95 साल की आयु में इस दुनिया को अलविदा कहा वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने

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95 साल की आयु में इस दुनिया को अलविदा कहा वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने

देश के वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का 22 अगस्त की रात लगभग साढे बारह बजे देहांत हो गया। वे 95 साल के थे और आखिरी सांस उन्होंने दिल्ली के एस्कॉर्टस होस्पिटल में ली। पत्रकार नैयर आखिरी वक्त तक पत्रकारिता से जुड़े रहे। वे उन पत्रकारों में से एक थे जो इमरजेंसी के दौरान जेल गये थे। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने नैयर के निधन पर शोक जताया। राष्ट्रपति कोविंद ने नैयर को लोकतंत्र का शूरवीर बताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, दिग्गज संपादक, लेखक, राजनयिक और सासंद के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। वह आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के शूरवीर रहे। उनके पाठक उन्हें याद रखेंगे। उनके परिवार और और सहयोगियों को संवेदनाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बौद्धिक शख्स बताते हुए आपातकाल के समय उनके रुख को याद किया। मोदी ने ट्वीट कर कहा, कुलदीप नैयर हमारे समय के एक बौद्धिक शख्स थे। विचारों से बेबाक और निडर। उन्होंने कई दशकों तक काम किया।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नैयर को आपातकाल के खिलाफ उनके संघर्षो के लिए याद रखा जाएगा। जेटली ने कहा, वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनके कई बेहतरीन ब्रेकिंग स्टोरीज के लिए जाना जाता है। आपातकाल के दौरान उनके संघर्षो को याद रखा जाएगा। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी नैयर के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें पत्रकारिता का रोल मॉडल बताया। उन्होंने कहा, वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक कमेंटेटर और मानवाधिकार कार्यकर्ता कुलदीप नैयर जी के निधन पर संवेदनाएं। इस पेशे के कई लोगों के रोल मॉडल। उनका निधन पत्रकारिता के साहस, नैतिकता और मूल्यों के काल की समाप्ति है।

14 अगस्त 1923 को सियालकोट (पाकिस्तान) में पैदा हुए कुलदीप नैयर ने कई किताबों भी लिखी। वह 1990 में ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त और 1997 में राज्यसभा सांसद रहे। नैयर ने 1948 में उर्दू के समाचार पत्र 'अंजाम' से पत्रकारिता की शुरुआत की थी। उन्होंने उस समय के गृह मंत्रियों गोविंद बल्लभ पंत और लाल बहादुर शास्त्री के प्रेस सूचना ब्यूरो में बतौर प्रेस अधिकारी भी काम किया।

वह यूएनआई के संपादक और प्रबंध निदेशक भी रहे और 'द स्टेट्समैन' के संपादक भी रहे। उन्होंने 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द टाइम्स', 'द स्पेक्टेटर' और 'ईवनिंग स्टार' में भी काम किया। वह 'बियॉन्ड द लाइन्स', 'इंडिया आफ्टर नेहरू' और 'इमरजेंसी रिटोल्ड' सहित 15 किताबें लिख चुके हैं। वरिष्ठ पत्रकार एच.के. दुआ ने नैयर को अच्छा दोस्त और एक महान पत्रकार बताते हुए कहा कि वह अंतिम दम तक काम करते रहे। 94 की उम्र में उन्होंने खबरों की दुनिया में अपनी रुचि बनाए रखी। वह खबरों में ही रचे-बसे रहते थे और अपने करियर में कई ब्रेकिंग स्टोरी की। उन्होंने कहा कि नैयर ने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के कई अथक प्रयास किए और कैंडल लाइट प्रदर्शन आयोजित किए।