टाइम्स खबर timeskhabar.com
महाराष्ट्र की राजनीति में तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि जिसके पास नंबर है वे आकर सरकार बना ले इसमें कही कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने अपने सहयोगी पार्टी शिवसेना के मुख्यमंत्री पद की मांग पर भी कहा कि कोई भी नई मांग स्वीकार्य नहीं होगा।
बहुमत है तो सरकार बनायें :
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने सभी को पर्याप्त समय दिया। 18 दिनों का समय दिया गया। इतना किसी भी राज्य को नहीं दिया गया। राज्यपाल ने सभी दलों के नेताओं को तभी बुलाया जब विधान सभा का कार्यकाल समाप्त हो गया। हममें से किसी ने भी नहीं चाहे बीजेपी हो या शिवसेना या एनसीपी या कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा किया। यदि किसी पार्टी या गठबंधन के पास नंबर है तो राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा कर सकता है। राजनीति के लिये एक संवैधानिक पद को इस तरह घसीटना उचित नहीं। अब 6 महीने का समय है सरकार बनाये।
शिवसेना की नई मांग स्वीकार्य नहीं :
मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट गया। शिवसेना का कहना है कि लोकसभा चुनाव के समय ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद के लिये बातचीत हुई थी लेकिन अब बीजेपी नहीं मान रही और उन्हें झूठा ठहरा रही है। इस पर बीजेपी अध्यक्ष शाह ने जवाब देते हुए कहा कि मैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक मंच से कह चुके हैं कि हमारा गठबंधन चुनाव जीतेगा तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हीं होंगे। उस समय किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया। अब नई मांग की जा रही है। इस मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
बीजेपी को हुआ सबसे बड़ा नुकसान :
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है। इससे विपक्ष को कोई नुकसान नहीं हुआ। सबसे बड़ा नुकसान हमारी पार्टी बीजेपी को हुआ है। हमारी केयरटेकर सरकार चली गई। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना को लेकर कहा कि हमने कोई विश्वासघात नहीं किया है। मेरी पार्टी का संस्कार कमरे में हुई बातचीत को सार्वजनिक करने का नहीं है। हम उनके साथ सरकार बनाने को तैयार थे लेकिन उनकी नई मांग नहीं मानी जा सकती। समय आने पर पार्टी विचार करेगी।
मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं :
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि वे मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं है। जब राष्ट्रपति शासन के 6 महीने समाप्त हो जायेंगे फिर कानून सलाह के आधार पर आगे का काम किया जायेगा।
रात साढे आठ से पहले ही राष्ट्रपति शासन क्यों ?
राज्यपाल कोश्यारी ने एनसीपी को 12 नवंबर की रात साढे आठ बजे तक का समय सरकार बनाने के लिये दिया था लेकिन उससे पहले दोपहर बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इसपर उठ रहे सवाल पर केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि शायद कांग्रेस अपने सहयोगी पार्टी एनसीपी से पूछती नहीं है। एनसीपी ने सुबह साढे ग्यारह बजे के आसपास ही लिखित में दे दिया था कि वे सरकार बनाने में असमर्थ हैं। ऐसे में राज्य पाल को साढे आठ बजे तक रूकने की क्या जरूरत थी। राष्ट्रपति शासन लागू करना जरूरी था नहीं तो आरोप लगता कि बीजेपी अस्थायी तौर पर अपनी ही सरकार चला रही है।