उपवास में बडी ताकत होती है। एक बार फिर देखने को मिला दिल्ली में। आईएएस अधिकारी मान गये कामकाज में हिस्सा लेने के लिये इसी के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुख्य सचिव समेत तमाम अधिकारी आज मंत्रियों के साथ बैठक में शामिल हुए। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, कैबिनेट मंत्री गोपाल राय और सत्येंद्र जैन ने अपनी मांगों को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल के दफ्तर में ही भूख हड़ताल पर बैठ गये। मनीष और सत्येंद्र जैन को होस्पिटल में दाखिल कराया गया। कुल 9 दिनों तक हड़ताली चली।
मुख्यमंत्री केजरीवाल सरकार की मांग थी कि 1. दिल्ली सरकार अंतर्गत कार्य कर रहे आईएएस अधिकारी हड़ताल पर हैं। इन्हें हड़ताल खत्म कर काम पर वापस आने के निर्देश दिये जायें। 2. उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाये जो सरकार के कामकाज में रूकवाट डाल रहे हैं। 3. केजरीवाल सरकार के राशन वितरित प्रस्ताव को मंजूरी दी जाये। इस प्रस्ताव के तहत गरीबों के घर तक राशन पहुंचाने की बात है।
इनमें से एक मांगे पूरी हो गयी। अधिकारीगण मंत्रियों के साथ कार्यालय में बैठक में शामिल होने और कामकाज के लिये राजी हो गये। इस भूख हड़ताल को लेकर केंद्र सरकार पर दबाब बढता जा रहा था। देश भर के लोगो के केंद्र बिन्दु एक बार फिर बन गये थे आप नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया। कई राज्यों को मुख्यमंत्री सीधे सीधे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन में आ गये। इनमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू, कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन शामिल हैं। शिवसेना ने भी आप नेता के स्टैंड का समर्थन किया।
देश के कोने कोने से यह मांग उठने लगी कि यदि अधिकारी अपने मन से कार्यरत होंगे तो ऐसे में लोकतंत्र का अर्थ ही नहीं रह जायेगा। बहरहाल, आदमी पार्टी की मांग यह भी है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाये। एक बार फिर आम आदमी पार्टी राजनीतिक की केंद्र बिंदु में आ गई है।