दिल्ली : कानून-व्यवस्था, पुलिस व जमीन को छोड़ अन्य मामले में कानून बनाने का अधिकार दिल्ली सरकार के पास - सुप्रीम कोर्ट।

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दिल्ली : कानून-व्यवस्था, पुलिस व जमीन को छोड़ अन्य मामले में कानून बनाने का अधिकार दिल्ली सरकार के पास - सुप्रीम कोर्ट।

नई दिल्ली (टाइम्स ख़बर) । दिल्ली में मुख्यमंत्री बनाम उपराज्यपाल के बीच चल रहे टकराव को रोकते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों वाली संवैधानिक पीठ ने साफ कर दिया कि मूल ताकत कैबिनेट के पास है। अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि पुलिस, कानून-व्यवस्था और जमीन ये सभी अधिकार एलजी यानी केंद्र के अधिकार क्षेत्र में है और इसके अलावा अन्य सभी मामलों में चुनी हूई सरकार कानून बना सकती है। पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच के सदस्य थे - चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.के. सिकरी, जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस डी.वाई.चंद्रचुड़ और जस्टिस अशोक भूषण। दिल्ली हाई कोर्ट अगस्त 2016 में दिए अपने फैसले में कहा था कि राजधानी दिल्ली में उपराज्यपाल प्रशासक की भूमिका में है। दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश है और संविधान के अनुच्छेद 239 एए के तहत इसके लिए खास प्रावधान किए गए हैं। इसी को चुनौती दी गई थी सुप्रीम कोर्ट में। 

- सुप्रीम कोर्ट से उपराज्यपाल को झटका। मूल शक्ति कैबिनेट के पास। 

- कैबिनेट के फैसले से उपराज्यपाल को अवगत कराना चाहिये लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि उपराज्यपाल की सहमति जरूरी है। 

- उपराज्यपाल के स्वतंत्र अधिकार नहीं। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल को आपसी तालमेल से काम करने की सलाह।

- दिल्ली में पुलिस, कानून-व्यवस्था और जमीन के मामले में सभी अधिकारी एलजी के पास ही रहेंगे। इसके अलावा सभी मामलों में चुनी हुई सरकार कानून बना सकती है।

- बहुत महत्वपूर्ण मसला हो और उसपर कैबिनेट के फैसले से एलजी सहमत न हो तो राष्ट्रपति को भेजा जा सकता है। 

- पांच सदस्यों वाली संवैधानिक बेंचे के तीन जज मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सिकरी, जस्टिस ए. एम. खानविलकर ने एक ही फैसले को पढा जबकि दो न्यायाधीश चंद्रचूड़ और जस्टिस भूषण ने अपना फैसला अलग से पढा।  मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोच्च हैं। सरकार जनता के प्रति जवाबदेह होनी चाहिए। सरकार जनता के लिए उपलब्ध हो और शक्ति का समन्वय जरूरी है। केंद्र और राज्य को समन्वय के साथ काम करना होगा। संघीय ढांचे में राज्यों को स्वतंत्रता दी गई है। जनमत का महत्व है, इसे तकनीकी पहलुओं में नहीं उलझाया जा सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि एलजी दिल्ली के प्रशासक हैं। 

- उपराज्यपाल कैबिनेट की सलाह और सहायता से काम करें। 

- कानून व्यवस्था, पुलिस और जमीन को छोड़ दिल्ली सरकार कानून बना सकती है लेकिन संसद द्धारा बनाये गये कानून सर्वोच्च हैं।

- अराजकता के लिये कोई जगह नहीं। किसी को भी पूरी ताकत देना उचित नहीं।

- दोनो ही पक्षों को मिलकर काम करें।  

 सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आम आदमी पार्टी ने खुशी का इजहार किया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह लोकतंत्र और दिल्ली की जनता की बड़ी जीत है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली की जनता की ओर से सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा किया।