मिशन चंद्रयान 2 : नासा के चंद्र ऑर्बिटर ने ली सॉफ्ट लैंडिंग वाली जगहों की तस्वीरें। विश्लेषण से नई उम्मीदें।

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मिशन चंद्रयान 2 : नासा के चंद्र ऑर्बिटर ने ली सॉफ्ट लैंडिंग वाली जगहों की तस्वीरें। विश्लेषण से नई उम्मीदें।

राजेश कुमार, टाइम्स खबर timeskhabar.com 

चंद्रमा पर लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग भले ही नहीं हो सकी हो लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों की इस कोशिश को पूरी दुनिया भारी उत्साह से देख रही है। लेकिन  इस बीच नासा ( NASA) ने 19 सितंबर को एक नई उम्मीद जगाई है लैंडर विक्रम को लेकर। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने चंद्रमा ऑर्बिटर के मार्फत चंद्रमा के उस हिस्से की तस्वीरें प्राप्त की है जहां लैंडर विक्रम ने सॉफ्ट लैंडिंग की थी। मीडिया के हवाले से जो खबरें आई है वह निम्नलिखित है - 

- चंद्रायान-2 अभियान के तहत लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग न होने की वजह को जानने की कोशिश जारी है। 

- नासा के एक प्रोजेक्ट वैज्ञानिक जॉन कैलर के हवाले से मीडिया में खबर आई कि नासा का चंद्रमा ऑर्बिटर ने चंद्रमा के उस क्षेत्र की तस्वीरें ली है जहां लैंडर विक्रम सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल रहा। 

- नासा का एलआरओ यानी लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रूव के कई तस्वीरें ली है। दक्षिणी ध्रूव पर सॉफ्ट लैंडिंग की पहली कोशिश की गई भारत द्धारा। सॉफ्ट लैंडिंग में अमेरिका, रूस और चीन ने जो सफलता हासिल की है वह चंद्रमा के अन्य भागों की है। दक्षिणी भाग बेहद कठिन माना जाता है। 

- नासा तस्वीरों का विश्लेषण करेगा।    

- इसरो वैज्ञानिक लैंडर विक्रम से संपंर्क की लगातार कोशिश कर रही है लेकिन सफलता अभी नहीं मिली। और दो दिनों तक संपंर्क नहीं हो सका तो आगे संपंर्क की उम्मीदें नहीं के बराबर होगी।

- बताया जाता है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रूव पर तामपान माइनस 200 डिग्री तक पहुंच जाती है। लैंडर विक्रम में लगे उपकरण ऐसे नहीं हैं कि जो माइनस 200 डिग्री पर कार्य कर सके।  

भारतीय अंतरिक्ष ऐजेंसी इसरो (ISRO)ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि ऑर्बिटर नियमित रूप से काम कर रहा है। साथ ही इसरो इस रिसर्च में भी लगा हुआ है कि आखिर लैंडर विक्रम से संपंर्क क्यों टूटा? बहरहाल बीते 7 सितंबर को लैंडर विक्रम से संपंर्क आखिरी क्षणों में टूट गया था। लेकिन चंद्रयान-2 ऑर्बिटर चंद्रयान की कक्षा में स्थापित है और अपना कार्य सफलता पूर्वक कर रहा है। विक्रम लैंडर की स्थिति के बारे में इसी से जानकारी मिली। यह ऑर्बिटर लगभग साढे सात साल तक काम करते रहेगा।   

Rajesh Kumar timeskhabar.com