तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं था बल्कि पूरे देश में था। हर नेता उनका सम्मान करते थे। बहरहाल तबियत बिगड़ने पर उन्हें पहले घर में ही रखा गया। वही सभी प्रकार की बुनियादी सुविधाएं मौजूद थी और ज्यादा खराब होने पर उन्हें 4 अगस्त को होस्पिटल में दाखिल कराया गया। 6 अगस्त को तबियत ज्यादा खराब हो गई। आज यानी 7 अगस्त को स्थिति नाजुक हो गई। और शाम 6.10 पर उनका निधन हो गया। इसी के साथ द्रविड़ आंदोलन की उपज और तमिलनाडु के सबसे ताकतवर सियासी घराने के मुखिया का सूरज अस्त हो गया।