पवित्र सम्मेद शिखर जी आस्था का केंद्र हैं इसे पर्यटक स्थल न बनाया जाये। जैन समाज के आंदोलन को समर्थन - लोजपा लीडर राजकुमार ।

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पवित्र सम्मेद शिखर जी आस्था का केंद्र हैं इसे पर्यटक स्थल न बनाया जाये। जैन समाज के आंदोलन को समर्थन - लोजपा लीडर राजकुमार ।

टाइम्स खबर timeskhabar.com

जैन समाज ने मांग की है कि पारसनाथ पहाड़ी (गिरिडीह) स्थित पवित्र सम्मेद शिखर जी को आस्था का हीं केंद्र रहने दिया जाये। इसे पर्यटन स्थल न बनाया जाये।  इस मांग को लेकर देशभर में शांति पूर्वक प्रदर्शन जारी है। देश भर में चर्चित ओबीसी के कदावर नेता व राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार राज ने  सम्मेद शिखरजी के लिये हो रहे आंदोलन का समर्थन किया। साथ हीं उन्होंने झारखंड सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित करने के निर्णय को बदलने की मांग की और कहा कि इसे तीर्थ स्थल के रूप में ही विकसित किया जाये।  उन्होंने कहा है कि भारत एक बगीचा है जहां सभी तरह के फूल खिलते हैं और धार्मिक आस्थाओं के अनुसार यह जैन समाज के लिये  विश्वस्तरीय तीर्थ स्थल है।

ऐसे में इसे पर्यटक स्थल घोषित करना करोड़ों जैन समुदाय के लोगों के भावनाओं को आहत करने वाला है। लोजपा लीडर राज ने इस मामले में  राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भारत सरकार के मंत्री पशुपति कुमार पारस से आग्रह किया है कि वे भारत सरकार और राज्य सरकार को पत्र लिखकर स्थितियों से अवगत कराएं।  राज ने यह भी कहा कि शीघ्र ही राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का एक शिष्टमंडल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं मुख्य सचिव से मिलकर इस निर्णय को बदलने की मांग करेगी तथा महामहिम राज्यपाल को भी ज्ञापन देगी।

 लोजपा लीडर राज ने कहा यद्यपि पवित्र सम्मेद शिखर  जैनियों का तीर्थ स्थल है लेकिन यहां सभी धर्मों के लोग पूजा अर्चना और आराधना के लिए आते हैं। भगवान महावीर सत्य अहिंसा के प्रतीक हैं। और उनके भावनाओं के अनुरूप पार्श्वनाथ जी को तीर्थ स्थल ही बने रहने देना चाहिए । यहां सभी धर्मावलंबियों को आने जाने की छूट है।  राज ने कहा कि जरूरत पड़ी तो राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी भी इसके लिए अपने स्तर पर आंदोलन भी करेगी।

मामले को समझने के लिये शिखरजी के महत्व को समझना जरूरी है।

- झारखंड के पारसनाथ की पहाड़ी स्थित सम्मेद शिखर जैन समाज के लिये पवित्र व तीर्थस्थान है।

-  सम्मेद शिखर जी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है। 

-  मंदिरें लगभग 27 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। 

- यहां जैन समाज के 24 तीर्थंकरों में 20 तीर्थंकरों व भिक्षुओं ने मोक्ष प्राप्त किया है। 

- यहां आने वाले श्रद्धालुगण पहले पूजा पाठ करते हैं तभी कुछ पानी व भोजन ग्रहण करते हैं।

- पहाड़ी पर कुछ मंदिर 2000 साल पहले यानी प्राचीन काल के हैं।

 

आखिर विवाद है क्या ? 

- साल 2019 में झारखंड की सरकार ने बैजनाथ धाम(देवघर) और बासुकीनाथ धाम(दुमका) समेत इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया था।

- साल 2019 में हीं  केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया और कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने की जबरदस्त क्षमता है।  

झारखंड के हीं विकास रवानी ने जैन समाज का समर्थन करते हुए कहा कि सम्मेद शिखरजी पर्यटन क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र बनाने से यहां की शांति भंग होगी। जैन मुनियों के तपस्या में दिक्कतें आयेंगी। मांस-मंदिरा का सेवन का बढ जायेगा जबकि जैन समाज के जीवन में मांस-मदीरा कोसो दूर है। सरकार ने जो निर्णय लिया है उसे वापस लिया जाना चाहिये।     

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्हें अभी इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है। उन्हें सिर्फ इतना हीं पता है कि केंद्र सरकार ने पारसनाथ पर्वत को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हुआ है। केंद्र सरकार की तरफ से यह फैसला क्यों और किस संदर्भ में लिया गया है, उसकी जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। वह देखेंगे कि इस मामले में क्या हल निकल सकता है। बहरहाल, इस मामले को लेकर जैन समाज का एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर आग्रह किया है कि आदेश को रद्द किया जाये।