कर्नाटक में 224 सीटो में से 222 सीटों पर चुनाव हुए। और सभी सीटों के रूझान आ गये हैं। बीजेपी 111, कांग्रेस 68, जेडीएस गठबंधन 41 और अन्य को दो सीटें। आंकड़ो में थोडी बहुत परिवर्तन संभव है क्योंकि मतगणना जारी है। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस पार्टी की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के बहुत बड़ा झटका है। कर्नाटक जीत के साथ बीजेपी ने एक बार फिर दक्षिण में अपना दखल बना लिया है। बीजेपी में जश्न का माहौल है। मिठाइयां बांटी जा रही है। ढोल-नगाड़े की थाप पर नाच-गाने जारी है। वहीं कांग्रेस खेमा कर्नाटक हार से आश्चर्यचकित है।
बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है। उन्होने कहा कि 17 मई को शपथ लेंगे।
चुनाव आयोग के मुताबिक, भाजपा को अब तक 41.6 प्रतिशत, कांग्रेस को 40.1 प्रतिशत और जेडीएस को 13.3 प्रतिशत वोट मिले हैं। जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही बसपा को 0.2 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए हैं। 0.9 प्रतिशत लोगों ने नोटा का बटन दबाया है। जहां तक लिंगायत वोट की बात है तो चुनाव से पहले कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित कर बड़ा दांव चला था। तब कहा भी जा रहा था कि अब तक भाजपा के समर्थक कहे जाने वाले लिंगायतों का वोट यदि कांग्रेस की ओर शिफ्ट होता है तो वह दोबारा सत्ता में वापसी कर सकती है। लेकिन अब तक जो नतीजे आए हैं, वह इन सभी भविष्यवाणियों को खारिज करते हैं। खासतौर पर लिंगायतों के प्रभाव वाले क्षेत्र में भाजपा बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए 37 सीटों पर जीत दर्ज करती नजर आ रही है, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 18 और जेडीएस को 8 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। 2 सीटें अन्य के खाते में जा सकती हैं।
कर्नाटक चुनाव से संबंधित प्रमुख तथ्य
विधानसभा की कुल सीटें - 224
चुनाव कराए गए - 222 सीट
बहुमत का आंकड़ा - 112 सीट
मुख्यमंत्री के घोषित उम्मीदवार : सिद्धारमैया (कांग्रेस पार्टी), बीएस येदियुरप्पा (भाजपा), एच.डी. कुमारस्वामी (जेडीएस)
प्रमुख राजनीतिक दल : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, जनता दल (सेक्यूलर)।
विधानसभा चुनाव परिणाम 2013
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस - 122 सीट
भारतीय जनता पार्टी - 40 सीट
जनता दल सेक्यूलर - 40 सीट
अन्य दल - 22 सीट
विधानसभा चुनाव परिणाम 2008
भारतीय जनता पार्टी - 110 सीट
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस - 80 सीट
जनता दल सेक्यूलर - 28 सीट
अन्य दल - 06 सीट
विधानसभा चुनाव परिणाम 2003
भारतीय जनता पार्टी - 79 सीट
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस - 65 सीट
जनता दल सेक्यूलर - 58 सीट
अन्य - 22 सीट
सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा इस चुनाव में सत्ता के प्रमुख दावेदार हैं। हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्यूलर ने भी जीत का दावा किया है। लेकिन इस सबसे इतर एग्जिट पोल्स ने तीनों ही राजनीतिक दलों को पूर्ण बहुमत से दूर रखा है। अधिकतर एग्जिट पोल्स ने खंडित जनादेश के संकेत दिए हैं, लेकिन भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में दिखाया गया है। मतगणना के लिए 33 चुनाव जिलों में 38 स्थानों पर 283 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं। मैसूर, चित्रदुर्ग और दक्षिण कन्नड़ जिले में दो-दो मतगणना केंद्र बनाए गए हैं जबकि तुमकुरू में तीन मतगणना केंद्र बनाए गए हैं। मतगणना के लिए कुल 11160 कर्मचारियों को तैनात किया गया है।
चुनाव बाद सर्वेक्षणों में राज्य में त्रिशंकु विधानसभा का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा का जनता दल (एस) किंगमेकर की भूमिका निभा सकता है। राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा की 222 सीटों पर 12 मई को मतदान हुआ था. आर आर नगर सीट पर चुनावी गड़बड़ी की शिकायत के चलते मतदान स्थगित कर दिया गया था। जयनगर सीट पर भाजपा उम्मीदवार के निधन के चलते मतदान टाल दिया गया था. चुनाव कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि मतगणना लगभग 40 केंद्रों पर सुबह 8.00 बजे शुरू होगी। रुझान एक घंटे के भीतर आने शुरू हो सकते हैं और चुनाव परिणाम देर शाम तक स्पष्ट होंगे।
यदि कांग्रेस के पक्ष में स्पष्ट जनादेश जाता है तो 1985 के बाद यह पहली बार होगा जब कोई दल लगातार दूसरी बार सरकार बनाएगा। 1985 में तत्कालीन जनता दल ने रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार सरकार बनाई थी। यह हालांकि अभी अस्पष्ट है कि कांग्रेस के जीतने की स्थिति में पिछड़ा वर्ग से आने वाले सिद्धारमैया मुख्यमंत्री होंगे या नहीं। कांग्रेस ने हालांकि कहा था कि चुनाव में सिद्धारमैया ही उसका चेहरा होंगे, लेकिन उसने यह घोषणा नहीं की कि पार्टी की जीत की स्थिति में मुख्यमंत्री भी वही होंगे।
हालांकि सिद्धारमैया ने रविवार को कहा कि यदि आलाकमान फैसला करता है तो वह किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर सहमत होंगे। राजनीतिक हलकों में उनके इस बयान को खंडित जनादेश की स्थिति में जनता दल (एस) से गठबंधन करने की ओर इशारा करने के रूप में माना जा रहा है। देवगौड़ा की पार्टी से सिद्धारमैया के संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि पूर्व में वह जनता दल (एस) के ही नेता थे।
खंडित जनादेश की स्थिति में लोकसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जी. परमेश्वर जैसे दलित नेताओं को संभावित विकल्पों के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी के गिरते मनोबल को कर्नाटक में जीत से मजबूती मिलेगी जो केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आने के बाद एक के बाद एक राज्य हारती जा रही है। कर्नाटक में हार से अगले लोकसभा चुनाव के लिए संभावित भाजपा विरोधी मोर्चे का नेतृत्व करने का उसका दावा कमजोर हो जाएगा।
वहीं, अगर राज्य में भाजपा जीतती है तो एक बार फिर इसे मोदी के करिश्मे के रूप में लिया जाएगा तथा भाजपा शासित मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार होगा। जनता दल (एस) ने भी अपनी जीत का दावा किया है और कहा है कि मुख्यमंत्री पद के उसके उम्मीदवार एचडी कुमारस्वामी किंग होंगे न कि किंगमेकर।
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में एक संभावना यह बन सकती है कि 2004 की तरह ही कांग्रेस और जनता दल (एस) के बीच गठबंधन हो जाए जब कांग्रेस के दिग्गज धर्म सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी थी। यदि इन दोनों के बीच गठबंधन होता है तो जनता दल (एस) मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धरमैया के नाम पर सहमत नहीं होगा और वह किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर सकता है।