दिल्ली : अंशु प्रकाश से बदसलूकी मामले में अरविंद-मनीष के खिलाफ भी चार्जशीट दायर। आप नेताओं ने कहा राजनीति से प्रेरित। परेशान करने के लिये पूरी एजेंसियां लगा रखी है।

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दिल्ली : अंशु प्रकाश से बदसलूकी मामले में अरविंद-मनीष के खिलाफ भी चार्जशीट दायर। आप नेताओं ने कहा राजनीति से प्रेरित। परेशान करने के लिये पूरी एजेंसियां लगा रखी है।

(नई दिल्ली, टाइम्स ख़बर) दिल्ली के चीफ़ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश के साथ बदसलूकी के मामले में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। इसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी आरोपी बनाया गया है।  इनके अलावा आम आदमी पार्टी के 11 विधायकों को भी आरोपी बनाया गया है। इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने राजनीति से प्रेरित होकर आरोप तय किये हैं। दिल्ली सरकार के मंत्रियों गोपाल राय, सत्येंद्र जैन, कैलाश गहलोत, राजेंद्र पाल गौतम और इमरान हुसैन की तरफ से 13 अगस्त, 2018 को जारी किया गया एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि :

- दिल्ली के मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री और विधायकों के खिलाफ राजनीति से प्रेरित होकर दिल्ली पुलिस की तरफ से काल्पनिक और निराधार आरोपों पर आधारित फाइल की गई। बोगस चार्जशीट है। भारतीय इतिहास में सबसे बड़े जनादेश के साथ चुनकर आई दिल्ली सरकार को लगातार परेशान किये जाने और उसके खिलाफ की जाने वाली  साजिशों का सबसे ताजा उदाहरण है।  

- फरवरी, 2015 में अपने राजनीतिक जीवन में मिली सबसे करारी हार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली सरकार को माफ नहीं किया है और बदला लेने के लिए उन्होंने सारी एजेंसियों को दिल्ली सरकार को तबाह करने के लिए छोड़ दिया है। इससे ये भी प्रतीत होता है कि मोदी सरकार ने पिछले साढ़े तीन साल के दौरान फर्जी मामलों में आम आदमी पार्टी के विधायकों को फंसाने की कोशिशों के हश्र से सबक नहीं लिया है। अब ये बात दस्तावेजों में है कि दिल्ली की विभिन्न फास्ट ट्रैक अदालतों ने पिछले 5 महीनों के दौरान 22 में से 19 मामलों में चुने हुए विधायकों को बरी/दोषमुक्त कर दिया है। ये मुकदमे विधायकों पर फरवरी 2015 के बाद से लगाए गये थे। 

- बात केवल यहीं तक सीमित नहीं है,  एक अवैध नोटिफिकेशन के जरिये दिल्ली सरकार से उसके अधिकार छीनने, एसीबी छीनने, सीबीआई के छापे डलवाने, छापों के जरिये और ट्रांसफर करने से लेकर करियर तबाह करने की बात कहकर अफसरों को धमकाने-परेशान करने के सहारे दिल्ली सरकार को ठप करने की हर कोशिश की गई है।

इतना ही नहीं, 4 महीने से ज्यादा समय तक उप-राज्यपाल दफ्तर पर 400 फाइलों की छानबीन की गई और उनमें कुछ ऐसा खोजने की कोशिश की गई जिससे मुख्यमंत्री और मंत्रियों को फंसाया जा सके। जब ये सारे कुचक्र फेल हो गये तो मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को बदनाम करने के उद्देश्य से केंद्र की भाजपा सरकार ने कुछ चुनिंदा नौकरशाहों के जरिये फर्जी मामला बनाकर ये नई साजिश रची गई है।

- केंद्र सरकार, उसकी विभिन्न एजेंसियों, उप-राज्यपाल और कुछ नौकरशाहों की तरफ से तमाम अड़ंगों के बावजूद जनता के हित में काम कर रही दिल्ली सरकार को अपने अधिकारों का दुरुपयोग करके केंद्र की भाजपा सरकार डराने में कामयाब नहीं होगी। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का नाम एक फर्जी और हास्यास्पद आपराधिक मामले में डालने की साजिश मोदी सरकार की बेहद हताशा का नतीजा है जिसके ऐतिहासिक जनादेश के साथ सत्ता में आई एक सरकार को हटाने के अब तक सारे प्रयास विफल रहे हैं।

- मोदी सरकार, दिल्ली सरकार से बदला लेने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखती है जिससे दिल्ली पुलिस महज राजनीतिक हथियार बनकर रह गई है। दिल्ली पुलिस को अदालत में भारी शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी जब ये फर्जी और मनगढ़ंत मामला न्यायिक जांच-पड़ताल के सामने आएगा और तब ये आरोप हास्यास्पद साबित होंगे।

मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री को पूरी तरह से फर्जी मामले में फंसाने के लिए दिल्ली पुलिस, जिसने ऐसा करने के लिए करीब छह महीने दिन-रात एक कर दिया, को आदेश देकर मोदी सरकार ने इसकी विश्वनीयता से खिलवाड़ किया है जिसके पास दिल्ली के लोगों की सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी है। दिल्ली पुलिस की तरफ से दाखिल की गई निराधार आरोपों वाली चार्जशीट के उस समय चिथड़े उड़ जाएंगे जब इसे न्यायिक जांच-पड़ताल के लिए रखा जाएगा। देश की जनता के समक्ष मोदी सरकार और उसकी कठपुतली की तरह काम करने वाली दिल्ली पुलिस के असली चेहरे को सामने लाने के पूरी कानूनी ताकत के साथ इसे लड़ा जाएगा।