नई दिल्ली (टाइम्स ख़बर)। कॉमरेड सीताराम येचुरी के एक बार फिर महासचिव चुने जाने के बाद वामपंथ और कांग्रेस पार्टी के बीच चनावी तालमेल की संभवानाएं बढ गई है। इन्हें बीते महीने (22 अप्रैल) हैदराबाद के सीपीएम कांग्रेस में दोबारा महासचिव चुना गया।
पहले संशय की स्थिति बनी हुई थी। क्योंकि चर्चा थी कि पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रकाश करात और सीताराम येचुरी के बीच विवाद गहरा गया है। और हो सकता है कि प्रकाश करात पार्टी महासचिव चुने जायें। लेकिन आखिरकार हैदराबाद में हुए बैठक में पार्टी ने सीताराम येचुरी के नाम पर मुहर लगा दी।
सीताराम येचुरी और प्रकाश करात के बीच व्यक्तिगत नहीं बल्कि राजनैतिक विवाद है। प्रकाश करात का मानना है कि चुनाव में पार्टी हारे या जीते लेकिन पार्टी को अपने सिद्धांत से समझौता नहीं करना चाहिये। वही येचुरी कांग्रेस से गठबंधन के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि बीजेपी को रोकने के लिये कांग्रेस से समझौता जरूरी है। माकपा नेता सीता राम येचुरी का कहना है कि हमारी प्राथमिकता बीजेपी को हराना है। इसबात पर चर्चा जारी है।
सीताराम येचुरी उदारवादी हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी को मजबूत बनाना होगा ताकि देश के लिये चुनौतियों का सामना कर सके। पूंजीवाद के कारण संकट गहरा गया है। समाजवाद के संघर्ष को मजबूत किये बिना इससे निजात नही मिल सकेगा। येचुरी ने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के इतिहास के नये सिरे से लिखने की कोशिश हो रही है। देश भर सांप्रदायिकता फैलाई जा रही है। लोकतांत्रिक परंपराओं को कमजोर किया जा रहा है।