कोरोना का कहर चीन के लिये अभिशाप या वरदान : वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार।

1
कोरोना का कहर चीन के लिये अभिशाप या वरदान :  वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार।

कोरोना वायरस (Corona Virus) की वजह से भारत (India) समेत पूरी दुनिया लॉकडाउन (Lockdown) है। यहां तक कि सबसे अधिक संपन्न और शक्तिशाली देश अमेरिका भी लाचार है। वहां भी तीन हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला जारी है।  इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ रही है अधिकांश देशों को। इस बीच रोकथाम के लिये हर संभव कोशिश की जा रही है। जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसे भी इस प्रकरण के दो पहलू दिखाई दे रहे हैं। पहला हम सब वाकिफ हैं कि चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना का प्रकोप अब पूरी दुनिया में है। ऐसा विश्व इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया कि पूरी दुनियां ही लॉकडाउन हो। सरकारी-प्राइवेट दफ्तर, ट्रैनें, हवाई जहाज, बाजार, मॉल व थियेटर आदि सबकुछ बंद। दूसरा पहलू यह दर्शाता है कि चीन विश्व में सर्वाधिक शक्तिशाली देश के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है। चीन में 3305 लोगों की मौतें हुई। 76052 लोग रिकवर हुए। 2161 एक्टिव हैं। यहां कुछ और लोगों की भी मृत्यु हो सकती है लेकिन चीन ने एक हद तक इसपर काबू पा लिया है। लेकिन यह बीमारी अमेरिका और यूरोप को तबाह कर दिया है। विज्ञान और मेडिकल क्षेत्र में समृद्ध होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हो रही है। 

एक समय था जब दुनिया के आधे से ज्यादा हिस्से पर ब्रिटिश हुकुमत था। कहा जाता है कि उनके साम्राज्य में सूर्यास्त कभी नहीं हुआ। यह सिलसिला लगभग 1700 ई से लेकर द्धितीय विश्व युद्ध (1945) तक चला।  लेकिन द्धितीय विश्व युद्ध में जापान के हिरोशिमा और नागासकी में परमाणु बम गिराने के साथ हीं अमेरिका विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के रूप में सामने आया। ब्रिटेन की जगह अमेरिका ने ले लिया। हालांकि दोनो देश सदैव मित्र देश रहे हैं और आज भी हैं। इसी दौर में कोल्डवार शुरू हुआ अमेरिका और सोवियत संघ के बीच। इनके बीच विचारधारा के साथ साथ आर्थिक और सामरिक लडाई का दौर भी चलता रहा। लेकिन 26 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ बिखर गया। और इसी के साथ भले हीं कोल्डवार समाप्त हो गया हो लेकिन किसी न किसी रूप में अमेरिका और रूस के बीच तनाव जारी है।  साल 2020 में कोरोना की वजह से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चीन अब पूरी दुनिया पर अपनी बादशाहत कायम करने को आतुर है। हालांकि अमेरिका के रहते इतना आसान नहीं है लेकिन जो हालात पैदा हो रहे हैं इससे लगता है कि चीन अब ब्रिटन, अमेरिका के बाद तीसरा ऐसा देश हो सकता है जो विश्व का सर्वशक्तिशाली होगा। 

 

विश्व का सबसे शक्तिशाली देश वही बन सकता है जो सामरिक, आर्थिक, विज्ञान और कुटनीति के क्षेत्र में संपन्न हो। और इस मार्ग पर चीन कैसे मजबूत होता जा रहा है निम्नलिखित बातों से समझा जा सकता है -  

पहला सामरिक : संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में पांच देशों को वीटो करने का अधिकार है वे हैं अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस। इनमें तीन देश अमेरिका, रूस और चीन आज की तारीख में भी इतने शक्तिशाली है कि दुनिया के किसी भी कोने में सिर्फ बटन दबा कर परमाणु बम का विस्फोट करने में सक्षम है। हां यह जरूर है कि सामरिक तकनीक के मामले में चीन अमेरिका और रूस से पीछे है लेकिन इतनी शक्ति इकठ्ठा कर चुका है कि युद्ध होने की स्थिति में कोई भी नहीं बचेगा। यानी इन देशों के बीच युद्ध का मतलब है कि तीसरा विश्व युद्ध जो कि मुमकिन नहीं लगता। 

