राजस्थान : मुख्यमंत्री गहलोत ने विश्वास मत हासिल किया विधान सभा में और कहा उनकी एकता की विजय है।

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राजस्थान : मुख्यमंत्री गहलोत ने विश्वास मत हासिल किया विधान सभा में और कहा उनकी एकता की विजय है।

टाइम्स खबर timeskhabar.com

राजस्थान की रेगिस्तान में उठे बवंडर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ध्वनीमत से विश्वास मत हासिल कर लिया है। संसदीय कार्यमंत्री शांतिलाल धारीवाल ने विश्वासमत पेश किया था। जिस पर दोनों पक्षों की ओर से लगभग तीन घंटे बहस हुई। चेयर पर विधान सभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी थे। इस बहस के दौरान कांग्रेस लीडर व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को निशाना बनाया और कहा कि वे हर हाल में ठान लिया कि सरकार गिरानी है और मैं भी ठान लिया कि किसी भी कीमत पर सरकार गिरने नहीं दूंगा। 

उन्होंने बीजेपी पर लगातार हमले किये और कहा कि देश में संविधान के धज्जियां उड़ाई जा रही है। अरूणाचल में बीजेपी ने कांग्रेस के 45 में से 40 विधायक चुरा लिये। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा , मणिपुर में हमारे विधायकों की खरीद फरोख्त हुए। ऐसा ही षडयंत्र यहां किया गया लेकिन वे सफल नहीं हो सके। मेरी सरकार को अस्थिर करने में केंद्रीय मंत्री शामिल रहे। एक ऑडियो में केंद्रीय मंत्री की भूमिका सामने आई। 

विश्वास प्रस्ताव के लिये सदन के अंदर जो व्यवस्था की गई थी उसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को पीछे की सीट मिली। यह राजनीतिक और मीडिया गलियारों में चर्चा का विषय बना रहा। बीजेपी भी बार बार बहस के दौरान सचिन पायलट का जिक्र कर रहे थे। इस पर सचिन ने बेहतर तरीके से अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि वे (राजेंद्र राठौड़) बार- बार मेरा नाम ले रहे हैं. मैंने सोचा कि हमारे अध्यक्ष व मुख्य सचेतक ने मेरी सीट यहां क्यों रखी है? मैंने दो मिनट सोचा और फिर देखा कि यह सरहद है एक तरफ पक्ष है और दूसरी तरफ विपक्ष.... तो सरहद पर किसको भेजा जाता है।  सबसे मजबूत योद्धा को भेजा जाता है। पहले मैं मुख्यमंत्री जी के बगल में बैठता था आज यहां बैठा हूं। 

 बहरहाल, मुख्यमंत्री गहलोत के पास 125 विधायकों का समर्थन है, जो कि 200 सदस्यीय विधानसभा में 101 के बहुमत के आंकड़े से काफी ज्यादा है। बागी विधायकों की वापसी से पहले गहलोत खेमे के पास 102 विधायक थे। गुरूवार को उन्होंने कहा था कि जो बातें हुईं, उन्हें अब भूल जाओ। हम इन 19 विधायकों के बिना भी बहुमत साबित कर देते लेकिन फिर वह खुशी नहीं मिलती क्योंकि अपने तो अपने होते हैं।  हम विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाएंगे। 

बहरहाल, जिस प्रकार से सचिन पायलट को पीछे की सीटें दी गई उसको लेकर बहस जारी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी कहीं न कहीं लग रहा है कि उनकी सरकार गिरानी की कोशिश हुई। वहीं उपमुख्यमंत्री पद और प्रदेश अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहने वाले और कांग्रेस को सत्ता तक लाने में अहम भूमिका निभान वाले सचिन पायलट भी आहत हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्ववीट किया कि पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है, लोग लंब समय से इंतजार कर रहे थे। इसे मैं प्रदेशवासियों की विजय मानता हूँ, कांग्रेस की नीतियों की, कार्यक्रमों की, सिद्धांतों की विजय है, हमारे विधायक एकजुट रहे ये उनकी एकता की विजय है।

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