दरिंदगी की दास्तां सुनाने के पैसे लेता था निर्भया का दोस्तः वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम।

 दरिंदगी की दास्तां सुनाने के पैसे लेता था निर्भया का दोस्तः वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम।

राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात निर्भया के साथ हुई हैवानियत ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया था. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. लोग सड़कों पर उतर आए थे. हर किसी की एक ही मांग थी कि निर्भया के साथ दरिंदगी करने वालों को फांसी हो. निर्भया के साथ जब दरिंदगी हो रही थी तब उसका एक दोस्त भी उसके साथ था, जो इस पूरी घटना का इकलौता चश्मदीद था. निर्भया के इसी ‘दोस्त’ और दिल्ली गैंगरेप कांड के इकलौते चश्मदीद को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने सनसनीखेज दावा किया है.

निर्भया के दोस्त को लेकर पत्रकार का सनसनीखेज दावा :

पत्रकार अजीत अंजुम ने निर्भया के दोस्त को लेकर खुलासा करते हुए ट्विटर पर कई ट्वीट किए. पत्रकार ने लिखा, ‘Netflix पर देर रात तक Delhi Crime देखकर विचलित होता रहा. निर्भया रेप कांड पर है ये सीरीज. मुझे याद आ गया निर्भया को वो दोस्त, जो उस गैंगरेप के वक्त उसके साथ बस में था.जो अपनी दोस्त के साथ हुई दरिंदगी का गवाह था.उसके बारे में आज वो सच बताने जा रहा हूं जो आज तक छिपा रखा था.’

उन्होंने लिखा, ‘वाकया सितंबर 2013 का है. निर्भया रेप कांड के आरोपियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. सभी चैनलों पर निर्भया कांड के बारे में लगातार कवरेज हो रहा था. मैं उस वक्त ‘न्यूज 24’ का मैनेजिंग एडिटर था. निर्भया का दोस्त कुछ चैनलों पर उस जघन्य कांड की कहानी सुना रहा था.’

मैंने भी अपने रिपोर्टर्स को निर्भया के दोस्त को अपने स्टूडियो लाने की जिम्मेदारी दी. कुछ देर में मुझे बताया गया कि उसका दोस्त अपने चाचा के साथ ही स्टूडियो जाता है और इसके बदले हजारों रुपये लेता है. सुनकर पहले तो यकीन नहीं हुआ . उस लड़के पर बहुत गुस्सा भी आया 

पत्रकार अजीत अंजुम का ट्वीट - ‘मैंने फैसला किया कि मैं उसे एक्सपोज करूंगा’अजीत अंजुम ने लिखा, ‘मैं इस बात पर बौखलाया था कि जिस लड़के के सामने उसकी गर्लफ्रेंड गैंगरेप और दरिंदगी की शिकार होकर दुनिया से रुखसत हो गई हो , उसकी दास्तान सुनाने के बदले वो लड़का चैनलों से 'डील' कर रहा है. मैं उसको लगातार टीवी पर देख रहा था. मुझे उसकी आंखों में कभी दर्द नहीं दिख रहा था.’

उन्होंने लिखा, ‘मैंने फैसला किया कि पैसे मांगते और पैसे लेते हुए निर्भया के इस दोस्त का स्टिंग करुंगा और ऑन एयर एक्सपोज करुंगा .उसकी जगह मैंने खुद को रखकर कई बार सोचा. लगातार सोचता रहा. वहशियों की शिकार दोस्त की चीखें जिसके कानों में गूंजी होंगी,वो पैसे ले लेकर चैनलों को कहानी सुनाएगा?’

मेरे रिपोर्टर ने मेरे सामने बैठकर मोबाइल से उस लड़के के चाचा से बात की. उसने एक लाख लेकर स्टूडियो में आने की बात की. कम करके 70 हजार पर बात तय हुई. मैंने सोचा कि कहीं चाचा तो भतीजे के नाम पर पैसे नहीं ले रहा? मैं चाहता था कि पैसे उस लड़के के सामने दिए जाएं.

पत्रकार अजीत अंजुम का ट्वीट - ‘इंटरव्यू रिकॉर्डिंग के दौरान सवाल सुनकर उड़े होश’

अजीत अंजुम ने दावा किया है कि निर्भया के दोस्त को पैसे देने का पूरा मामला खुफिया कैमरे में रिकॉर्ड किया गया था. उन्होंने लिखा,‘निर्भया के उस 'दोस्त' के सामने स्टूडियो इंटरव्यू के लिए 70 हजार रुपये दिए गए. खुफिया कैमरे में सब रिकॉर्ड हुआ. फिर उसे स्टूडियो ले जाया गया. दस मिनट की बातचीत के बाद ऑन एयर ही उस लड़के से पूछा गया कि आप निर्भया की दर्दनाक दास्तान सुनाने के लिए चैनलों से पैसे क्यों लेते हो?’

हमने तय किया था कि ये शो पहले रिकॉर्ड करेंगे. फिर तय करेंगे कि क्या करना है. वो लड़का पैसे लेने की बात से इंकार करता रहा. फिर रिकॉर्डिंग के दौरान ही उस लड़के को ऑन स्क्रीन ही उसके स्टिंग का हिस्सा दिखाया गया. तब उसके होश उड़ गए. कैमरों के सामने उसने माफी मांगी .

