पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी का निधन।

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पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी का निधन।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब इस दुनिया में नहीं रहे।  दिल्ली स्थित एम्स होस्पिटल में आज 16 अगस्त 2018 को शाम 05.05 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्हें यूरिन इनफेक्शन और किडनी संबंधी दिक्कतों की वजह से 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। लेकिन बीते दो दिनों में उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई। 15 अगस्त को ही एम्स ने मेडिकल बुलेटिन जारी कर सचेत कर दिया था। और बताया था कि तबीयत में काफी गिरावट आई है। आज भी मेडिकल बुलेटिन जारी कर बताया गया कि कोई सुधार नहीं हुआ है। और आखिर में उनके निधन की पुष्टि की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक युग का अंत हो गया। 

- अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म  25 दिसंबर 1924 को हुआ था।  वे पहले 16 मई से 1 जून 1996  तथा फिर 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। 

- वे हिन्दी कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी हैं। वे भारतीय जनसंघ की स्थापकों में से एक हैं। 1968 से 1973 तक इसके अध्यक्ष भी रहे। 

- लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि  अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।

- अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। 

- वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग/एनडीए) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।

- सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में ६-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते हैं।

- वाजपेयी जी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। लेकिन उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश के ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। यह अटली जी का जन्म हुआ। माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। 

- वाजपेयी जी में काव्य के गुण वंशानुगत थे। उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी अध्यापक होने के साथ साथ हिन्दी और ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। 

- महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढकर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी०ए० की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। 

- छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। कानपुर के डी०ए०वी० कालेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। 

- डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में उन्होंने राजनीति का पाठ  पढ़ा।   

- सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2014 दिसंबर में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

- भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक। 1968 से 1973 तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।

- साल 1955 में पहली बार उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा। 

- उत्तर प्रदेश के बलरामपुर, गोंडा जिला से उन्होंने साल 1957 में लोकसभा का चुनाव जीते और संसद पहुंचे। वे उस समय जनसंघ के उम्मीदवार थे। 

- साल 1957 से लेकर 1977 तक (जनता पार्टी के स्थापना तक) वे लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। 

- मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक  विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि मजबूत बनायी।

- 1980 में जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की।  6 अप्रैल 1980 को गठित बीजेपी के अध्यक्ष भी बने।

- अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म  25 दिसंबर 1924 को हुआ था।  वे पहले 16 मई से 1 जून 1996  तथा फिर 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। 

- सन् 2004 में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन  ने वाजपेयी जी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंग्रेजी में इण्डिया शाइनिंग) का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने केंद्र मे सरकार बनाई।    

बतौर प्रधानमंत्री अटल कार्य – 

- अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित किया। 

- परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका समेत विकसित देशों ने (रूस को छोडकर) भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया लेकिन बिना डरे और घबराये सरकार ने प्रतिबंध का सामना किया। 

- पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल : 19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की।

- कारगिल युद्ध : दिल्ली से लाहौर बस सेवा के कछ दिनों बाद हीं  पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया।  इसी के साथ  पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार फिर शून्य हो गए।

- स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना : देश भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (अंगरेजी में- गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजैक्ट) की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था।

- एक सौ साल से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया।

तबीयत बिगड़ने की खबर के बाद से ही देश के कोनो कोने से नेताओं के दिल्ली पहुंचने और एम्स होस्पिटल में उनसे मिलने का सिलसिला शुरू हो गया था। वाजपेयी जी का अंतिम संस्कार कल दिल्ली में यमुना तट पर किया जायेगा।