अमेरिकी हमले में ईरानी जनरल सुलेमानी की मौत। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि ईरान ने हमला किया तो परिणाम गंभीर।

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अमेरिकी हमले में ईरानी जनरल सुलेमानी की मौत। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि ईरान ने हमला किया तो परिणाम गंभीर।

टाइम्स खबर timeskhabar.com

ईरान के टॉप जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद पूरी दुनिया एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर खड़ी हो गई है।  सुलेमानी अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गये। सुलेमानी की मौत से ईरान में लोग सड़कों पर उतर आये हैं। बदला लेने की बात कही जा रही है। मीडिय में थर्ड वर्ल्ड वार की बात कही जा रही है लेकिन ऐसा संभव नहीं, लेकिन हालात भी सामान्य नहीं रहेंगे। और इसका सीधा प्रभाव भारत के विदेश और आर्थिक नीति पर भी पड़ सकता है। 

सुलेमान को लेकर दो बातें सामने आ रही है। एक तरफ अमेरिका उसे आतंकवादी मानता रहा है तो दूसरी ओर सुलेमानी ईरान का सबसे बड़े दूसरा लीडर था। इस हमले को लेकर इजरायल, सऊदी अरब और ब्रिटेन समेत नाटो देश अमेरिका के साथ है वहीं रूस और चीन ईरान के पक्ष में दिख रहे हैं। भारत एकदम दुविधा की स्थिति में है। क्योंकि दोनो ही देशों से भारत के मजबूत संबंध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां व्यक्तिगत कोशिश से अमेरिका से मजबूत संबंध बनाये वहीं ईरान के साथ भारत का ऐतिहासिक और व्यापारिक संबंध  है। सुलेमानी को लेकर गल्फ में तनाव उत्पन्न हो चुका है। भारत ने शांति-व्यवस्था के बिगड़ने की आशंका को लेकर चिंता जताई है। और दोनो ही पक्षों से सयंम बरतने की अपील की है। 

ईरान ने जहां बदला लेने की बात कही है वहीं अमेरिका ने गंभीर परिणाम की चेतावनी दी। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि इराक में अमेरिका को निशाना बना कर कई हमले किये गये। बगदाद स्थित हमारे दूतावास पर हमला किया गया। ये सब कुछ सुलेमानी के आदेश पर किया गया। सुलेमानी ही है जिसने दिल्ली से लेकर लंदन तक आतंकवादी हमलों के षडयंत्र में  भूमिका निभाया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का शासनकाल अब समाप्त हो गया है। बीती रात भी जो हमला किया गया वह युद्ध की शुरूआत के लिये नहीं बल्कि युद्ध खत्म करने के लिये किया गया। 

सुलेमानी ईरान के रिवॉल्यूशनरी-गार्ड-कॉर्प्स कूद्स फोर्स के प्रमुख थे। ईरान में सबसे ताक़तवर व सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई के बाद अगर कोई दूसरा सबसे ताक़तवर शख़्स समझा था तो वे  जनरल क़ासिम सुलेमानी थे। गल्फ के दूसरे सबसे ताकतवर नेता थे। ऐसे में जनरल सुलेमानी के मारे जाने के बाद ईरान में घमासान मचा हुआ है। भारत के लिये भी कुटनीति तौर पर बड़ी नाजूक स्थिति है। भारत और ईरान को लेकर संबंध पर एक नजर : 

- ईरान शिया बहुल देश है और भारत के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं। 

- भारत ईरान में चाबहार पोर्ट के लिये मदद कर रहा है। इससे बिना पाकिस्तान के एक वैकल्पिलक रास्ता मिल जायेगा जो व्यापारिक दृष्टि से काफी फायदेमंद है। 

- गल्फ में लगभग 80 लाख भारतीय कार्यरत हैं।  तनाव बढा तो ये भी  प्रभावित होंगे।

भारत पहले हीं अमेरिका के कहने पर ईरान से अपने तेल आयात लगभग खत्म कर दिये हैं और उसकी भरपाई इराक से की जा रही है। विश्व युद्ध की कोई संभावना नहीं है लेकिन यदि ईरान ने बदला लेने के लिये अमेरिकी ठिकानों पर लगातार हमला किया और ईरान के पक्ष में रूस खड़ा हो गया तो बात बढ सकती है। ऐसे में भारत के लिये एक रास्ता तलाशना आसाना नहीं होगा।