पत्रकार अजीत अंजुम का ट्वीट - 

अजीत अंजुम ने लिखा, ‘न्यूज 24 के स्टूडियो से बाहर आने के बाद मैं खुद उसे जलील करता रहा. मेरा गुस्सा सिर्फ इस बात को लेकर था कि तुम्हारी दोस्त तुम्हारी आंखों के सामने दरिंदगी की शिकार हुई. तुम बच गए. वो मर गई और तुम उस वारदात को सुना-सुनाकर चैनलों से लाखों रुपये कमाने में लगे हो ?’

 

 क्यों ऑन एयर नहीं किया गया वो शो : 

अजीत अंजुम ने बताया कि आखिर क्यों उस शो को ऑन एयर नहीं किया गया. उन्होंने लिखा, ‘दूसरे माले के स्टूडियो से लेकर ग्राउंड फ्लोर तक न्यूजरूम के साथी जमा हो गए थे. सब गुस्से में थे कि कैसा ये लड़का है, जिसने निर्भया की कहानी को कमाने का जरिया बना लिया है. सब चाहते थे तुरंत पूरा शो ऑन एयर हो ताकि हकीकत पता चले. तब तक सभी चैनल उस लड़के का इंटरव्यू दिखा रहे थे.’

निर्भया के उस ‘दोस्त’ को मैं जितना सुना सकता था, सुनाया. उस शो को ऑन एयर करने लिए करीब -करीब पूरा न्यूजरूम एक तरफ और मैं एक तरफ. रिकॉर्डिंग के बाद उसे ऑन एयर नहीं करने का फैसला मेरा था. रिकॉर्डिंग के बाद मुझे लगा कि कहीं आरोपियों के वकील इसका इस्तेमाल अपने पक्ष में न कर लें.

पत्रकार अजीत अंजुम का ट्वीट - उन्होंने लिखा, ‘उस वक्त जब कई चैनल निर्भया के इस 'दोस्त ' के लंबे -लंबे इंटरव्यू चला रहे थे , तब अगर हमने एक घंटे का ये स्पेशल शो और स्टिंग चला दिया होता तो रेटिंग भी आती .हंगामा भी मचता. देश भर में चर्चा भी होती और चैनल का नाम भी होता. फिर भी मैंने सोच-समझकर फैसला लिया कि इसे नहीं चलाना है.’

 

क्या है निर्भया गैंगरेप केस?

16 दिसंबर, 2012 को राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप केस को शायद ही कोई भूला हो. इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस वारदात ने सड़क से संसद तक ही नहीं, बल्कि पूरे देश और दुनिया में तहलका मचा दिया था. 23 साल की 'निर्भया' पैरामेडिकल की छात्रा थी. वो फिल्म देखने के बाद अपने एक 'दोस्त' के साथ बस में सवार होकर मुनिरका से द्वारका जा रही थी. बस में उन दोनों के अलावा 6 लोग और थे, जिन्होंने निर्भया के साथ छेड़छड़ा शुरू कर दी. विरोध करने पर आरोपियों ने निर्भया के दोस्त को इतना पीटा कि वह बेहोश हो गया. इसके बाद दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती बस में निर्भया के साथ दरिंदगी की गई. बस में सवार सभी छह लोगों ने निर्भया के साथ गैंगरेप किया. इनमें से एक ने निर्भया के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी, जिसकी वजह से निर्भया की आंते शरीर से बाहर निकल आईं.

बाद में उन हैवानों ने निर्भया और उसके दोस्त को दक्षिणी दिल्ली में महिपालपुर के पास वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया.

निर्भया कांडः तारीख-दर-तारीख

16 दिसंबर, 2012: दिल्ली के मुनीरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा ‘निर्भया’ से गैंगरेप किया.

18 दिसंबर, 2012: चार दोषी राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता गिरफ्तार

21 दिसंबर, 2012: पांचवा नाबालिग दिल्ली और छठा दोषी अक्षय ठाकुर बिहार से गिरफ्तार

29 दिसंबर, 2012: निर्भया को पहले दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, हालत में सुधार न होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया. वहां इलाज के दौरान पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई.

3 जनवरी, 2013: पुलिस ने को पांच वयस्क दोषियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती का केस दर्ज करने के बाद चार्जशीट दाखिल की.

17 जनवरी, 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पांचों दोषियों पर आरोप तय किए.

11 मार्च 2013: तिहाड़ जेल में सबसे बुजुर्ग आरोपी राम सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

31 अक्टूबर, 2013: जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग दोषी को गैंगरेप और हत्या का दोषी करार दिया. उसको तीन साल के लिए सुधार गृह में भेज दिया गया.

10 सितंबर, 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चार आरोपियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को दोषी ठहराया.

13 सितंबर, 2013: कोर्ट ने चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को मौत की सजा सुनाई.

13 मार्च, 2014: दिल्ली हाई कोर्ट ने को चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा.

15 मार्च, 2014: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को फांसी दिए जाने पर रोक लगाई.

20 दिसंबर, 2015: नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया. इसे लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए.

27 मार्च, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा.

5 मई, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी.

9 नवंबर, 2017: एक दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया.

(साभार - प्रतिष्ठित न्यूज वेबसाइट दी क्विंट हिंदी।  )