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कोरोना महामारी के दौरान सबसे अधिक मुसिबतों का सामना करना पड़ रहा है श्रमिकों को। रास्ते में कितने श्रमिकों ने दम तोड़ दिया है इसका कोई हिसाब किताब नहीं। ट्रेनों से कटकर श्रमिकों की मौत हो रही है। भूख से दम तोड रहे हैं। सिर्फ श्रमिक हीं नहीं छोटे छोटे बच्चे और महिलाएं भी परेशान व भारी तकलीफ में हैं। इस स्थिति को लेकर कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने एक मार्मिक वीडियो जारी किया और साथ ही ट्वीट किया कि "अंधकार घना है कठिन घड़ी है, हिम्मत रखिए-हम इन सभी की सुरक्षा में खड़े हैं। सरकार तक इनकी चीखें पहुँचा के रहेंगे, इनके हक़ की हर मदद दिला के रहेंगे। देश की साधारण जनता नहीं, ये तो देश के स्वाभिमान का ध्वज हैं... इसे कभी भी झुकने नहीं देंगे।"
कांग्रेस लीडर राहुल गांधी लगातार श्रमिकों की समस्याओं को उठा रहे हैं। आर्थिक पैकेज के घोषणा से पहले 12 मई को राहुल गांधी ने ट्वीट के हवाले से सरकार से आग्रह किया था कि " प्रधानमंत्री जी से मेरा आग्रह है कि आज रात के सम्बोधन में सडकों पर चलते हमारे लाखों श्रमिक भाइयों-बहनों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने की घोषणा करें। इसके साथ ही इस संकट के समय में सहारा देने के लिए उन सभी के खातों में कम से कम 7500 रु का सीधा हस्तांतरण दें।"
इससे पहले 11 मई को उन्होंने ट्वीट किया था कि अनेक राज्यों द्वारा श्रमकानूनों में संशोधन किया जा रहा है। हम कोरोना के खिलाफ मिलकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन यह मानवाधिकारों को रौंदने, असुरक्षित कार्यस्थलों की अनुमति, श्रमिकों के शोषण और उनकी आवाज दबाने का बहाना नहीं हो सकता। इन मूलभूत सिद्धांतों पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
बहरहाल, सरकार द्धारा जो पैकेज का ऐलान किया गया है उसको लेकर कांग्रेस पार्टी ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि खोद पहाड निकला जुमला