महाराष्ट्र : मुख्यमंत्री ठाकरे ने सदन में विश्वास मत हासिल किया। बीजेपी ने विश्वासमत का विरोध कर वॉकआउट किया।

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महाराष्ट्र : मुख्यमंत्री ठाकरे ने सदन में विश्वास मत हासिल किया। बीजेपी ने विश्वासमत का विरोध कर वॉकआउट किया।

टाइम्स खबर timeskhabar.com महाराष्ट्र विधान सभा में भारी हंगामे और बीजेपी के बहिष्कार के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार ने बहुमत हासिल किया। सुप्रीम कोर्ट निर्देशानुसार हुए वोटिंग में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की सरकार के पक्ष में कुल 169 मत पड़े जबकि सरकार बनाने के लिये 145 वोटो की जरूरत थी। राज्य में विधान सभा की कुल सीटें 288 है। चार विधायक निष्पक्ष रहे इनमें से एक है राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के विधायक। बीजेपी के वॉकआउट करने की वजह से उद्धव-सरकार के खिलाफ एक वोट नहीं पड़े। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस लीडर अशोक चव्हाण ने उद्धव-सरकार की ओर से विधान सभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया और एनसीपी विधायक नवाब मलिक व शिवसेना के सुनील प्रभु ने इसका अनुमोदन किया। 

बीजेपी ने विश्वासमत प्रस्ताव का विरोध किया : 

मतदान से पूर्व बीजेपी लीडर देवेंद्र फडणवीस ने विश्वासमत का विरोध करते हुए कहा कि यह सत्र नियमानुसार नहीं बुलाया गया है। मंत्रियों ने जो शपथ ली वह गलत है किसी ने बालासाहेब ठाकरे के नाम से शपथ ली तो किसी ने सोनिय गांधी के नाम से तो किसी ने पवार साहेब के नाम से। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति भी गलत तरीके से की गई। यहां तक कि सदन की शुरूआत वंदे मातरम के साथ होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।  सदन की शुरुआत राष्ट्रीय गीत के साथ होने का नियम रहा है।बीजेपी विधायक दल के नेता फडणवीस ने कहा कि नियमित स्पीकर चुने जाने के बाद हीं फ्लोर टेस्ट कराये जाते हैं। इस मामले में हमलोग राज्यपाल से सदन की कार्रवाई निरस्त किये जाने की मांग करने वाले हैं। एक पत्र भी सौपेंगे। इससे पहले दोपहर दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते हीं विपक्ष बीजेपी ने हंगामा शुरू कर दिया। लेकिन इसी बीच सदस्यों की गिनती की गई। उनसे कहा गया जो लो पक्ष में हां कहें और जो पक्ष में नहीं हैं वे न कहें। लेकिन बीजेपी सदस्य हंगामा करते रहे। 

उद्धव ने विपक्ष को निशाना बनाया : 

बीजेपी के बहिष्कार देखते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जोरदार कटाक्ष किया।  उन्होंने कहा कि मैं मैदान में लड़ने वाला व्यक्ति रहा हूं। लेकिन यहां (विधान सभा) जो व्यवहार देखा उससे लगा कि मैदान ही ठीक था।  30 सालों तक सहयोगी पार्टी रही बीजेपी के वॉकआउट पर तंज कसते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं अब तक मैदान में लड़ने वाला आदमी रहा हूं, लेकिन यहां जो व्यवहार देखा, उससे लगा कि मैदान ही सही था। मुख्यमंत्री ठाकरे ने बीजेपी आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यदि मैंने सभी महापुरुषों का नाम लेकर शपथ ली तो इसमें क्या गलत है। मैं बार-बार इस तरह से शपथ लूंगा। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज या बाबा साहेब आंबेडकर के नाम की शपथ क्या लेना गलत है। मतभेद सभी के होते हैं, लेकिन यहां गलत तरीके से मतभेद रखने की बात हुई। उन्होंने कहा कि 'यह महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है। क्रांतिकारी, समाज सुधारकों और साधुओं का यह महाराष्ट्र है। जिनकी शपथ लेकर हमने यह काम संभाला है, उन्हें हमारे कार्यों पर गौरव हो, हमें इस तरह से काम करना है।मुख्यमंत्री ठाकरे ने समर्थन देने के लिये सभी विधायकों का आभार व्यक्त किया।

स्पीकर को लेकर भी विवाद हुए। कहा जा रहा है कि बहुमत परीक्षण से पहले स्पीकर चुनाव कराने को लेकर बात थी। कांग्रेस की ओर से नाना पटोले और बीजेपी की ओर से किशन कठोरे के नाम बतौर उम्मीदवार सामने आ रहे थे। लेकिन स्पीकर चुनाव नहीं कराये गये। प्रोटेम स्कीकर भी बदल दिये गये बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा उन्होंने  कालीदास कोलम्बर की जगह दिलीप पाटिल को प्रोटेम स्पीकर बना दिया जो क़ानूनी रूप से ग़लत है।