प्रतिष्ठित गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन।

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प्रतिष्ठित गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन।

टाइम्स खबर timeskhabar.com

बिहार के रहने वाले देश के प्रतिष्ठित गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जी का आज सुबह निधन हो गया पटना में।  बताया जाता है कि आज सुबह उनके मुंह से खनू निकल रहा था। उन्हें राजधानी पटना के पीएमसीएच ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन से पूरे राज्य में शोक है। वे बीते 40 सालों से सिजोफ्रेनिया से पीडित थे। पिछले महीने ही शरीर में सोडियम की मात्रा कम होने से उन्हें पीएमसीएच में दाखिल कराया गया था। इलाज के बाद उनकी तबियत में सुधार हुआ और घर लाये गये थे।

महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह बचपन से हीं मेधावी थे। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। उनसे जुड़े कई महत्वपूर्ण बातें हैं उनमें से एक है

पटना के प्रतिष्ठित साइंस कॉलेज से संबंधित। बताया जाता है कि पटना स्थित प्रतिष्ठित साइंस कॉलेज में क्लास के दौरान वे गलत पढाने पर प्रोफेसर को भी टोक देते थे। एक बार नहीं कई बार उन्होंने टोक दिया था। जब इस बात की जानकारी कॉलेज प्रिंसिपल को हुई तो उनकी अलग से परीक्षा ली गई और उस परीक्षा में उन्होंने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये। जब वे पढाई ही कर रहे थे तभी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जे. केली ने उनके प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपने साथ अमेरिका ले गये। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। वहीं से पीएचडी की। इसके बाद वे वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बन गये।     

उन्होंने अमेरिका के नासा में भी काम किया लेकिन अपने देश की याद उन्हें हमेशा आती थी। एक दिन वे भारत लौट आये और यहां आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर और आईएसआई कोलकाता में नौकरी की। साल 1973 में उनका विवाह वंदना रानी सिंह से हुई लेकिन उनके असामान्य व्यवहार की वजह से उनकी पत्नी ने तलाक ले लिया। इस बीच शादी के बाद हीं 1974 में उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। इलाज कराया गया। 1976 में उन्हें रांची भी ले जाया गया इलाज के लिये। 

उन्हें आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा था। साल 1987 में अपने गांव आ गये। साल 1989 की बात है कि अचानक यह खबर आई कि वशिष्ठ नारायण सिंह जी लापता हो गये। उन्हें ढूंढने की काफी कोशिश की गई लेकिन नहीं मिले। साल 1993 में वे डेरीगंज (सारण जिला) में मिले। 

बहरहाल वे इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। सेना से रिटायर उनके भाई अयोध्या सिंह का कहना है कि पटना के एक फ्लैट में गुमनामी की जिंदगी जी रहे प्रतिष्ठि गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण जी का सबसे अच्छा दोस्त पुस्तक, पेन-पेंसिल और कॉफी रहा अंतिम समय तक।  इनका जन्म 2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर नामक गांव में हुआ था।