- राजेश कुमार
बिहार में आखिरकार मंत्रिमंडल का विस्तार हो हीं गया। राज्यपाल फागू चौहान ने 17 सदस्यों को मंत्री पद और गोपनियता की शपथ दिलाई। इसी के साथ बिहार सरकार में कुल 31 मंत्री हो गये। बिहार चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत 14 लोगों ने शपथ ली थी। मंत्रिमंडल का विस्तार 84 दिनों बाद हुआ है। बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार होते हीं यहां की राजनीति में जातीय समीकरण की चर्चा फिर शुरू हो गई है। किस जाति को कितना स्थान दिया गया। किस जाति के लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। कोई खुश है तो कोई नाखुश तो कोई विद्रोह के संकत दे रहे हैं। नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार में कुल 17 मंत्रियों को जगह दी गई है इनमें 9 बीजेपी कोटे से तो 8 जेडीयू कोटे से। बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू राजपूत जाति से है और इन्होंने आरोप लगाया है कि बीजेपी में राजपूत और अगड़े समाज को प्रमुखता नहीं दी गई है।
लेकिन वास्तिवकता इससे एकदम अलग है। सबसे ज्यादा किसी को प्रतिनिधित्व दिया गया है तो वह राजपूत जाति हीं है। कुल 17 में से 4 राजपूत जाति के हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी जाति से हैं बावजूद कुर्मी जाति से सिर्फ एक को हीं कैबिनेट में जगह दी गई है जेडीयू कोटे से। बीजेपी ने कुर्मी जाति से किसी को मंत्री नहीं बनाया। राज्य में सबसे अधिक आबादी यादव जाति की है लेकिन यादव समाज से भी किसी को जगह नहीं दी गई। यादव जाति के बाद चंद्रवंशी समाज के सबसे अधिक आबादी है लेकिन इस समाज के लोगों को भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। यहां तक कि अगड़े वर्ग से प्रभावशाली भूमिहार समाज से भी किसी को मंत्री नहीं बनाया गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो ज्ञानेंद्र सिंह को उम्मीद था कि उन्हें मंत्री बनाया जायेगा लेकिन नहीं बनाय गया। इसलिये वे आरोप लगा रहे हैं।
इस मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी ने नंद किशोर यादव और प्रेम कुमार जैसी अनुभवी और जनाधार वाले लीडर को भी कैबिनेट में जगह नहीं दी। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके व पू्र्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
एक नजर जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई है
बीजेपी कोटे से बनाये गये मंत्री : 1. शाहनवाज हुसैन (मुस्लिम) 2. प्रमोद कुमार (वैश्य) 3. नारायण प्रसाद (वैश्य) 4. सम्राट चौधरी, (कुशवाहा) 5. नीरज सिंह बबलू (राजपूत) 6. सुभाष सिंह (राजपूत) 7. नितिन नवीन (कायस्थ) 8. आलोक रंजन (ब्राह्मण) 9. जनक राम (महादलित)
जेडीयू कोटे के मंत्री - 1. श्रवण कुमार (कुर्मी) 2. मदन सहनी (मल्लाह) 3. संजय कुमार झा (ब्राह्मण) 4. लेसी सिंह (राजपूत) 5. सुमित कुमार सिंह (राजपूत) 6. सुनील कुमार (दलित) 7. जयंत राज (कुशवाहा) 8. जमां खान (मुस्लिम)
बीजेपी ने राजपूत जाति से दो और जेडीयू ने भी राजपूत जाति से दो विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दी है। यानी कुल 4 विधायक मंत्री बने हैं राजपूत जाति से। बीजेपी ने ब्राह्रण समाज से 1 और जेडीयू ने भी ब्राह्मण समाज से 1 विधायक को मंत्रिमंडल में जगह दी यानी कुल दो मंत्री बनाये गये हैं विस्तार में। बीजपी ने कायस्थ समाज से 1 विधायक को मंत्रिमंडल में जगह दी। यानी कुल मिलाकर अगड़े वर्ग से 17 में से 7 मंत्री है। दो मंत्री मुस्लिम समुदाय है। इनके अलावा वैश्य समाज (बीजेपी), दलित समाज (एक बीजेपी व एक जेडीयू) और कुशवाहा समाज (एक बीजेपी व एक जेडीयू) से 2-2 मंत्री बनाये गये हैं। कुर्मी समाज से एक और एक मंत्री मल्लाह समाज से बनाये गये हैं।
बहरहाल, मंत्रिमंडल विस्तार में कई जातियों को प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा सका है। इसको लेकर बीजेपी के अंदर प्रतिक्रियाएं शुरू हो गई हैं। राजीनितक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह का आरोप उचित नहीं है। यदि इसे प्रतिशत के हिसाब से देखें तो अगड़े वर्ग की आबादी 10 से 12 प्रतिशत है और 17 में 7 विधायक मंत्री बने हैं वहीं पिछड़े वर्ग की आबादी 52 प्रतिशत है और सिर्फ 6 को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।