दूसरा आर्थिक : आर्थिक क्षेत्र में अमेरिका का दबदबा है। वह विश्व का सबसे अधिक समृद्ध व संपन्न देश है। आर्थिक मामले में रूस अमेरिका से पीछे है लेकिन चीन व्यापार के मामले में अमेरिका को समय समय पर चुनौती देता रहा है। लेकिन कोरोना प्रकरण के प्रभाव को देख लग रहा है कि चीन कोरोना वायरस से प्रभावित होने के बावजूद आर्थिक क्षेत्र में छलांग लगाने के लिये तैयार है। दरअसल चीन के वुहान शहर से ही कोरोना हमले की शुरूआत हुई। चीन का वुहार शहर एकदम विरान हो गया। यहां तीन हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई। लेकिन चीन ने अपने देश के अन्य महत्वपूर्ण शहरों को सुरक्षित कर लिया। वहीं इटली (11500 से अधिक मृतक), स्पेन (8 हजार से अधिक),  फ्रांस (3 हजार से अधिक), ब्रिटेन (1400 से अधिक) और अमेरिका (3 हजार से अधिक) आदि यूरोपीय देशों में कोरोना का कहर जारी है। मृतकों की संख्या में लगातार बढोतरी हो रही है। ये वे देश हैं जो हर मामले में संपन्न हैं। एक ओर इन देशों में दहशत है। कई शहरो में लॉक डाउन है। कारोबार ठप है अमेरिका को छोड़कर। वहीं चीन जहां इस समस्या से तेजी से उबर रहा है साथ ही बड़े पैमाने में कोरोना से बचने के उपकरण बना रहा है। और इसकी मांग पूरे विश्व में है। सिर्फ इसी क्षेत्र की कमाई से चीन बहुत आगे निकल जायेगा आर्थिक मामले में। 

एक समय था जब चीनी वस्तुओं पर कोई भी ग्राहक सहज हीं विश्वास नहीं करता था। वह मानकर चलता था कि यह चीन का बना हुआ है और कभी भी खराब हो सकता है। लेकिन जब चीन ने कोरोना को  लगभग नियंत्रण कर लिया है तो लोगों में यह धारणा बनने लगी है कि चीन के पास इस वायरस अटैक का कोई दवा है। इस बीच यह खबर भी तेजी से फैल रही है कि चीन दवा बना रहा है और यह दवा परीक्षण के दौरान काफी कारगर साबित हो रहा है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि जहां पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था ठप है वहीं चीन कोरोना से संबंधित उपकरण और दवाओं की बिक्री कर कितनी बड़ी आमदनी कर सकता है। साथ ही चीन के अन्य क्षेत्रों में भी कारोबार और उत्पादन जारी है। आने वाले दिनों में चीन दुनिया का सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है। 

 

तीसरा विज्ञान : विज्ञान के बिना कोई भी देश आगे नहीं बढ सकता। सामरिक और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत मजबूत स्थिति में है।  मेडिकल विज्ञान के क्षेत्र में अमेरिका-रूस और अन्य यूरोपीय देश काफी मजबूत है बावजूद कोरोना वायरस ने यहां बड़े पैमाने पर तबाही मचाई। ऐसे में कोरोना वायरस के घातक परिणाम और इसे नियंत्रण करने की जो खबरें आ रही है उससे यही लगता है कि चीन इस दिशा में काफी आगे बढ चुका है और आने वाले दिनों में अमेरिका और रूस भी इस ओर ध्यान देगा। और अपने वायरस और बैक्ट्रिया रिसर्च लैब को और आधुनिक बनाने की दिशा में कार्य करेगा। 

 

कहा जा रहा है कि भविष्य का युद्ध बायोलॉजिकल वेपन पर आधारित होगा। कोरोना का प्रभाव देखा जा सकता है। अब अमेरिका समेत तमाम विकसित देश वायरस और बैक्ट्रिया के दुष्परिणाम से लड़ने और अपने हित के लिये ऐसी स्थिति में कैसे जल्द से जल्द दवाइयां और वैक्सिन तैयार कर सके, इस ओर तेजी से कार्य करने के लिये हर संभव कोशिश में हैं। बायोलॉजिकल वेपन कितना घातक हो सकता है इसकी कल्पना सिर्फ कोरोना वायरस के प्रभाव से समझा जा सकता है। विश्व हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इसे (कोरोना) आतंकवाद से अधिक खतरनाक बताया है। 

यदि इसे युद्ध के नये तरीके का आगाज कहा जाये तो गलत नहीं होगा। जैसे मानव इतिहास में पहले शारीरिक क्षमता पर लड़ाई लड़ी जाती थी। फिर लाठी और ईट्ट-पत्थर से, इसके बाद पारंपरिक हथियार व तलवार-भाले से लड़ा जाने लगा। युद्ध में हाथी और घोड़े का इस्तेमाल भी होने लगा। फिर पिस्टल और रायफल ने जगह ले ली। धीरे धीरे तोप और टैंक के इस्तेमाल होने लगे। फाइटर प्लेन, परमाणु बम और मिसाइल से युद्ध होने लगा।  इसके बाद यह लड़ाई अंतरिक्ष तक पहुंच गई। अब लग रहा है कि बायो-विज्ञान ने इतनी तरीकी कर ली है कि आने वाले दिनों में बायोलॉजिकल लड़ाई तय है। अब आने वाला समय ही बतायेगा कि कोरोना चीन के लिये अभिशाप है या वरदान।  भारत को भी मेडिकल विज्ञान क्षेत्र में अपने आपको तैयार करना होगा। 

Note : Rajesh Kumar, Editor-in-Chief, globalkhabar.com