मोदी नहीं चाहिये सरकार रहे या नहीं।

मोदी नहीं चाहिये सरकार रहे या नहीं।

एनडीए में मतभेद और बिखराव की गति में तेजी आ गई है। एनडीए के सहयोगी दल जदयू ने साफ कर दिया है कि यदि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाता है तो जदयू एडीए से बाहर हो जायेगा। वहीं आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने नरेंद्र मोदी का समर्थन किया और सवाल किया कि कोई हिंदुत्ववादी भारत का प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकता?

इसके बाद एनडीए की राजनीति में भूचाल आ गया । बीजेपी के केंद्रीय नेताओं और प्रवक्ताओं ने इस पर कुछ नहीं कहा लेकिन बिहार बीजेपी के नेता और मंत्री गिरिराज सिंह ने नितिश कुमार का नाम लिये बिना जेडीयू पर हमला किया और कहा कि बीजेपी को किसी की सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।

मोदी बने विवाद का आधार बीजेपी-जेडीयू के बीच –
बीजेपी से प्राधनमंत्री पद के कुल छह दावेदार है लेकिन फ्रंट लाइन में हैं सिर्फ तीन। जो छह नाम हैं वे इस प्रकार हैं – बीजेपी अध्यक्ष नितिन गड़करी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में विरोधी दल के नेता सुषमा स्वराज, राज्य सभा में विरोधी दल के नेता अरूण जेटली और पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह। इनमें से सुषमा स्वराज, अरूण जेटली और राजनाथ सिंह ने अपने कदम पीछे खिंच लिये हैं।

बचे तीन नाम लाल कृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी और नरेंद्र मोदी। संघ ने आडवाणी के किनारा कर दिया है। नितिन गडकरी संघ के दुलारे हैं। और नरेंद्र मोदी कट्टर हिंदुत्व के कारण संघ नहीं चाहते हुए भी पंसद करने को मजबूर है। क्योंकि नितिन गडकरी के नाम पर बीजेपी में भी विवाद है ऐसे में आडवाणी को किनारे लगाने केलिये संघ ने मोदी को समर्थन कर दिया। लेकिन जेडीयू नेता नितिश कुमार किसी भी कीमत पर मोदी को समर्थन करने के लिये तैयार नही है। नितिश कुमार पहले भी मोदी का विरोध करते रहे हैं।

प्रधानमंत्री पद को लेकर नितिश का बयान –
नितिश कुमार ने 19 मई को कहा कि एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा? इसका ऐलान पहले हो जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं है। बड़ी पार्टी से ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदावर होना चाहिये लेकिन वह सेक्यूलर हो। यह साफ इशारा था कि वह मोदी के पक्ष में नहीं है।

आरएसएस ने समर्थन किया मोदी का -
बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार नीतीश के बयान पर संघ प्रमुख ने एतराज जताते हुए कहा कि उन्हें यह बताने की जरूरत नहीं है कि कौन धर्मनिरपेक्ष है? उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री से सवाल किया कि क्या आज तक के प्रधानमंत्री धर्मनिरपेक्ष नहीं थे ?

जेडीयू की कड़ी प्रतिक्रिया –
गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी के पक्ष में मोहन भागवत के बयान पर जेडीयू ने कड़ी टिप्पणी की है। जेडीयू प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि पार्टी किसी भी कीमत पर धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने संघ को कड़ी चेतावनी दी है कि बिहार की सरकार रहे या न रहे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, वे धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर अपने कॉमिटमेंट से पीछे नहीं हटेंगे।

उन्होंने कहा कि जेडीयू गुजरात की हिंसा को नहीं भूली है। तिवारी ने यह भी कहा कि अगर तत्कालीन एनडीए सरकार ने गोधरा की घटना के बाद गुजरात सरकार को हटा दिया होता, तो 2004 में एनडीए को दोबारा सत्ता मिल जाती। उन्होंने कहा कि बीजेपी में दो धड़े काम कर रहे हैं। एक धड़ा पार्टी को एनडीए के अजंडे पर चलाना चाह रहा है तो दूसरा इसको हिंदुत्व की राह पर ले जाना चाह रहा है। तिवारी ने कहा कि यह बीजेपी को तय करना है कि उसे सरकार बनानी है या विपक्ष में बैठना है, क्योंकि देश कट्टर चेहरों के पक्ष में नहीं है।

बीजेपी संघ के साथ ?
बीजेपी का मातृत्व संगठन आरएसएस है। लेकिन इस मुद्दे पर लगता है कि बीजेपी दो धाराओं में बंट गया है। या भविष्य में होने वाली क्षति को वह समझ चुका है। इसलिये बीजेपी के केंद्रीय नेताओं और प्रवक्ताओं ने कोई बयान नहीं दिया बल्कि बीजेपी की ओर से बीजेपी के उन नेताओं ने बयान दिया जिनका राजनीतिक महत्व नहीं है। बीजेपी नेता बलवीर पूंज ने कहा किसी को भी उसके नेताओं की धर्मनिरपेक्ष विश्वसनीयता पर फतवा जारी करने का अधिकार नहीं है।

गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में मोदी का नाम लिए बिना कहा था कि एनडीए को सेक्युलर छवि वाले शख्स को 2014 के चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित करना चाहिए।

क्या आडवाणी है इस विवाद के पीछे –
जब आडवाणी, मोदी और गडकरी में से किसी एक को चुनना हो तो लगता है कि शिवसेना हरहाल में आडवाणी के साथ हैं। सूत्र बता रहे हैं कि शिवसेना बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी से काफी नाराज हैं। इसलिये शिवसेना ने एनडीए की चिंता किये बिना यूपीए की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी को समर्थन देने का ऐलान किया है। जेडीयू ने भी प्रणव मुखर्जी का समर्थन करने का ऐलान किया है।

इससे बीजेपी अध्यक्ष गडकरी काफी आहत हैं। बीजेपी सूत्रों के अनुसार बीजेपी की एक लॉबी ने संघ को यह दिखा दिया है कि गडकरी भारतीय राजनीति में सबसे बड़ी विरोध दल के अध्यक्ष के लायक नहीं हैं। कहा जा रहा है कि इन सब के पीछे बीजेपी नेता आडवाणी का हाथ है।