टाइम्स ख़बर। कर्नाटक में बीजेपी की सरकार धाराशायी हो गयी। बहुमत सिद्ध करने से पहले ही मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने से पहले उन्होंने विधान सभा में भावुक भाषण दिया। उन्होंने विश्वासमत पेश करने के बाद संबोधन में कांग्रेस की सरकार को निशाना बनाया और कहा कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कोई काम नहीं किया राज्य में। किसानो के लिये कुछ नहीं किया। उनकी अनदेखी की गई। फंड का सही इस्तेमाल नहीं किया गया। जबकि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने कर्नाटक की मदद की।
उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री का उम्मीदवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनाया। शायद ऐसा पहली बार हुआ कि किसी प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया हो। आज मेरी अग्निपरीक्षा है। मैं किसानों के लिये जिंदगी भर लड़ता रहूंगा। उन्होंने दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में 28 की 28 सीट जीत कर दिखायेंगे।
येदुरप्पा तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले भी जब वे दो बार मुख्यमंत्री बने तो कभी भी अपना कार्यकाल पुरा नहीं कर सके। वे पहली बार साल 2007 में दूसरी बार साल 2008 में और तीसरी बार दो दिन पहले 17 मई को मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन वे कभी भी पूरा कार्यकाल नहीं कर सके। पहली बार मुख्यमंत्री बने थे 2007 में सिर्फ सात दिनों के लिये (12 नवंबर से 19 नवंबर तक)। दूसरी बार मुख्यमंत्री बने 30 मई 2008 को और 31 जुलाई 2011 तक मुख्यमंत्री रहे। भ्रष्टाचार के आरोप के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।
बहरहाल, कर्नाटक में विधान सभा की 224 सीटें हैं। इनमें से 222 सीटो पर चुनाव हुए। बहुमत परीक्षण होना था 221 सीटों को लेकर। क्योंकि जेडीएस नेता कुमारस्वामी दो जगहों से चुनाव जीते थे। इसलिये जादूई आंकडे 111 थी। इनमें से बीजेपी को सिर्फ 104 सीटें ही मिली थी। दूसरी तरफ पोस्ट एलायंस हुआ जिसमें कांग्रेस पार्टी ने जेडीएस का समर्थन देने का ऐलान कर दिया। अन्य विधायक भी इस एलायंस के साथ थे और विधायकों की संख्या 118 थी।