WTO का अस्तित्व खतरे में?

1
WTO का अस्तित्व खतरे में?

(राजेश कुमार) विश्व स्तर पर व्यापार के लिये नियम बनाने वाले संगठन डब्ल्यूटीओ (वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन) यानी विश्व व्यापार संगठन का अस्तित्व अब खतरे में है। सभी देशों को मुश्किलों का सामना करना पडेगा। भारत बाइलेटरल व्यापार समझौते की कोशिश में है। दरअसल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूटीओ की कड़ी आलोचना की और कहा ऑर्गेनाइजेशन का व्यवहार अमेरिका के साथ बहुत बुरा रहा। विश्व व्यापार संस्था अमेरिका के साथ भेदभाव करती है। इसके लिये वे अपने पूर्व के राष्ट्रपतियों के नीतियों को जिम्मेवार मानते हैं। यह अमेरिका के लिेये अनुचित स्थिति है। उन्होंने कहा कि जब से चीन ने इसकी सदस्यता ली है तब से उसे ही इसका फायदा पहुंचा है। 

ट्रंप ने साफ किया है कि वे डब्ल्यूटीओ से बाहर नहीं जा रहे लेकिन वे अपने व्यापार को ठीक करेंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिकी व्यापार घाटे में है। यूरोपीय संघ के साथ 150 अरब डॉलर, मैक्सिको के साथ 100 अरब डॉलर और चीन के साथ 375 अरब डॉलर का नुकसान है। कनाडा के साथ भी व्यापार ठीक नहीं लेकिन यह सब कुछ ठीक कर लिया जायेगा। 

 यह सही है कि विश्व व्यापार संगठन की स्थापना में अमेरिका का अतुलनीय योगदान है। लेकिन अब अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियों की वजह से कई सवाल उठ खडे हुए है डब्ल्यूटीओ के भविष्य को लेकर। बहरहाल डब्ल्यूटीओ की स्थापना 1995 में हुई। यह एक प्रकार से 1947 में स्थापित गैट (GAIT - यानी प्रशुल्क एवं व्यापार का सामान्य समझौता) की जगह लाने के लिये की गई थी। भारत सहित कई विकासशील देश के जानकार इस बात से सहमत हैं कि डब्ल्यूटीओ एक तरह से विकसाशील देशों का शोषण कर रहा है। कृषि, खाद्य, वीजा व सेवा क्षेत्र में विकसित देश बार बार विकासशील देशों के लिये चुनौतियां खड़ी कर रह है।

इतना ही नहीं अमेरिका के नये संरक्षणवादी रूख से साफ है कि वैश्विक व्यापार युद्ध की शुरूआत हो टचुकी है। अमेरिका ने यूरोपीय संघ, चीन, ब्राजील, कनाडा, मैक्सिको, जापान व दक्षिण कोरिया के साथ साथ भारत की कई वस्तुओं पर आयात शुल्क बढा दिये हैं। चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढाने की धमकी दी। भारत ने अमेरिका से आने वाले रसायन, फासफोरिक एसिड, सेव, झींगा मछली व मेवे पर आय़ात शुल्क बढा दिये हैं। इतना ही नहीं जी-7 की बैठक में अमेरिका का जो रूख रहा उससे भी विश्व की चिंता बढ गई है। सम्मेलन के तुंरत बाद ही अमेरिका ने जी-7 के देशों से अमेरिका मे आने वाले कुछ वस्तुओं के आयातों पर व्यापारिक प्रतिबंध घोषित कर वैश्विक व्यापार युद्ध को आमंत्रण कर दिया है। 

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी संरक्षणवाद नीति का प्रभाव भारत पर भी पडेगा।  केंद्रीय कॉमर्स और सिविल मिनिस्टर सुरेश प्रभु ने बीते दिनों कहा कि मौजूदा हालत में बहुपक्षीय ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। उन्होंने कहा कि यदि डब्ल्यूटीओ(WTO)नहीं होगा तो सभी देशों को मुश्किलों का सामना करना पडेगा। पूरी दुनिया में खासी उथल-पुथल बनी हुई है। बीते 70 सालों का यह सबसे चनौतीपुर्ण दौर है। उन्होंने कहा कि भारत यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन, चीन, लैटिन अमेरिका, आसियान, अफ्रीका व मध्य एशिया देशों के साथ बाईलेटरल व्यापार समझौता करने की कोशिश में है। उन्होने यह भी कहा कि भारत चीन के साथ व्यापार घाटे को भी कम करने की कोशिश कर रहा है। 

 

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका अब विश्व लीडर के तौर पर अपने आपको पेश करने की वजाय सिर्फ और सिर्फ अपने राष्ट्र की संपन्नता की ओर देख रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप हर हाल में इस बात की कोशिश में हैं कि व्यापार में कही से भी उन्हें घाटा न हो और साथ ही अमेरिका में भी रोजगार के साधन उनके युवाओं के लिये हो। इसका सीधा प्रभाव भारत पर पडेगा।