टाइम्स ख़बर timeskhabar.com
नये कृषि कानून को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह एक विकल्प है। पुरानी व्यवस्था खत्म नहीं हुई है। आप जिसे अपनाना चाहते हैं उसे अपना सकते हैं। यदि कोई सुधार हो सकता है तो वह किया जायेगा। किसान ये बतायें कि उनका कौन सा हक छिना गया है। उन्होंने कहा कि किसान सिर्फ धान और गेहूं का हीं उत्पादन न करें। बाजार के हिसाब से उत्पादन जरूरी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नये कृषि कानून किसी पर थोपा नहीं गया है। यह वैकल्पिक व्यवस्था है। 26 जनवरी को हुए हिंसा पर उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन पवित्र है। हिंसा कर इसे बदनाम नहीं करनी चाहिये। नये कानून बनने बाद न तो मंडी बंद हुए और न हीं एमएसपी कम हुई। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की हर बात सुनने के लिए तैयार है और अगर कोई भी कमी है तो हम उसे दूर करने के लिए तैयार हैं।"
- देश को आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों के बारे में फर्क करना बहुत जरूरी है।
- बहुत कम जमीन वाले किसानों की संख्या 12 करोड़ से ज्यादा है। क्या इन किसानों के प्रति देश की कोई जिम्मेदारी नहीं है? हमें मिलकर इस सवाल का जवाब ढूंढ़ना होगा और जिसको जो भी मौका मिले, वह करना होगा।
- खेती को आधुनिक बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और अनेक कदम उठा भी रही है | सरकार के प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।
- कृषि सुधार, किसान रेल ये सभी हमारे देश के छोटे किसानों को लाभ देने का प्रयास है।
- हमारे अन्नदाता समृद्द हों, यह हम सबकी जिम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद को संबोधित करते हुए विपक्ष झूठ और अफवाह फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने किसानों से अपील की कि टेबल पर बैठकर चर्चा करें और इसका समाधान निकालें।