लोकसभा चुनाव से पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल-जयंती पर दिखेगी भाई-बहन की ताकत : वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार।

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लोकसभा चुनाव से पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल-जयंती पर दिखेगी भाई-बहन की ताकत : वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार।

(राजेश कुमार, ग्लोबल ख़बर)। रिश्ते की पवित्रता ने हमेशा ही मजबूती दी है, चाहे पारिवारिक मामला हो या राजनैतिक। अभी बीते दिनों हीं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आईएनएलडी नेता अभय सिंह चौटाला को राखी बांध भाई-बहन संबंध को मजबूती दी।  इससे दोनो नेताओं ने जहां एक ओर सामाजिक संदेश दिया वहीं राजनीतिक मजबूती भी प्रदान की एक-दूसरे को। भाई-बहन के संबंध कायम रहे तो आने वाले लोकसभा और विधान सभा चुनाव में इसके परिणाम दिखेगें। 

अभय सिंह चौटाला हरियाणा के ताकतवर सियासी परिवार से हैं।  वे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पुत्र हैं और देश के पूर्व प्रधानमंत्री व दिवंगत चौधरी देवीलाल के पोते। 22 अगस्त का दिन आने वाले राजनीति के लिये एक मिल का पत्थर साबित हो सकता है। दरअसल 25 सितंबर को पूर्व उपप्रधानमंत्री व दिवंगत देवीलाल का जन्म दिन है। इस दिन को इस बार आईएनएलडी ने सम्मान-दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। इसकी तैयारी भी जबरदस्त तरीके से की जा रही है। इस कड़ी में आईएनएलडी नेता अभय चौटाला ने बसपा सुप्रीमो मायावती से दिल्ली स्थित उनके निवास स्थान पर मुलाकात की। और इस आयोजन में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया। अभय चौटाला ने जानकारी दी कि मायावती ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। वे सम्मान-दिवस पर शामिल होंगी और सभा को भी संबोधित करेंगी। अभय चौटाला ने कहा कि मायावती ने सहर्ष ही सम्मान-दिवस का न्योता स्वीकर कर लिया।

उन्होंने कहा कि दोनो दलों के बीच गठबंधन के बाद यह पहला मौका होगा जब दोनो दलों के नेता एक मंच पर होंगे और जनता को संबोधित करेंगे। इस गठबंधन से हरियाणा में सभी समाज के बीच सम्मान की भावना और पारंपरिक एकता स्थापित होगी। पिछले कुछ समय से इसमें दरार डालने की कोशिश की जा रही है। इस दिन नई दिल्ली में एक राजनीतिक मेलजोल की प्रकिया शुरू हुई साथ ही एक सामाजिक संबंध भी स्थापित हुए। बीएसपी नेत्री मायावती ने आईएनएलडी नेता अभय सिंह चौटाला को राखी बांध भाई बनाई। रक्षा बंधन के दिन अभय चौटाला अन्य कार्यक्रमों में व्यस्थ होंगे इसलिये 22 अगस्त को हीं रक्षा बंधन का त्योहार मनाया गया।  इसका एक मजबूत संदेश समाज में गया।  

पवित्र रिश्ते की अहमियत : 

उत्तर प्रदेश में जहां गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा-बसपा के बीच गठबंधन की बात तो दूर आपस में बातचीत तक नहीं होती थी दोनो पार्टियों के नेताओं में। लेकिन गेस्ट हाउस कांड के मास्टर माइंड माने जाने वाले अमर सिंह के सपा से बाहर होते ही दोनो पार्टियों में नये सिरे से रिश्ते उभरे। सपा के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के पुत्र व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बसपा प्रमुख मायावती को बुआ का दर्जा दिया। और बुआ कहकर ही संबोधित भी करते हैं। मायवाती भी सम्मान में उन्हें बबुआ ही कहती है। इसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा एक बार फिर एक साथ चुनावी गठबंधन की ओर अग्रसर है। ये पवित्र रिश्ते इतने मजबूत हैं कि लोकसभा और विधान सभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली बीजेपी को उपचुनाव में ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा। गोरखपुर उत्तर प्रदेश के  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ रहा है। वे यहां से सांसद थे और फुलपुर से वर्तमान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सांसद थे लेकिन दोनो ही सीटों पर बीजेपी की हार हुई। यह नतीजा था एक सम्मानजनक संबोधन का - बुआ और बबुआ। इसी प्रकार हरियाणा में आईएनएलडी और बसपा के बीच का गठबंधन और भाई-बहन के रिश्ते स्थापित करना दोनो ही पार्टियों के लिये शुभ माना जा रहा है।  

साल 2014 की लोकसभा व विधान सभा की  स्थिति : 

हरियाणा में लोकसभा की कुल 10 सीटें हैं। बीते लोकसभा यानी साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 10 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं दो सीटों पर  आईएनएलडी और एक सीट पर कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की। 90 सीटों वाली विधान सभा में बिजेपी ने 47 सीटों पर जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर आईएनएलडी रही 19 सीट जीत कर। कांग्रेस पार्टी 15 सीटों पर जीत हासिल की। बाकी निर्दलीय व अन्य के खातों में। वर्तमान में वहां बीजेपी की सरकार है। उस समय जहां एक ओर नरेंद्र मोदी की लहर थी वहीं दूसरी ओर विपक्ष में बिखराव था। लेकिन आगामी लोक सभा चुनाव के लिये आईएनएलडी ने तैयारी शुरू कर दी है। आईएनएलडी यहां की मुख्य विपक्षी पार्टी है और कुछ समय पहले हीं आईएनएलडी का बीएसपी के साथ गठबंधन हुआ है। और दोनो ही दलों ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने का फैसला किया है। 

हरियाणा में जातीय गणित : 

हरियाणा में जाट समुदाय का दबदाब है। दावा किया जाता है कि यहां जाट समुदाय की संख्या लगभग 25 फीसदी है। इसलिये यहां की राजनैतिक लड़ाई जाट व गैरजाट के बीच होते रही है। जाट के अलावा यहां दलित समुदाय की संख्या करीब 21 फीसदी है। इसके अलावा गैर जाट में ब्राह्णण, राजूपत, बनिया और पंजाबी की संख्या लगभग 20 प्रतिशत है। ओबीसी समाज की संख्या भी भारी तदाद में है जिनमें अहिर और कहार जातियों की संख्या अच्छी खासी है। आगामी चुनाव के लिये यदि आईएनएलडी और बीएसपी के बीच गठबंधन जारी रहा तो यह गठबंधन बीजेपी पर भारी पड़ सकता है। 

बहरहाल 25 सितंबर को पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की जयंती है। इसदिन होने वाले सम्मान-दिवस रैली पर सभा पार्टियों की नजर होगी। क्योंकि आईएनएलडी और बसपा के मिलने से यह कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा, ऐसा माना जा रहा है। (लेखक राजेश कुमार वरिष्ठ पत्रकार व ग्लोबल ख़बर के संपादक हैं)