भारत-चीन तनाव : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक लेह-लद्दाख पहुंचे। और जांबाजी के लिये देश की सेना की तारीफ की और चीन को संदेश भी दिया।

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 भारत-चीन तनाव : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक लेह-लद्दाख पहुंचे। और जांबाजी के लिये देश की सेना की तारीफ की और चीन को संदेश भी दिया।

टाइम्स खबर timeskhabar.com

भारत-चीन के लद्दाख सीमा स्थित भारी तनाव के बीच प्रधानमंत्री फ्रंट का जायजा लेने और अपने योद्धाओं को मनोबल को बढाने लिये अचानक लेह पहुंचे। उन्होंने चीन का नाम लिये बिना  चेतावनी देते हुए कहा कि विस्तारवाद का युग खत्म हो चुका है। ये विकासवाद का युग है। 20वीं शताब्दियों में विस्तारवाद ने हीं मानवता का सबसे ज्यादा नुकसान किया। शांति के लिये खतरा पैदा किया। ऐसी ताकतें मिट गई हैं। 

गलवान घाटी में भारतीय सेना पर चीनी सेना द्धारा धोखे से किये गये हमले के 18 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेह और लद्दाख का दौरा किये। वे लगभग 11 हजार फीड ऊंचाई पर स्थित फॉलवर्ड लोकेशन नीमू पहुंचे। यहां उन्होंने स्थितियों को समझा और सेना, वायु सेना और अर्धसैनिक बल आईटीबीपी के जवानों से बातचीत की और उनका मनोबल बढाया। यहां उन्होंने जवानों को संबोधित करते हुए चीन को चेतावनी के साथ संदेश दिये। 

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि  हमारे भारतीय जवान जिस कठिन परिस्थितियों में देश की हिफाजत करते हैं उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता। आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है, जहां आप तैनात हैं। आपका निश्चय उस घाटी से भी सख्त है, जिसे आप रोज कदमों से नापते हैं। आपकी इच्छाशक्ति आसपास के पर्वतों जैसी अटल है। डोकलाम में जो झड़प हुए भारत और चीन के सैनिकों के बीच उसे याद करते हुए उन्होंने कहा कि - अभी जो आपने और आपके साथियों ने वीरता दिखाई है, उसने पूरी दुनिया में यह संदेश दिया है कि भारत की ताकत क्या है। मेरे सामने महिला फौजियों को भी देख रहा हूं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा था कि जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल। मैं आज अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं। मैं गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों को भी फिर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आज हर देशवासी का सिर आपके सामने आदरपूर्वक नतमस्तक होकर नमन करता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान कृष्ण का जिक्र करते हुए कहा कि हम वो लोग हैं, जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं, हम वही लोग हैं जो सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण को भी आदर्श मानकर चलते हैं। इसी प्रेरणा से भारत हर आक्रमण के बाद और सशक्त बनकर उभरा है। उन्होंने सेना के फायर (आग) और फ्यूरी (आक्रोश) की तारीफ करते हुए कहा कि दुनिया ने आपके अदम्य साहस देखा है, जाना है। आपकी शौर्य गाथाएं घर-घर में गूंज रही हैं। भारत माता के दुश्मनों ने आपकी फायर (आग) और फ्यूरी (आक्रोश) भी देखी है। आप उसी धरती के वीर हैं, जिसने कई आक्रांताओं के हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया है।

सीमा पर गये प्रधानमंत्री ने महात्मा बुद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि ‘भगवान गौतम बुद्ध ने कहा है कि साहस का संबंध प्रतिबद्धता से है। साहस करुणा है। साहस वो है, जो हमें निर्भिक और अडिग होकर सत्य के पक्ष में खड़े होना सिखाए। साहस वो है, जो हमें सही को सही कहने और करने की ऊर्जा देता है। देश के वीर सपूतों ने गलवान घाटी में जो अदम्य साहस दिखाया, वो पराक्रम की पराकाष्ठा है। 

बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक सुबह साढे नौ बजे ( 09:30 am)लेह-लद्दाख पहुंच गये। वे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे के साथ पहंचे। ये दौरा अचानक हुआ, पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पहुंचने की बात कही जा रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब  पूरे विश्व ने विस्तारवाद के खिलाफ अपना मन बना लिया है। उनके इस दौरे का साफ संदेश है कि चीन चाहे जो भी कदम उठाये भारत पीछे नहीं हटेगा।