बीजेपी में विवाद अभी भी।

 बीजेपी में विवाद अभी भी।

मुंबई(उदय रवानी की रिपोर्ट)। मुंबई में चल रहे बीजेपी की कार्यकारिणी की बैठक में पहले दिन दो महत्वपूर्ण फैसले हुए। पहला गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफत करने वाले संजय जोशी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा देना पड़ा और दूसरा बीजेपी के संविधान में संशोधन प्रस्ताव को पास किया गया। इससे बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष नितिन गडकरी दुबारा बीजेपी अध्यक्ष बन सकेंगे।

संजय जोशी को लेकर बीजेपी अध्यक्ष गडकरी और गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी के बीच कभी नहीं बना। यहां तक की दोनो नेताओं के बीच बातचीत भी नहीं होती थी। लेकिन वक्त की नजाकत को देखते हुए संजय जोशी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा देते हुए कहा कि वे नहीं चाहते थे कि उनको लेकर पार्टी में कोई दिक्कत हो। इसपर बीजेपी अध्यक्ष गडकरी ने कहा कि सभी विवाद सुलझा लिये गये हैं और नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हिस्सा लेंगे। मोदी आज मुंबई पुहंचे और कार्यकारिणी में हिस्सा भी लिये।

कौन हैं संजय जोशी –

संजय जोशी मुख्य रूप से आरएसएस के प्रचारक हैं। उन्हें संघ से बीजेपी में भेजा गया था और पार्टी का संगठन मंत्री बनाया गया। आरएसएस से आशिर्वाद प्राप्त जोशी बीजेपी में कितने ताकतवर रहे इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि जिन्ना विवाद पर उन्होंने अपनी हीं पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिये मजबूर कर दिया था। लेकिन तकरीबन सात साल पहले उनके खिलाफ एक अश्लील सीडी आ गई जिसमें वह एक महिला के साथ आपत्ति जनक स्थिति में थे। यह मामला इतना तूल पकड़ा कि जोशी को भी इस्तीफा देना पड़ा। माना जा रहा है कि इस सीडी कांड के पीछे गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी का हाथ रहा है। लेकिन संघ के आशिर्वाद से बीजेपी अध्यक्ष बने नितिन गडकरी ने संजय जोशी को यूपी विधान सभा चुनाव से पहले बीजेपी के मुख्य धारा में फिर ले आये। और यहीं से बीजेपी अध्यक्ष गड़करी और मुख्यमंत्री मोदी के बीच मतभेद शुरू हो गये।

बीजेपी संविधान में संशोधन -

बताया जा रहा है कि नितिन गडकरी के दोबारा बीजेपी अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ हो गया है। मुंबई में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ने अपने संविधान में संशोधन कर दिया। अब कार्यकारणी के इस फैसले पर राष्ट्रीय परिषद की मुहर लगनी बाकी है। बीजेपी सूत्रो का कहना है कि यह संशोधन पार्टी अध्यक्ष के कार्यकाल को लेकर किया गया है। अब पार्टी में लगातार दूसरी बार एक ही नेता को पार्टी का अध्यक्ष चुना जा सकेगा। गौरतलब है कि बीजेपी में अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है। अध्यक्ष के रूप में गडकरी का मौजूदा कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो रहा है।

नितिन गडकरी का विरोध –

बीजेपी में नितिन गडकरी का विरोध जारी है। बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता गडकरी को दोबारा अध्यक्ष बनाने के पक्ष में नहीं हैं। उन्हें लगता है कि गडकरी के अध्यक्ष बनने से बीजेपी न तो अंदरूनी मसले को हल कर पायेगी और न हीं कांग्रेस पार्टी को टक्कर दे सकेगी।

बीजेपी सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि संविधान में संशोधन नितिन गडकरी के लिये नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। गडकरी को सिर्फ महाराष्ट्र गोपीनाथ मुंडे से ही चुनौती नहीं है बल्कि देश भर के बीजेपी नेताओं से है।

राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी से लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली खुश नही है। झारखंड से यशवंत सिन्हा गडकरी से बिल्कुल खुश नहीं है। झारखंड में राज्य सभा चुनाव के लिये गडकरी द्वारा अंशुमन मिश्रा को उम्मीदवार बनाने पर उन्होंने तो पार्टी से इस्तीफ देने तक की बात कह दी थी। हिमाचल में शांता कुमार नाराज हैं तो राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वंसुधरा राजे, गुजरात में मोदी और केशुभाई पटेल दोनो नाराज हैं। मोदी तो आज मान गये पर केशुभाई का क्या होगा। कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा का मामला अभी भी बना हुआ है।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नरेंद्र मोदी, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशूभाई पटेल और कनार्टक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा के आने को लेकर शुरू से ही पूरी तरह भ्रम की स्थिति थी। गुजरात और हिमाचल में विधान सभा चुनाव इसी साल होने हैं। मोदी को मनाने की कवायद भले ही परवान चढ़ गई, लेकिन केशूभाई की नारजगी बरकरार है।

ऐसी स्थिति में यह सवाल उठने लगा है कि नितिन गडकरी के नेतृत्व में बीजेपी कितना सफल होगी? बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में सिर्फ उत्तर प्रदेश के राजनाथ सिंह और झारखंड के मुख्यमंत्री खुलकर साथ में हैं।