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सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ सरकारी बैंक कर्मचारियों में काफी रोष है। इसी कड़ी में 15 और 16 मार्च को राष्ट्रव्यापी हडताल है। 9 बैंकों यूनियन के समूह यूनाइटेड फ़ोरम ऑफ़ बैंक यूनियन ने इस हड़ताल का आहवान किया है। हड़ताल का साफ प्रभाव बैंकों पर दिखा। लेकिन सवाल है कि क्या सरकार उनकी बातों पर ध्यान दे रही है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने 1 फरवरी (2021) को बजट पेश करने के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव दिया था। तभी से इसका विरोध जारी है। देशव्यापी हड़ताल का असर आर्थिक राजधानी मुंबई से लेकर देश की कोल कैपिटल धनबाद जिले तक में दिखी। धनबाद में बैंक यूनीयन के नेताओं ने कहा कि बैकों के निजीकरण से आम जनता समेत सभी लोग परेशान होंगे। गांव देहात के लोग प्राइवेट बैंक में प्रवेश भी नहीं कर सकेंगे। जनधन योजना के तहत जिनके अकाउंट है क्या प्राइवेट बैंक उसका पालन करेगी।